इक्षाकु बेजबरोआ उर्फ़ ख़ुशबू एक मानवाधिकार वकील, लेखक और ड्रैग क्वीन हैं और बैंगलौर में रहते हैं।
सबके बीच 'फिट' होने की कोशिश
मैं हमेशा से लोगों से दूर रहा हूँ। हमेशा लोगों की नज़रों से बचता रहा और कभी भीड़ का हिस्सा नहीं बना। चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो, ऑफिस या फिर घर। मैं समलैंगिक हूं शायद यही इसकी वज़ह थी। जब मैं 17 साल का था तभी लोगों को मेरी समलैंगिकता के बारे में पता चल गया।
लेकिन सबको पता चलने के बाद भी चीज़ें बहुत नहीं बदलीं। यहां तक समलैंगिक लोगों के बीच भी मुझे बहुत शांत, पढ़ाकू, भोला या बहुत मजाकिया समझा जाता था।
कॉलेज के पहले ही साल मैं उस उलझे बालों और शांत सी दिखने वाली लड़की अर्पिता से मिला। हम दोनों एक ही शहर के थे और कोलकाता के अन्य लॉ स्टूडेंट्स के साथ कभी कभी घूमने जाते थे। मैंने नोटिस किया की वह भी मेरी तरह ही चुप और थोड़ी अजीब थी, लेकिन तब हमारी ज़्यादा बातें नहीं हुई थी। मैंने उसकी ओर बहुत ध्यान भी नहीं दिया। मैं कूल डूड बच्चों के साथ फिट होने की कोशिश में व्यस्त था। मैं उनके साथ पार्टियों के लिए बाहर जाता।
मेरे जैसा एक और
जैसे-जैसे साल बीतते गए, अर्पिता और मैं दोस्त बन गए। मैंने उसे बताया कि मैं समलैंगिक हूं, और उसके बाद से हम दोनों के रिश्ते में एक अजीब सा खुलापन आ गयाI वह शांत सी लड़की, जिससे बहुत मुश्किल से मैंने अपने बारे में बताया ही था कि वह अचानक मुझसे खुलकर सब बताने लगी। शायद इसलिए क्योंकि हम दोनों की कहानी एक ही थी, और उसे लगा कि उसे भी बता देना चाहिए। मुझे यकीन हो गया कि उसके अंदर कुछ तो राज़ है।
वो भी मेरी तरह ही थी। अज़ीब मूड और दिमाग वाली। गुस्सैल, चिड़चिडापन, विद्रोही, रचनात्मकता और समझदारी। यह सब कुछ इस शांत लड़की के अंदर छिपा था।
एक बार फिर से सबको बताया
2016 में, मैंने अर्पिता और अन्य लोगों के सामने यह घोषणा कर दी कि मैं एक ड्रैग क्वीन (नीचे दी गई तस्वीर देखें) बनूंगी। मेरे माता-पिता ने मेरे फ़ैसले को नहीं माना। मेरे कुछ दोस्तों ने कहा कि मैं बहुत बहादुर और मजबूत हूं। कुछ लोगों को मुझ पर बहुत तरस आया। कुछ अन्य लोग मेरी बातों से डर गए और चिंतित हो गए। लोगों की उन गंभीर भावनाओं से निपटना काफ़ी मुश्किल था।
उस वक्त मेरे साथ जो सबसे बुरा हुआ, वह यह था कि मेरा बॉयफ्रेंड जो कि पिछले छह साल से मेरे साथ रिलेशनशिप में था, उसने फोन पर ही मुझसे ब्रेकअप कर लिया।
इक्षाकु बेजबरोआ अपने ड्रैग अवतार ख़ुशबू के रुप में
दिखावा करना
यदि कोई सही मायने में आपका साथ देता है तो वह इस बात का ढिंढोरा नहीं पिटता। जब अर्पिता ने देखा कि ब्रेकअप की वजह से मैं अंदर से टूट गया हूं तो उसने मेरे साथ बहुत नाटकीयता या दिखावा करने की कोशिश नहीं की। उसने मेरे दर्द को समझा और सहानुभूति दिखायी, हां वह मेरे लिए थोड़ा निराश भी हुई थी। यह वही था जिसकी उस वक्त मुझे सबसे ज़्यादा दरकार थी- एक मानवीय संवेदना।
लगभग सभी ने मुझे दरकिनार कर दिया था। कुछ ने कहा कि मेरे ऊपर मेरे बॉयफ्रेंड का जूनून कुछ ज़्यादा ही सवार है, कुछ ने कहा कि मुझे इस सदमें से बाहर निकलने के लिए लंबी छुट्टियों पर जाना चाहिए। लेकिन अर्पिता ने बिना मुझे सही या ग़लत ठहराए और बिना तरस खाए मुझे उसी रुप में स्वीकार किया जैसा मैं था। वह किसी व्यक्ति के सम्मान और उनके मूल्यों को अच्छे से समझती थी। हम एक दूसरे की सीमाओं का सम्मान करने में काफी सहज़ थे।
उसे जो चीज़ें नहीं पसंद थी, वह उसके बारे में भी मुझे बताती थी। उसने कभी मेरे साथ बच्चे जैसा व्यवहार नहीं किया और जो सही लगा वही बोला। हम एक दूसरे के प्रति बेहद ईमानदार थे।
परिवार किससे बनता है
इसलिए मैं अर्पिता को अपने परिवार का हिस्सा मानता हूं। परिवार आपको सही रास्ता दिखाता है, आप जैसे हैं वैसे ही बने रहने देता है और ख़ुद भी आपके लिए वैसे ही रहता है। मैं नहीं चाहता कि मेरे जीवन में ऐसे लोग रहें जो हर समय दया या मुझे नीचा दिखाने की कोशिश करें। मेरे पास उसके जैसी एक सहज और ईमानदार लड़की है, मुझे इससे ज़्यादा किसी चीज़ की ज़रूरत नहीं है।
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