*22 वर्षीय उदय मुंबई में अपनी पढ़ाई पूरी कर रहा है
एक रात का टहलना
मेरे साथ रहने वाले दोस्त खुले तौर पर होमोफोबिक नहीं थे क्योंकि मैंने उन्हें अपने समलैंगिक होने के बारे मे बताया नही था। फिर भी वे हमेशा मेरे सामने असहज महसूस करते थे। शायद ऐसा मेरे भड़कीले पहनावे और हाव-भाव के कारण था। इसलिए कॉलेज के दूसरे साल मैंने घर बदलने का निर्णय लिया और इस नई जगह पर मैं खुश भी था।
मेरा कमरा मकान मालिक के घर का ही एक हिस्सा था। यह जुलाई की एक रात की बात है जब मौसम में बहुत गर्मी थी। लगभग दस बजे के आसपास जब मैं डिनर करके सोने की तैयारी कर रहा था, तभी अचानक दरवाजे की घंटी बजी। मैंने देखा तो वह मकान मालिक था। उसने प्यार से मुझसे पूछा कि क्या मैं उसके साथ टहलने चल सकता हूँ।
मैंने इसे मेलजोल बढ़ाने का एक मौका समझा और चलने के लिए तुरन्त तैयार हो गया। हमने पूरी कॉलोनी का चक्कर लगा लिया और उसके बाद पार्क मे भी टहले और इस दौरान हमने अपनी अपनी जिंदगी के बारे मे खूब बातें की।
तुम्हें यह अच्छा लगेगा
मुझे, हम दोनों के बीच दो भाइयों जैसा जुड़ाव महसूस हुआ क्योंकि वह मुझसे उम्र मे तो काफ़ी बड़ा था लेकिन उसकी शादी नही हुई थी। हमारी बातचीत के दौरान उसने कई बार यह कहा कि वह मुझे बहुत पसन्द करता है और मुझे छोटे भाई की तरह मानता है। बातों बातों में उसने ये भी बताया कि उसने शराब पी रखी है पर मुझे इससे कोई परेशानी नहीं थी।
जब हम दोनों मेरे कमरे मे वापस लौटे तो वह मेरा बाथरूम इस्तेमाल करना चाहता था। मैंने उसे बाथरूम जाने को कहा और अपने मोबाइल मे कुछ देखने लगा। मेरी कमर बाथरूम की तरफ थी और तभी मुझे कुछ चुभता हुआ महसूस हुआ, मैंने पीछे मुड़कर देखा तो मैं बुरी तरह चौंक गया।
मेरे मकान मालिक ने अपना लिंग बाहर निकाला हुआ था। वो मेरे कंधे पकड़ कर ज़बरदस्ती मुझे अपनी तरफ खींच रहा था। इस खींचतान में उसने अपने नाख़ून भी मेरे हाथों में गड़ा दिए। उसने मुझे नीचे की तरफ धकेलकर कहा कि "घबराओं मत, तुम्हें यह अच्छा लगेगा"।
ज़ोर का झटका
यह वही आदमी था जिसने मेरे यहां रहने का इंतज़ाम किया था और अब वह मेरे साथ जबरदस्ती कर रहा है। उस कश्मकश मे मैंने यह पूछने की हिम्मत की कि वह यह सब क्यों कर रहा है। उसने बताया कि मेरे नीले बालों को देखकर उसने अनुमान लगाया कि मैं समलैंगिक हूँ।
मैंने किसी तरह खुद को उसकी पकड़ से आज़ाद किया और कमरे के दूसरे कोने मे चला गया। वह अपार्टमेंट के एक मात्र दरवाजे को बन्द करने की कोशश कर रहा था जिससे मैं कहीं भाग न सकूं।
मैंने उससे हाथ जोड़कर विनती की कि मुझे छोड़ दे क्योंकि मुझे डर था कि अगर मैंने गुस्सा दिखाया तो हो सकता है वो मारपीट भी करने लगे। जैसे ही वह गया तो मैंने तुरन्त अपनी सबसे अच्छी दोस्त को फोन किया और उसे ये सारा वाकया बताया।
समलैंगिकों के लिए कोई जगह नहीं
मैंने सोच लिया कि रात में यहां नहीं रुकना है और अपनी ज़रुरत की चीज़ें लेकर उस घर को उसी रात छोड़ दिया। जिन लोगों को भी मैंने अपने साथ हुए वाकये के बारे मे बताया वे सभी बहुत ही मददगार थे। लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या मुझे इस घटना के बारे मे पुलिस मे रिपोर्ट करनी चाहिए
खैर, मैंने रिपोर्ट ना दर्ज़ करवाने का फैसला लिया। मैं पुलिस या किसी भी अन्य अथॉरिटी के पास नही गया क्योंकि मैं जानता था कि मेरे हावभाव और पहनावे को देखते हुए मेरे साथ हुए उत्पीड़न से निपटने की बजाए वे लोग मेरी लैंगिकता के बारे मे सवाल पूछेंगेI इससे से भी ज्यादा डर पुरानी पड़ चुकी कानूनी धारा 377 के कारण ब्लैकमेल होने या जेल जाने का था।
कोई और विकल्प है भी नहीं
मैं खुद को एक पीड़ित के रूप में नहीं देखताI ना ही मुझे किसी के रहम या हमदर्दी की ज़रुरत है। मैं बस अपने इस देश से इतना चाहता हूँ कि यह हिंसा और धमकियों से मेरी सुरक्षा करे। लेकिन दुःख इस बात का है कि चूंकि मैं एक समलैंगिक हूँ इसलिए मेरे पास ये मौलिक अधिकार भी नहीं है।
इतना ही नही, कोई इसके बारे मे बात भी नही करना चाहता। हर रोज़ हमें अपनी इच्छा और वजूद के खिलाफ़ जाकर जीने का फैसला करना पड़ता है क्योंकि हम जानते हैं कि हमें ये उत्पीड़न झेलना पड़ेगा। हमारे पास एक झूठी जिंदगी जीने और खुद के वजूद को छोड़कर दूसरे किसी की तरह बनने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।
उत्पीड़न को किसी भी तरह से सही नही ठहराया जा सकता है
मेरे मकान मालिक ने मेरे बालों के रंग के कारण मुझे समलैंगिक मान लिया और उसे यह भी लगा होगा कि इसके साथ जबरदस्ती करने में कुछ भी गलत नहीं है। शायद वह यह भी जानता था कि मैं इस बारे मे रिपोर्ट नही करूंगा और इसी बात का उसने फायदा उठाया। उसने सोचा कि वो जो मर्जी चाहे मेरे साथ कर सकता है और मैं इस बारे मे कुछ नही कर सकता। यह एक बात मुझे अंदर ही अंदर खाई जाती हैI मुझे इस बात पर गुस्सा आ रहा था मैं कुछ भी कर पाने मे असमर्थ था।
हालांकि ये बहुत कठिन और दुखदाई घटना थी फिर भी इस घटना ने मुझे एहसास दिलाया कि मुझे अपने लैंगिक अभिनवयास के बारे में मुखर होने की जरूरत है। मैं अपनी समलैंगिकता के साथ खुशियां पाना चाहता हूं, ना कि इसे छिपाकरI मतलब यह कि मुझे अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ेगा जिससे मैं अपने ही देश मे बिना किसी डर या शर्म के जी सकूं और प्यार कर सकूँ और पा सकूँ।
गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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