27 वर्षीय नैना दिव्यांग है और दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़ती है।
शारीरिक स्पर्श की जगह?
यह सिलसिला कुछ तब शुरू हुआ जब मेरा मन किसी साथी के साथ अंतरंग होने को बेताब हुआ। लेकिन मैं सिर्फ किसी ऐसे व्यक्ति के साथ शारीरिक रूप से करीब आना बनाना चाहती थे जिस पर मैं भरोसा कर सकूं लेकिन मेरी रिलेशनशिप हिस्ट्री कुछ अच्छी नहीं रही। कई बार मेरा दिल टूटा। मैं एक सीरियस रिलेशनशिप चाहती थी और इससे के चलते मुझे ऐसा लगने लगा कि मैं कभी भी खुद को सेक्सुअली संतुष्ट नहीं कर पाऊंगी।
मैंने वाइब्रेटर और अन्य सेक्स टॉयज के बारे में ऑनलाइन एक आर्टिकल पढ़ा और इसे खरीदने के बारे में सोचने लगी। लेकिन क्या सेक्स टॉयज शारीरिक स्पर्श की जगह ले सकते हैं? शुरू में तो मैं इसे लेकर बिल्कुल आश्वस्त नहीं थी, लेकिन अंत में मैंने सोचा कि क्यों नहीं! मुझे खुद को समझाने में ही करीब छह महीने लग गए।
मेरे लिए इस सच्चाई से उबर पाना मुश्किल था कि मैं एक विकलांग लड़की हूं और मेरी भी यौन इच्छाएं हैं। मेरी मां घर के कई कामों में मेरी मदद करती हैं इसलिए उनसे इस बात को शेयर करने का सवाल ही नहीं था।
माँ की इजाजत
आखिरकार, मैंने अपनी माँ से वाइब्रेटर के बारे में बात करने की हिम्मत जुटायी। रविवार की शाम थी और माँ अच्छे मूड में थी। मैंने उनसे अपनी इच्छाओं के बारे में बात करना शुरू किया और फिर धीरे-धीरे बात को सेक्स और यौन इच्छाओं पर लायी। फिर उनसे पूछा कि मुझे खुद को कैसे संतुष्ट करना चाहिए।
वह किसी लड़के के साथ मेरे यौन संबंध बनाने के बारे में थोड़ी चिंतित थी, इसलिए उन्होंने सलाह दी कि मुझे शायद सेक्स टॉय खरीदना चाहिए।
'क्या मैं सच में सेक्स टॉय खरीद सकती हूं?' मैंने तुरंत हैरानी में पूछा और उन्होंने कहा - हां।
अच्छे वाइब्रेटर की तलाश
मैंने ऑनलाइन सबसे अच्छा सेक्स टॉय खोजना शुरु कर दिया। यह एक कठिन काम था क्योंकि मैं सेरेब्रल पाल्सी (एक ऐसी कंडीशन जो किसी व्यक्ति को चलने-फिरने, संतुलन बनाने और किसी एक पोजीशन में बैठे रहने की क्षमता को प्रभावित करती है) से पीड़ित हूँ। मुझे बिल्कुल भी पता नहीं था कि मैं वाइब्रेटर को ठीक से पकड़ भी पाउंगी या नहीं हूं।
परफेक्ट वाइब्रेटर की तलाश करने वक्त मेरे मन में बहुत सारे सवाल थे। मैंने कई वेबसाइटों पर विभिन्न प्रकार के टॉय देखे, जिससे मैं पहले से कहीं अधिक कन्फ्यूज हो गई। मैं कोई भी सेक्स टॉय पसंद नहीं कर पा रही थी क्योंकि मुझे नहीं लगता था कि मैं उनका सही तरीके से इस्तेमाल कर पाउंगी।
आख़िरकार मुझे अपनी छोटी चचेरी बहन से पूछना पड़ा, हालाँकि थोड़ा संकोच तो हुआ, लेकिन वह काफी समझदार थी और उसने मेरी मदद की। मेरे सबसे अच्छे दोस्त ने भी मेरी बहुत मदद की।
कई महीनों के रिसर्च के बाद, मुझे आखिरकार एक अच्छा टॉय मिल गया, जिसे मैं अच्छे से इस्तेमाल कर सकती थी।
कहाँ थी वह उत्तेजना?
डिलीवरी के बाद जब मैंने उसे खोला तो टॉय पूरी तरह से मेरे हाथों में फिट आ गया और मैं इससे बहुत खुश थी। हालांकि, मुझे समझ नहीं आया कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाए।
मैंने उसे अपने संवेदनशील हिस्सों पर लगाने की कोशिश की और जबकि मैं कंपन महसूस कर पा रही था, यह मुझे किसी भी तरह से उत्तेजित नहीं कर रहा था। आने वाले दिनों ने मैंने अलग-अलग तरीके और तरकीबें इस्तेमाल करने की कोशिश की, जिससे मुझे आनंद महसूस हो सके। लेकिन मैं उत्तेजित नहीं हुई।
कल्पनाओं के साथ उड़ान
जब मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त से इस बारे में बात की, तो उसने मुझे सिर्फ एक सलाह दी, 'अपनी कल्पनाओं को उड़ने दो।' सिर्फ एक इसी सलाह ने चमत्कार किया और मुझे उत्तेजना होने लगी।
एक बार नहीं, दो बार नहीं बल्कि मुझे कई बार ऑर्गेज्म हुआ। मुझे बहुत अच्छा लगा। कमाल का लगा। ऐसा लगा जैसे मैं अपने जीवन का सबसे बड़ा सुख महसूस कर रही हूं। मुझे ऐसा पहले कभी नहीं लगा था।
इच्छाओं पर लगाम क्यों?
विकलांग लड़की होने के नाते, हमें अक्सर समाज द्वारा अपनी इच्छाओं पर लगाम लगाने के लिए कहा जाता है। समाज अक्सर हमें एक ऐसा शरीर मानता है जो प्यार करने और प्यार पाने की इच्छा नहीं रख सकता।
मैंने लोगों को यह कहते भी सुना है कि हम किसी और के प्यार के लायक नहीं हैं। मैं यह नहीं मानती हूं, मेरा मानना है कि हमारा शरीर विकलांग हो सकता है लेकिन हमारा दिमाग और दिल नहीं।
इसलिए, प्रिय समाज मुझे प्यार और इच्छाओं के आकाश में जिस तरह से मैं चाहती हूं मुझे उड़ने दो। मुझे अब यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि मेरे जीवन में वाइब्रेटर के आने से मैं पहले से कहीं अधिक शारीरिक और मानसिक रूप से स्वतंत्र महसूस कर रही हूं।
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लेखिका के बारे में: विनयना खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.फिल कर रही हैं। उनको सेरेब्रल पाल्सी लेकिन यह उनकी पहचान नहीं है। वह एक लेखिका, कवि और हास्य कलाकार हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर भी हैं।