क्रॉसड्रेसिंग क्या है?
क्रासड्रेसिंग का अर्थ है कि एक जेंडर के व्यक्ति द्वारा समाज में विपरीत जेंडर के व्यक्ति द्वारा पहने जाने वाले कपड़े पहनना। जैसे कि एक पुरुष का साड़ी पहनना या एक महिला का पैंट या ट्राउजर पहनना। पहले इसे ट्रांसवेस्टिज्म कहा जाता था और इसमें शामिल व्यक्ति को ट्रांसवेस्टाइट कहा जाता था।
हालाँकि, इस शब्द को यूज़ करना अब अच्छा नहीं माना जाता है। किसी को ट्रांसवेस्टाइट कहना काफी अपमानजनक भी माना जाता है क्योंकि विपरीत लिंग के कपड़े पहनने वाले लोगों के खिलाफ उनकी बदनामी करने के लिए ट्रांसवेस्टाइल शब्द का इस्तेमाल किया जाता था।
क्रॉसड्रेसिंग दो तरह की होती है:
मेल टू फीमेल क्रॉसड्रेसिंग: ऐसे पुरुष जिन्हें महिलाओं के कपड़े और अन्य सामान पहनना अच्छा लगता है।
फीमेल टू मेल क्रॉसड्रेसिंग: ऐसी महिलाएं जो पुरुषों की तरह कपड़े पहनती है।
हालांकि, पिछली आधी सदी से भी अधिक समय से महिलाएं पैंट, ट्राउजर या सूट पहन रही हैं और यह इतना आम हो गया है कि महिलाओं द्वारा पूरी तरह से पुरुषों वाला ड्रेस पहनने के बाद भी किसी को अजीब नहीं लगता, कोई भी इसे क्रासड्रेसिंग नहीं कहता है। कपड़ों की इन चीजों को अब जेंडर-न्यूट्रल के रूप में पहचाना जाता है। लेकिन आज के समय में सबसे ज्यादा चर्चा मेल टू फीमेल क्रॉसड्रेसिंग की होती है यानि कि उन पुरुषों की जो महिलाओं के कपड़े या सजावटी सामान पहनते हैं।
क्रॉसड्रेसिंग अलग-अलग प्रकार की हो सकती हैं। कुछ लोग कभी-कभी ही क्रॉस-ड्रेस करते हैं और वह भी अपने घरों के अंदर, जबकि अन्य लोग पूरे समय क्रॉस-ड्रेस करना पसंद करते हैं। ऐसा भी नहीं हैं की हर क्रॉसड्रेसर विपरीत लिंग के कपड़े और अन्य सामानों को 100 प्रतिशत पसंद करता हो।
कुछ लोग विपरीत लिंग के लिए बने केवल एक ही आइटम ब्लाउज, स्कार्फ, नेल पेंट, ऊंची हील की सैंडल्स आदि को ही पहनना पसंद करते हैं। वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कपड़े, मेकअप, हेयर एक्सटेंशन सहित सभी चीजों को आज़माना पसंद करते हैं।
क्रॉसड्रेसिंग और लैंगिक पहचान
क्रॉसड्रेसिंग को लेकर कई मिथक फैले हैं जिन्हें लैंगिक पहचान से जोड़कर देखा जाता है। अक्सर यह माना जाता है कि विपरीत लिंग के कपड़े पहनने वाला व्यक्ति ट्रांसजेंडर या समलैंगिक है। हालाँकि सच्चाई इससे काफी अलग है।
जब कोई ट्रांसजेंडर अपनी लैंगिक पहचान के अनुसार कपड़े पहनता है, तो यह क्रॉस-ड्रेसिंग नहीं कहलाता है। क्योंकि वह व्यक्ति उसी के अनुसार कपड़े पहन रहा है जिस लिंग से वह पहचाना जाता है। उदाहरण के लिए, एक महिला की तरह कपड़े पहनने वाली ट्रांस महिला (ऐसा व्यक्ति जो पुरुष (लिंग के साथ) के रूप में जन्म लेता है लेकिन ख़ुद को एक स्त्री मानता है) क्रॉसड्रेसर नहीं है। वह बस अपने जेंडर के अनुसार ही कपड़े पहन रही है।
ट्रांसजेंडर्स के विपरीत क्रॉसड्रेसर्स में लिंग डिस्फोरिया नहीं होता है। इसका मतलब है कि वे जिस लिंग या शरीर में पैदा हुए हैं, उससे असहज नहीं हैं। न ही उन्हें अपना लिंग बदलने की कोई इच्छा है। उदाहरण के लिए एक पुरुष साड़ी पहनना पसंद करता है, लेकिन वह खुद की पहचान पुरुष की ही मानता है तो वह एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति नहीं है, बल्कि एक क्रॉसड्रेसर है।
क्रॉसड्रेसर और हिजड़ा भी अलग अलग पहचान हैं। हिजड़ा उन ट्रांसजेंडर (ज़्यादातर ट्रांसमेन) लोगों को कहा जाता है जो हिजड़ा समुदाय में शामिल होने और उसके रीति रिवाजों का पालन करने की शपथ लेते हैं। सभी ट्रांसजेंडर लोग हिजड़ा समुदाय में शामिल नहीं होते।
हिजड़ा पहचान अपने जेंडर की जगह दूसरे जेंडर से इत्तेफ़ाक़ रखने (ट्रांसजेंडर) और एक ख़ास समुदाय में शामिल होने से जुड़ी हैं जबकि क्रॉसड्रेसिंग में ऐसा नहीं होता। क्रॉसड्रेसर सिर्फ दूसरे जेंडर से जुड़े कपड़ें पहनते हैं मगर खुद को उस दूसरे जेंडर का नहीं मानते।
इसी तरह, विपरीत लिंग के कपड़े पहनने से किसी के सेक्सुअल ओरिएंटेशन (लैंगिक झुकाव) पर कोई असर नहीं पड़ता है। यदि एक महिला एक पुरुष की तरह कपड़े पहनती है (आमतौर पर जिसे टॉमबॉय कहा जाता है), तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह अन्य महिलाओं की ओर आकर्षित (लेस्बियन) है।
इसी तरह, यदि कोई पुरुष साड़ी या स्कर्ट पहनता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे समलैंगिक है या अन्य पुरुषों की ओर आकर्षित है।
इस तरह क्रॉसड्रेसर्स समलैंगिक, विपरीतलिंगी या द्विलैंगिक हो सकते हैं। कोई भी कपड़े के आधार पर उनके सेक्सुअल ओरिएंटेशन का निर्धारण नहीं कर सकता है, चाहे वे क्रॉसड्रेस हों या नहीं।
लोग विपरीत लिंग के पहनावे क्यों पहनते हैं?
क्रॉसड्रेसिंग के पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ लोग इसे मनोरंजन के लिए कर सकते हैं, कुछ लोग अपना वेश बदलने के लिए क्रॉसड्रेस कर सकते हैं, जबकि कुछ लोग विपरीत लिंग के कपड़े में अधिक सहज महसूस करते हैं, इसलिए पहनते हैं। क्रॉसड्रेसिंग में कुछ लोगों को यौन सुख मिलता है तो वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने फेटिश के लिए विपरीत लिंग वाले कपड़े पहनते हैं।
क्रॉसड्रेसिंग के पीछे अपनी बेताबी को कम करने, आराम और सुकून पाने और जनाना या मर्दाना फीलिंग का अनुभव करने जैसे कारण भी हो सकते हैं।
यह ध्यान रखना जरूरी है कि कारण चाहे जो भी हो, क्रासड्रेसिंग कोई गलत चीज नहीं है। यह कोई समस्या या बीमारी नहीं है जिसे नियंत्रित करने या इलाज करने की आवश्यकता है। हालांकि, क्रॉसड्रेसर को यह तय करने में सावधानी बरतनी चाहिए कि उनके व्यक्तित्व का यह पहलू उनके जीवन के अन्य पहलुओं पर हावी ना हो।
क्रॉसड्रेसिंग: जोखिम और सावधानी
बहुत कम लोग समझते हैं कि क्रॉसड्रेसिंग क्या है, और अभी भी कम ही लोग इसकी पहचान कर पाते हैं। क्रॉसड्रेसिंग के अपने नुकसान और जोखिम हो सकते हैं। जैसे कि:
- सबसे पहले क्रॉसड्रेसर्स को यौन अपेक्षाओं में उलझे समाज से पलटवार या आलोचना का सामना करना पड़ सकता है। पुरुषों की तरह कपड़े पहनने वाली महिलाओं की अपेक्षा महिलाओं के जैसे कपड़े पहनने वाले पुरुषों को इस जोखिम का खतरा अधिक होता है।
- इसकी सामाजिक शर्म व्यक्ति में ग्लानि और शर्म की भावना पैदा कर सकता है, जिससे वह अपनी इच्छा और समाज के दबाव को लेकर अंदर ही अंदर संघर्ष करता है।
- यदि आपका पार्टनर क्रॉस-ड्रेस की इच्छा को नहीं समझ पाता या स्वीकार नहीं करता है, तो इससे आपके संबंधों में दरार आ सकती है।
- कुछ मामलों में व्यक्ति, विपरीत लिंग के कपड़ों का आदी बन सकता है और इस पर बहुत अधिक पैसे और समय की बर्बादी कर सकता है।
- अगर आपकी कंपनी में या आपके सह कर्मियों द्वारा इस चीज को स्वीकार नहीं किया जाता है तो यह आपके प्रोफेशनल ग्रोथ में बाधा बन सकता है।
- व्यक्ति को अपने परिवार से अलग-थलग रहने का जोखिम भी उठाना पड़ सकता है।
- क्रॉसड्रेसर को यात्रा करने में परेशानी हो सकती है, क्योंकि हो सकता है कि आपकी आईडी या पासपोर्ट में लगी फोटो आपके मौजूदा लुक से मेल ना खाए।
- कुछ चुनिंदा मामलों में, व्यक्ति की क्रॉसड्रेस की तीव्र इच्छा उसके दिलो दिमाग पर हावी हो सकती है और यह व्यक्ति के सामान्य जीवन को प्रभावित कर सकती है।
इन जोखिमों को कम करने के लिए आप क्या सावधानियां बरत सकते हैं?
क्रॉसड्रेसिंग को लेकर समाज में लोगों के गलत नज़रिए और ग़लतफहमी के कारण बहुत से लोग अपनी क्रॉस ड्रेस होने की इच्छा को गुप्त रखते हैं और इसके बारे में दूसरों को नहीं बताते। इतना ही नहीं कुछ मामलों में, यहां तक कि उनके पति या पत्नी, बच्चे और माता-पिता भी इसके प्रति उनके झुकाव के बारे में नहीं जानते हैं। हालांकि, इसे दबाकर या छिपाकर रखना इस समस्या का समाधान नहीं है।
अपने पार्टनर, बच्चों या माता-पिता से इसके बारे में बात करना और उन्हें पर्सनालिटी के इस पहलू को समझने में मदद करना ही समझदारी है।
यदि आपका कोई परिचित इन्हीं परिस्थितियों से गुजर रहा है और इन पहलुओं को ठीक से समझने में समक्ष नहीं है या उसे काउंसिलिंग या परामर्श की जरूरत है तो आगे बढ़कर उसे सही सलाह दें और उसकी मदद करें।
अगर किसी को इस बात का डर है कि उसे समाज में सबसे अलग-थलग रूप से चिन्हित किया जाएगा तो बेहतर होगा कि ऐसे मामलों में समझदारी से काम लिया जाये और किसी प्रोफेशनल की मदद ली जाए।
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आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।