my childhood love
Photo by Dana Tentis from Pexels

मैं उसे चाहता था, उसको वह लड़की पसंद थी

द्वारा Gaylaxy अगस्त 13, 03:28 बजे
बचपन से ही करण को अपना दोस्त इतना अच्छा लगता था कि उसे कभी भी इस बात का अहसास ही नहीं हुआ कि कब उसकी चाहत प्यार में बदल गई। लेकिन उसके दोस्त को एक लड़की से प्यार हो गया। तब कारन ने क्या किया। जानने के लिए कहानी पढ़ें।

Karan, 28, is an accountant and works in Surat. 

अपने प्यार को कबूल करना? 

जब किसी की तरफ दिल झुकने लगे, बात आकर ज़बाँ तक रूकने लगे,

आँखों-आंखों में इकरार होने लगे,

बोल दो अगर तुम्हें प्यार होने लगे, होने लगे… होने लगे”

क्या इतना आसान है बोलना जैसा फिल्मों में दिखाते हैं? कम से कम मेरे लिए तो नहीं था। आखिर क्यों? ये ही सोच रहे होंगे ना आप?

क्योंकि एक अजीब सा डर था कहीं मैं उसे खो ना दूँ, या मुझसे नाराज़ होकर वो मुझसे बात करना ना छोड़ दे। एक वो ही तो था, जिसके साथ बातें करते समय, वक़्त कब गुज़र जाता था, पता ही नहीं चलता था।

कक्षा चार में हम पहली बार मिले थे, हम दोनों के लिए स्कूल नया था और दोस्ती भी… सोचा नहीं था कि ये दोस्ती इतनी आगे बढ़ जाएगी। खैर, सब कुछ दोस्ती के मायनों के दायरे में ही चल रहा था, लेकिन जब हम कक्षा 11 में पहुँचे और उसे एक लड़की पसंद आने लगी थी और क्योंकि मैं उसका सबसे पक्का दोस्त था तो उसने सबसे पहले सिर्फ मुझे ही बताया। मुझे ऐसा लगा मानो जैसे कि कुछ छूट रहा है… जैसे कोई ट्रैन छूट रही है। मेरी दुनिया जैसे कि वीरान सी हो गयी। और तब मैं सबसे ज़्यादा ये गीत सुनने लगा था – जग सूना सूना लागे।

जग सूना सूना लागे

ये बात है 2008 की जब ‘ॐ शांति ॐ’ फ़िल्म और उसके गीत मुझे मेरी ही दास्ताँ ब्यान करने में मदद करने लगे थे। पर मुझे ये समझ नहीं आता था कि मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है? अगर दुनिया की नज़र से देखा जाए तो मुझे तो खुश होना चाहिए था कि मेरे दोस्त को कोई लड़की पसंद आयी है लेकिन मुझे तो उल्टा उस लड़की से ईर्ष्या होने लगी थी।हालाँकि वो भी मेरी अच्छी दोस्त थी लेकिन अब पहली बार वो मेरे और मेरे दोस्त के बीच में दीवार सी नज़र आने लगी।

खैर फिर मैंने जैसे तैसे अपने आप को मनाना शुरू किया। बुरा तो बहुत लगता था उन दोनों को साथ देखकर लेकिन अपने दोस्त के चेहरे पर खुशी देखकर मुझे बड़ा सुकून मिलता था। बातें तो अब भी होती थी हमारे बीच में, लेकिन अब  वो सिर्फ उसी लड़की की बातें किया करता था और मैं भी बड़े ध्यान से सुनता था, और मन ही मन उस लड़की की जगह अपने आप को रख कर एक काल्पनिक प्रेम कहानी की दुनिया बनाने लगा था… इसी उम्मीद में कि शायद वो एक दिन समझ पायेगा कि मैं उसे कितना चाहता हूँ। 

उसकी खुशी में खुश

बस अब उसे खुश देख-देख कर मैं भी खुश रहने लगा था, और उसे भी सलाह देने लगा था कि कैसे वो अपने प्रेम सम्बन्ध को और मज़बूत बना सकता है। उसे ये सब सुनकर अजीब लगता था और मुझ पर खूब हँसता और मेरा मज़ाक भी उड़ाता था। वो हमेशा मुझसे कहता था कि तेरे जीवन मे तो कोई लड़की नहीं है फ़िर तुझे ये सब कैसे पता? क्योंकि मेरी दी हुई सलाहें उसके रिश्ते में काम करने लगी थी और उनका रिश्ता और गहरा होने लगा था।

अब मैं उसे कैसे कहता कि मैं उसे बचपन से चाहता हूँ पर कहने से डरता हूँ? और कहीं न कहीं मन में ये भी सवाल था कि क्या मेरा एक लड़के को चाहना ठीक है? क्या मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा हूँ? लेकिन जब भी उसके साथ होता था तो सारे सवाल गायब हो जाते थे। खैर, उन दोनो का रिश्ता 6 साल तक चला। और तब तक हमारा पोस्ट ग्रेजुएशन भी पूरा हो चुका था। हम तीनों एम. कॉम. तक साथ ही पढ़े थे। लेकिन अब अचानक 6 साल के बाद उनके रिश्ते ने एक नया मोड़ ले लिया, वो लड़की अब उससे दूर-दूर रहने लगी। जब हमने मिल के पता करवाया तो पता चला कि उसे उसकी आफिस का ही कोई लड़का पसंद आने लगा था।आखिर वो ही हुआ जिसका डर था – ब्रेक अप!!! वो भी 6 साल के बाद।

नया रिश्ता जोड़ना 

मेरा दोस्त पूरी तरह से टूट चुका था, मेरे कंधे पर सर रखकर फूट फूट कर रोने लगा था। वो पूरे तीन महीनों तक सिर्फ रोता रहा और रोता रहा उस लड़की के लिए। मुझसे उसका दुःख देखा नहीं जाता था, हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं ये खुद को कुछ कर न बैठे। फिर मैंने ये बात अपनी मौसेरी बहन के साथ शेयर की कि मेरा दोस्त अपने ब्रेकअप की वजह से बहुत दुःखी है। वो हाल ही में खुद भी एक बड़े ब्रेकअप से गुज़र चुकी थी तो वो समझ सकती थी।

फिर फेसबुक के द्वारा मेरी मौसेरी बहन और मेरा दोस्त संपर्क में आये, फिर दोस्ती हुई और फिर उनमें प्यार हो गया, और कहानी ने एक खूबसूरत मोड़ ले लिया। अब मेरा दोस्त बहुत खुश था। और उसे खुश देखकर मैं भी खुश था।आज ये आलम है कि उनकी शादी को तीन साल बीत चुके हैं और वो दोनों साथ में बहुत खुश हैं और उन्हें खुश देखकर मैं भी बहुत खुश हूँ।

किसी ने क्या खूब लिखा है: प्रेम प्रकृति है, ये कोई व्यवहार थोड़ी है कि तुम करो तो ही मैं करूँ।

यह कहानी को पहली बार 14 अगस्त 2019 को गेलेक्सी वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था। गेलेक्सी भारत की प्रमुख LGBTQ ई-पत्रिका है जो अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध है.

 

पहचान की रक्षा के लिए नाम बदल दिए गए हैं।

क्या आपके पास भी कोई कहानी है? हम से शेयर कीजिये। कोई सवाल? नीचे टिप्पणी करें या हमारे चर्चा मंच पर विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें।

क्या आप इस जानकारी को उपयोगी पाते हैं?

Comments
नई टिप्पणी जोड़ें

Comment

  • अनुमति रखने वाले HTML टैगस: <a href hreflang>