- इ-पिल
इमरजेंसी पिल, जिसे अक्सर इ पिल भी कहा जाता है, देश भर में दवा की दुकान पर बिना डॉक्टर के परामर्श के आसानी से उपलब्ध है। ये असुरक्षित सेक्स के बाद गर्भ से बचने का आसन और कारगर तरीका है, यदि समय रहते ले ली जाये तो।कुछ ब्रांड केवल एक गोली लेने की सलाह देते हैं जबकि कुछ दूसरे ब्रांड 12 घंटे के अंतराल में 2 गोलियां लेने की सलाह देते हैं। सेवन से पहले दवा विक्रेता या चिकित्सा विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित है।
कुछ महिलाओं को इसके सेवन से उलटी और जी मिचलाने जैसे साइड इफेक्ट्स होते हैं। इसके साथ साथ इनका असर आपकी अगली माहवारी की साईकल पर होना भी आम बात है। इ-पिल सामान्य गर्भनिरोधन नहीं है। इसे सिर्फ इमरजेंसी में ही लेना ठीक है। - इ पिल कब लें
असुरक्षित सेक्स के बाद जितनी जल्दी इसे लिया जाये उतना बेहतर है। इ पिल 72 से लेकर 120 घंटे तक उपयोगी हो सकती है। कई चिकित्सा सलाहकार इस गोली को घर पर हमेशा रखने की सलाह देते हैं। ताकि आपको अचानक इसके तलाश में रात बे रात भटकने की ज़रूरत न पड़ जाये। अध्यन दर्शाता है की इन्हें घर में रखना असुरक्षित सेक्स की सम्भावना को बढ़ाने का कारण नहीं है। - क्या इ पिल एबॉर्शन की दवा है?
नहीं. इ पिल एबॉर्शन की गोली नहीं है। इ पिल कई तरह काम करती है लेकिन यदि गर्भ ठहर चूका हो, तो ये बेअसर है। यदि आप इ पिल ओवुलशन से पहले ले लें तो इस गोली के प्रभाव से स्पर्म का अंडाशय में पहुंचना मुश्किल हो जाता है। और इस वजह से आप गर्भ से बच सकती हैं।
यदि आप गर्भ ठहरने के बाद ये गोली लेती हैं तो इसका कोई नेगेटिव इफ़ेक्ट तो नहीं है। हालाँकि एबॉर्शन की गोली 'मिफे प्रिस्तोन' का 100 mg की खुराख भी इमरजेंसी में गर्भ निरोधक का काम करता है। लेकिन इसे लेने से पहले भी मेडिकल सलाह आवश्यक है। - इमरजेंसी गर्भनिरोधन के लिए IUD का प्रयोग
गर्भनिरोधन का एक कारगर तरीका है कॉपर-टी जिसे कोइल भी कहा जाता है। असल में ये गर्भनिरोधन का सबसे असरदार उपाय है। सेक्स के 5 दिन बाद भी इसे डालने से 99.9% सम्भावना कम हो जाती है, ऐसा 'प्लांड पैरेंटहुड संस्थान' का कहना है। लेकिन इसके लिए भी डॉक्टर की सलाह बेहद ज़रूरी है, और सही तरीके से लगाने के लिए संभव है की आपको कुछ ऊँची कीमत अदा करनी पडे।
लेकिन इसके फायदे भी बड़े हैं। कॉपर टी महिला के शरीर में 10 साल तक रह सकता है और गर्भ निरोधन का काम बखूबी कर सकता है। - यज्पी मेथड
आप अधिक मात्रा मौखिक कंट्रासेप्टिव, जैसे की 'द पिल' भी ले सकती हैं। इसे यज्पी मेथड कहा जाता है। ये ज़्यादा कारगर नहीं है और इसके साइड इफ़ेक्ट भी ज़्यादा हैं। इसलिए दुसरे उपायों का चुनाव बेहतर है। इसकी तुलना में प्रोजेस्तोंन (मिनी पिल) का हाई डोज लेना ज्यादा उचित है।
लेकिन ये जानना ज़रूरी है की यदि आप पहले से इस प्रकार की पिल ले रही हैं तो इमरजेंसी पिल शायद आप पर ज्यादा असरदार न साबित हो। तो ये ज़रूरी है की आप यज्पी मेथड अपनाने से पहले डाक्टरी सलाह ज़रूर ले लें। इ पिल की ही तरह यज्पी मेथड का प्रयोग भी सिर्फ इमरजेंसी में करना ही उचित है।
यह लेख पहली बार 26 जुलाई, 2013 को प्रकाशित हुआ था। तस्वीर में मौजूद व्यक्ति एक मॉडल है।
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