26 साल के अभिषेक दिल्ली में एक एनजीओ के साथ काम करते हैं।
सहमति की राह
मैं 14 साल का था जब मेरी पहली गर्लफ्रेंड बनी। हां, वही वक़्त, जब आपको किसी एक लड़की से बात करते हुए नोटिस किया जाने लगता है और अचानक से लोग आपको बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड बुलाने लगते हैं! तो यूँ बनी मेरी पहली गर्लफ्रेंड!
मुझे पता नहीं था कि ऐसे रिश्ते कैसे निभाए जाते हैं? इनमें क्या करना होता है। वैसे भी पहले के समय में इस बारे में कोई आपको नहीं सिखाता था। जो कुछ भी जानकारी थी वो कुछ किताबों से थी (स्कूल की किताबों नहीं, बल्कि वह जिन्हें आप सभी से छिपाते हैं) और कुछ बॉलीवुड और हॉलीवुड फिल्मों से, जिनकी कहानी दिमाग में घूमती रहती थीं। एक बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड को क्या करना चाहिए, बस वही से नक़ल किया करते थे!
जल्द ही दोस्त लोग पूछने लगे क्या हुआ? बात कहां तक पहुंची? मैंने उसे किस किया या नहीं? अगर मैं मना करता तो सबके सामने मेरा मज़ाक उड़ाते। इससे मुझ पर दबाव बनने लगा। मुझे लगा कि मुझे अपने रिश्ते को आगे ले जाने के लिए कुछ करना चाहिए।
इसलिए एक दिन, जब हम विज्ञान प्रयोगशाला में ए क प्रयोग पर काम कर रहे थे, मैंने उसे पीछे से छुआ। मैंने सोचा कि एक फिल्म से नक़ल किया हुआ ये मूव उसे खुश कर देगा! लेकिन हुआ उलटा| वह सिहर कर पीछे हट गई। यह अजीब था| इतने वर्षों के अनुभव से मैंने जाना कि यह मेरी गलती थी।
नया और बेहतर मैं
21 साल की उम्र में मैंने एक एनजीओ के लिए काम किया और तब मैंने जाना कि किसी भी रिश्ते को निभाने के लिए अधिकार के साथ सहमति की भी जरूरत होती है| मैं अंकिता नाम की लड़की के साथ मूवी डेट पर गया। मूवी देखते समय मुझे ऐसा लगा कि उसका हाथ पकड़ लूँ। दो घंटे-तीस मिनट की फिल्म में, मुझे उससे पूछने में लगभग दो घंटे लगे, कि क्या मैं उसका हाथ अपने हाथ में ले सकता हूं?
अंकिता इस बात से बहुत इम्प्रेस हुई कि मैंने उससे हाथ पकड़ने की अनुमति मांगी। वास्तव में इस वाकये ने एक दिलचस्प चर्चा को जन्म दिया। उसने कहा पहले वह ऐसी कुछ डेट पर गई थी जहां गले लगाने या किस के पहले लड़कों ने पूछा नहीं, बस आगे बढ़ गये। उसने कहा कि किसी फिल्म या डेट के लिए हां कहने का मतलब यह नहीं है कि आप उससे आगे बढ़ने को भी तैयार हैं।
मैं बहुत खुश था। मैं अब उन सभी लड़कों से अलग था, जिनसे अंकिता पहले मिली थी। मुझे बड़ी सीख भी मिली की कि लड़कियों से हमेशा, हर कदम पर, हर कदम के बारे में पूछकर आगे बढ़ना चाहिए! भले ही वो हाथ पकड़ना हो या किस करना हो।
पूछे या नहीं!
अंकिता और मैंने नियमित रूप से डेटिंग शुरू कर दी। जल्द ही हम एक-दूसरे के प्रति काफी आकर्षित महसूस करने लगे।
एक दिन, जब मैं और वो बिस्तर पर बैठे थे, मैंने पूछा, क्या तुम्हे किस कर सकता हूं? उसने हाँ कहते हुए सहमती में अपनी गर्दन हिलाई और हम दोनों की दूरियां कम होने लगीं| हम एक दूसरे को पैशन से किस कर रहे थे कि तभी मैंने खुद को रोकते हुए उससे पूछा क्या हम और आगे बढ़ सकते हैं?
उसने कुछ कहा, जो मैं सुन नहीं पाया। मैं फिर खुद को रोकते हुए उसकी सहमती का इंतजार करने लगा।
तभी कुछ ऐसा हुआ जिसके लिए मैं बिलकुल तैयार था!
उसने मेरे गाल पर एक थप्पड़ रसीद किया और उठकर कपड़े सम्भालती हुई बोली, ‘तुम बहुत ज्यादा बोलते हो! सारा मूड ही बिगाड़ दिया।’
मेरे हैरान चेहरे को देखते हुए, उसने कहा, ‘तुम्हारी बकबक के चक्कर में हमने वो मोमेंट मिस कर दिया!'
‘क्या! लेकिन मैं तो सिर्फ तुम्हारी अनुमति के लिए पूछ रहा था!’
मैं सोचने लगा की जब मैंने उससे हाथ पकड़ने के लिए परमिशन मांगी थी तब वो कितनी खुश हुई थी और अब इतना गुस्सा? यह मेरी समझ से परे था! मुझे समझ ही नहीं आया कि अब ऐसा क्या बदल गया?
जब मैंने अपने कुछ दोस्तों से इस बारे में चर्चा की तो वे हंस पड़े। और बोले, ‘यार फ्लो के साथ जाना चाहिए! यह स्कूल थोड़े ही है की हर बात की परमिशन मांगो! '
वो मुझे चिढ़ाते रहे, पर मैं तब भी सोच रहा था, कि क्या मैंने जो किया सही था या सच में मुझे फ्लो के साथ जाना चाहिए था?
हां, यह कंफ्यूज़िंग भी है और लाख टेक का सवाल भी। मुझे नहीं लगता कि हम यह मान सकते हैं कि हम जो चाहते हैं, हमारा साथी भी उसके लिए तैयार हैं! लेकिन फिर मेरे जैसे लोग नहीं जानते कि इसके बारे में क्या किया जाए और पूरे पल को खराब होने से कैसे रोका जाए!
मेरे रिश्ते के साथ जो हुआ, वह एक अलग कहानी है, लेकिन मैं अब भी मानता हूं कि रिश्ते में आगे बढ़ने से पहले एक साथी की अनुमति प्राप्त करना ज़रूरी है। मुझे सिर्फ यह पता लगाने की ज़रूरत थी कि यह सब बिना मूड ख़राब किये बिना कैसे किया जाए!
मंत्र मिल गया
अंकिता के बाद, मैं कई और डेट्स पर गया। और अब मैं सहमति को बेहतर समझने लगा हूं। या यूं कहें कि मैं जान गया हूं कि इसे कैसे बेहतर तरीके से पूछा जाए।
वास्तव में, मैंने सहमति को फोरप्ले का एक ही स्टेप बना लिया है। सहमति के लिए पूछना मेरे लिए उत्तेजना बढ़ने एक हिस्सा है और इस तरह सहमति की प्रक्रिया किसी का भी मूड बिगड़ने नहीं देती।
अंकिता के साथ हुए उस अनुभव ने मुझे इस ज़रूरी स्टेप को संभालने के कुछ तरीके सिखाए, जिनका उपयोग मैं सहमति के लिए (बिना थप्पड़ खाये!) करता हूँ - और लीजिये आज मैं इन्हें आपके साथ भी शेयर करता हूँ!
- क्या मैं आपका हाथ पकड़ सकता हूं?
- क्या तुमको किस कर सकता हूं?
- क्या तुम इसके लिए तैयार हो?
- क्या मैं रुक जाऊं?
- अगर मैं तुम्हारी शर्ट / टॉप उतारूं तो बुरा तो नहीं लगेगा?
- क्या तुम्हें इसमें मजा आ रहा है?
- क्या तुम सेक्स करना चाहती हो?
- क्या मैं तुम्हारे मीठे अमृत का स्वाद ले सकता हूँ?
- क्या आप गुदा (एनल) सेक्स में सहज हो? '
- क्या तुम्हारे पास कॉन्डोम है?
आशा करता हूँ की आप अब समझ गये होंगे कैसे सहमति लें और थप्पड़ से भी बचें! जाते जाते, बस यही कहूँगा कि - इसे सरल रखें!
एक बात और - 'नहीं', 'शायद,' और 'नॉट श्योर' - इन सभी का मतलब नहीं ही होता है! ठीक है न!
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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