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'अपनी क्लास के सामने सच बताना'

द्वारा Gaylaxy जून 2, 03:42 बजे
अर्नव अपनी पहचान को ले कर हो रहे उत्पीड़न और मजाक से थक चुका था। एक दिन उसने अपनी सच्चाई पूरी क्लॉस के सामने बता दी। आगे क्या हुआ? अर्नव ने अपनी कहानी गेलेक्सी वेबसाइट के साथ साझा की।

तस्वीर में मौजूद व्यक्ति एक मॉडल है।

मेरा नाम अर्णव कुमार है । मैं कुवैत से हूँ लेकिन अभी मैं मुंबई में रह रहा हूँ । बचपन से ही मैं सभी से अलग था । मैं एक लड़की की तरह चलता, बात करता और गाता था।


अपने पिता की मृत्यु के बाद मैं कुवैत से मुंबई आ गया। मैं एक नई जगह पर था, दोस्त बनाने से डरता था क्योंकि मेरे आस-पास हर किसी ने मुझे जज किया था और "गे" कहकर मेरा मज़ाक उड़ाया था। मुझे तो ये भी नहीं पता था कि इस शब्द का मतलब क्या है, इसलिए मैं बस उन्हें नज़रअंदाज़ करता रहा। जब मुझे आखिरकार पता चला कि इसका क्या मतलब है,तो मैं चौंक गया। क्योंकि यही सच था कि मै गे हूँ।


दूसरों के तानों को नजरअंदाज करना भी किसी काम नहीं आ रहा था, क्योंकि उत्पीड़न और मजाक दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा था। फिर एक दिन जेंडर, रिलिजन और कास्ट पर एक लेक्चर के दौरान, हमारे टीचर बता रहे थे कि हम सभी समान हैं चाहे हम किसी भी जेंडर के हों। उनकी बात सुनने के बाद मैंने भगवान से कहा कि मैं खुद को उनके सामने सरेंडर करता हूँ।

मैं प्रिटेंड कर कर के थक चुका था और अब बस अपने असली रूप मैं रहना चाहता था ।तो उसी टीचर के अगले लेक्चर में, मैंने क्लॉस के सभी 46 बच्चों के सामने खड़े होकर कह दिया कि मैं गे हूँ।जैसे ही मैंने ये बात कही, मैं रोने लगा। मैं डरा और घबराया हुआ था, लेकिन अब मैं कह चुका था ।पूरी क्लास के लिए मेरा सच बाहर आ चुका था|कुछ पल के लिए क्लॉस में पूरी तरह से सन्नाटा छा गया।

कुछ पल की शान्ति के बाद अचानक पूरी क्लास बच्चों और टीचर की तालियों की आवाज़ से गूंज उठी । पूरी क्लास मेरे साथ खड़ी थी, मेरी सच्चाई की प्रशंसा कर रही थी। जल्द ही पूरे स्कूल को पता चल गया और लोग मेरे पास आकर मेरी हिम्मत की दाद देने लगे ।

उसी दिन मैंने अपनी माँ से भी खुलकर बात की । वह हैरान थीं, पर मेरा भाई ये सुनके मुझसे  कुछ नाराज़ था । लेकिन मैं भगवान का आभारी हूं क्योंकि मेरी माँ ने मुझे मेरी सच्चाई के साथ एक्सेप्ट किया । उसने रोते हुए मुझे यह कह कर गले लगा लिया कि वह मुझसे प्यार करती है और हमेशा मेरा साथ देगी चाहे जो भी हो।


मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि इस दुनिया में कई लोग हैं जो अलग-अलग हैं। वे काले, मोटे, गरीब, महिलाएं या एलजीबीटीक्यू हो सकते हैं।इसलिए मुझे लगता है कि लोगों का साथ देने का सबसे अच्छा तरीका प्यार है।प्यार तो प्यार है।यह मेरे जीवन का शीर्षक भी है।

यह कहानी को पहली बार 17 अप्रैल, 2020 को गेलेक्सी वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था। गेलेक्सी भारत की प्रमुख LGBTQ ई-पत्रिका है जो अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध है.

 

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