प्राइड मंथ कौन मनाता है?
प्राइड से जुड़े कार्यक्रम सभी लोगों के लिए हैं जो अपनी लैंगिक पहचान को मुख्यधारा से अलग मानते हैं। लेकिन उनके समर्थन के लिए कोई भी इन कार्यकर्मो में शामिल हो सकता है।
LGBT लेस्बियन, गे, बायसेक्सुअल और ट्रांसजेंडर का संक्षिप्त रुप है। इस शब्द को कभी-कभी LGBTQ, या LGBTQIA तक विस्तृत किया जाता है, जिसमें क्वीर, इंटरसेक्स और अलैंगिक (asexual) लोग शामिल होते हैं। एलजीबीटी के अर्थ के बारे में अधिक जानने के लिए इस आर्टिकल को पढ़ें।
भारत में पहला प्राइड मार्च कब आयोजित किया गया था?
2 जुलाई 1999 को आयोजित कोलकाता रेनबो प्राइड वॉक (KRPW) न सिर्फ भारत बल्कि दक्षिण एशिया में सबसे पुराना प्राइड मार्च / वॉक है। कोलकाता में पहला प्राइड मार्च 2 जुलाई 1999 को आयोजित किया गया था। उस समय इसे फ्रेंडशिप वॉक कहा जाता था जिसमें कोलकाता, मुंबई और पुणे से सिर्फ पंद्रह प्रतिभागी शामिल हुए थे।
भारत में अब प्राइड मार्च की क्या स्थिति है?
प्राइड परेड अब भारत के कई शहरो में होती है जैसे की दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु। 2017 के मुंबई मार्च में 17,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
बंगलौर में 'बेंगलुरु नम्मा प्राइड मार्च' की तरह ही दिल्ली में 2008 से हर साल प्राइड मार्च का आयोजन किया जाता है। 2009 से हर साल जून में 'चेन्नई रेनबो प्राइड' आयोजित किया जाता है।
हालांकि, कई शहर अन्य महीनों में भी इसका आयोजन करते हैं, जैसे कि भुवनेश्वर ने 2009 में अपनी पहली प्राइड परेड आयोजित की और अब हर साल सितंबर में इसका आयोजन किया जाता है। केरल, भोपाल सूरत, हैदराबाद, चंडीगढ़, गुवाहाटी, भवानीपटना (ओडिशा), गुरुग्राम और यहां तक कि देहरादून में भी हर साल प्राइड मार्च का आयोजन होने लगा है।
प्राइड का अर्थ क्या है?
प्राइड सभाओं का इतिहास अल्पसंख्यक समूहों से जुड़ा हुआ है जो सदियों से अपने प्रति हो रहे भेदभाव के खिलाफ और अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
प्राइड नाम कैसे पड़ा?
इस आंदोलन को 'प्राइड ’कहने का सुझाव 1970 में समलैंगिक कार्यकर्ता एल क्रेग शूनमेकर ने दिया था। उन्होंने 2015 में दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि, “बहुत से लोग आवाज़ नहीं उठा पा रहे थे, वे अंदर ही अंदर संघर्ष कर रहे थे और उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि खुद को समलैंगिक साबित कर गर्व कैसे महसूस करें। यह आंदोलन बहुत उपयोगी साबित हुआ, क्योंकि इससे उन्हें यह एहसास हुआ कि 'शायद मुझे इस बात का गर्व होना चाहिए।”
प्राइड मंथ की शुरुआत कैसे हुई?
28 जून, 1969 को पुलिस ने न्यूयॉर्क के ग्रीनविच विलेज के ‘स्टोनवेल इन’ नामक एक गे बार पर छापा मारा। पुलिस ने जब लोगों को गिरफ्तार करना शुरू किया तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। न्यूयॉर्क के समलैंगिक समुदाय, जिसे कई वर्षों तक पुलिस और अधिकारियों द्वारा उत्पीड़न और अपमान सहना पड़ा, ने विद्रोह कर दिया। उस दिन शुरू हुआ यह संघर्ष तीन दिनों तक चला।
इस लड़ाई से न केवल संयुक्त राज्य अमेरिका में समलैंगिक आजादी के आंदोलन की शुरूआत हुई, बल्कि सभी राष्ट्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया।
इंद्रधनुषी झंडा (रेनबो फ्लैग) कहां से आया?
1978 में आर्टिस्ट और डिजाइनर गिल्बर्ट बेकर ने सैन फ्रांसिस्को के प्राइड समारोह के लिए पहला रेनबो फ्लैग बनाया। इंद्रधनुष के रंग समलैंगिक समुदाय के भीतर कई समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं - जैसे बाइसेक्सुअल, पैनसेक्सुअल और असेक्सुअल।
प्राइड मंथ कैसे मनाया जाता है?
पूरे जून भर क्वीर समुदाय में विविधता और समानता को व्यक्त करने के लिए रंगीन परेड, कंसर्ट और मार्च निकालकर प्राइड मंथ मनाया जाता है। ग्लोबल प्राइड डे 27 जून को मनाया जाता है।
हालांकि 2020 में COVID-19 महामारी के कारण सामाजिक दूरी के नियमों को बनाए रखने के लिए बहुत सारे उत्सवों को ऑनलाइन आयोजित किया जाएगा।
प्राइड परेड का अर्थ क्या है?
प्राइड परेड को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे - प्राइड मार्च, प्राइड इवेंट और प्राइड फेस्टिवल। ये कार्यक्रम आमतौर पर बाहर (आउटडोर) आयोजित किए जाते हैं।
अगर मैं LGBTQIA + नहीं हूं तो क्या मैं प्राइड कार्यक्रमों में भाग ले सकता हूं?
हां, बिल्कुल! भले ही आप LGBTQIA + समुदाय से संबंधित नहीं हैं, लेकिन उनके समर्थन में आना चाहते हैं तो आप एक दोस्त के रूप में समारोह में शामिल हो सकते हैं। समुदाय को अपना दोस्त मानकर उन्हें समर्थन करने, सुनने और उनके जीवन के बारे में अधिक से अधिक जानने का यह बेहतर अवसर है। समुदाय के सहयोगी कैसे बनें, इस बारे में जानने के लिए हमारा आर्टिकल पढ़ें।