20 साल की शीतल दिल्ली में स्टूडेंट है।
बोर्ड की परीक्षा का दबाव मेरे दिमाग पर बहुत हावी था। बस कुछ भी करके परीक्षा में पास होना था। लेकिन स्कूल और घर में मेरी बड़ी बहन के पढ़ाने के बाद भी गणित की टेंशन मुझे बहुत सता रही थी। इसलिए मैंने स्कूल के बाद एक प्राइवेट कोचिंग ज्वाइन कर लिया। स्कूल से घर आने और खाना खाने के बाद में सीधा कोचिंग के लिए भागती।
कुछ ही दिनों में गणित की टेंशन कुछ कम होने लगी थी। और मुझे भी लगने लगा की चलो परीक्षा को देख लेंगे। लेकिन इस बीच कुछ ऐसा हुआ जिसने मुझे कोचिंग छोड़ने के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया।
कोचिंग के रास्ते वाले चौक पर स्कूटी पर एक दिन तीन लड़कों के एक गुट ने मुझे देख कर अश्लील इशारे करना शुरू कर दिया। मैं यह सब नज़रअंदाज़ कर चुपचाप अपने रास्ते बढ़ती। लेकिन आते-जाते उनकी बतमीज़ियाँ बढ़ने लगीं। मैंने अपना रास्ता बदल लिया जिसमें कॉचिंग पहुँचने में मेरा बहुत ज्यादा समय लगता। लेकिन मुझे बहुत राहत-सुकून था कि उन मवाली लड़कों से मेरा पीछा छूटा।
लेकिन यह सुकून भी ज्यादा दिन नहीं ठहरा और पता नहीं कैसे उन्होंने अपनी स्कूटी की बैठक बिलकुल मेरे कोचिंग वाले समय पर वहाँ भी लगाना शुरू कर दी। और फिर से 'वो देखो माल', 'हमें भी पढ़ा दो', 'आज तो नीला दुपट्टा', 'फिगर का साइज़ तो बता दो' सुनने को मिलते रहे।
अकेली न बाज़ार जाया करो
मेरा अब न पढ़ाई में मन लगने लगा न ही मैं अपनी परीक्षा पर फोकस कर पा रही थी। उन लोगों की हरकतें हर समय बस मेरे दिमाग में घूमती रहती। एक दिन मैंने ठान लिया कि आज मैं उन्हें जवाब देकर रहूँगी।
अगले दिन उनकी ऐसी ही किसी टिप्पणी पर मैंने उन्हें अपने अपनी बकवास बंद करने को कहा। अगल-बगल के लोग जमा हुये और उन्होंने मुझे ही समझाना शुरू कर दिया। एक महिला ने कहा 'इनका रोज़ का काम है, पागल है! तुम छोड़ो इन्हे '
एक अंकल बोले 'तुम किसी के साथ आया-जाया करो इनकी हिम्मत नहीं होगी।’
तभी उनमें से एक लड़के ने ज़ोर से गाना शुरू दिया ‘अकेली न बाज़ार जाया करो’ और इस पर वो सब लड़के ज़ोर से ताली और सीटी बजा कर हंसने लगे। उस दिन मेरा मन इतना उदास हो गया कि मैं कहीं और जाने की जगह सीधा अपने घर वापिस चली गई।
दो दिन कोचिंग न जाने के कारण घर वालों ने पूछना शुरू किया। लेकिन अगर मैं यह बात अपने घर में बताती तो मुझे संदेह था कि वो पता नहीं मेरा भरोसा करेंगे या नहीं या मेरे हर जगह-आने जाने पर रोक लगा देंगे।
मेरी दोनों बड़ी बहने जिनकी मैं लाड़ली थी - एक मेरी चचेरी बहन मोनिका और एक सगी बहन किरन - ने जब गणित का हाल पूछा तो मैं फट पड़ी और फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया। इतना मानसिक तनाव मुझे कभी पढ़ाई ने नहीं दिया था जितना उन लड़कों ने मुझे इतने दिनों में दिया। मैं खुद को ही नीची नज़रों से देखने लगी थी। यह सब कुछ मैंने उन्हें बताया। मेरी दोनों बहनें ग़ुस्से से लाल हो गई और उन लड़कों को सबक सिखाने के लिए मुझे साथ चलने को कहा।
हिम्मत ए जनानी तो मदद ए खुदा
मैंने पहले उन्हें बात ना बढ़ाने के लिए कहा लेकिन उनकी बातें सुनकर हिम्मत आयी।अगले दिन दोनों ही अपने ऑफिस जाने की जगह मेरे कॉचिंग के समय मेरे साथ आयी। पहले उन्होंने मुझे आगे जाने दिया और खुद पीछे आने लगी। मुझे फिर देखकर स्कूटी गैंग ने सीटियाँ बजाना, शुरू कर दिया।
मुझे कुछ समझ आता इससे पहले मेरी दोनों बहनें उनकी ओर तेज़ी से बढ़ी और स्कूटी से नीचे उतरने को कहा। मोनिका ने उनकी स्कूटी की हवा निकाल दी।
किरन बोली, 'यह हमारी बहन है, रोज़ यहाँ से कोचिंग जाती है। और आगे भी जाएगी जब उसका दिल होगा तब यहाँ से निकलेगी। तुम लोग यहाँ बैठे लड़कियों, औरतों के साथ जो भी हरकते करते हो उसकी हम अभी एक FIR करवाने जायेंगे और अभी 100 नंबर पर कॉल करेंगे।’ थोड़ी ही देर में यह सब तमाशा देखकर अगल-बगल लोग जमा हो गए।
पहले सब जो उनकी हरकतों का तमाशा देखते थे उन्होंने अपना हाथ साफ़ करने के लिए लड़कों को थप्पड़ रसीद करना शुरू कर दिया। दोनों दीदी ने उन्हें पीछे हटने को कहा और कहा और उनसे पूछा 'आप सबकी दुकानों, घरों के सामने यह लड़के लोग न सिर्फ इस लड़की के साथ बल्कि सबके साथ अभद्रता करते रहे और आप इस मौक़े का इंतज़ार कर रहे थे? यहाँ मार-पिटाई की नहीं लड़कियों के साथ छेड़छाड़ करने के जुर्म में कड़ी करवाई की ज़रूरत है।’
क़ानूनी बातें सुनकर वो लड़के हाथ जोड़ने लगे और माफ़ी की गुहार लगाने लगे।और कहने लगे, ‘बहन, हम तो बस हंसी-मज़ाक करते हैं, FIR क्यों करवा रही हो, पुलिस क्यों बुला रही हो। कहो तो आगे से नहीं करेंगे।’
इस पर मोनिका दीदी बहुत भड़क गई और बोली 'जो तुम्हारे लिए हंसी-मज़ाक है वो कानूनन अपराध है। तो क्यों न लिखवाए हम रपट?’
उनमें से छोटा लड़का बोला, ‘प्लीज पुलिस को कॉल मत करो, आज के बाद यह नहीं होगा।’
बात इतनी बढ़ गई कि उन लड़कों में से दो लड़कों के परिवार वाले भी वहां आ पहुँचे।
अंत में दोनों दीदीयों ने एक शर्त पर वहाँ से जाने और पुलिस को न बुलाने की बात मानी कि अगर वो भविष्य में कभी भी यह हरकत किसी भी लड़की के साथ करते पाए गए तो यह बात फिर खुलेगी।
और आपको बता दूँ कि मैंने उस साल अपनी बोर्ड परीक्षा में दूसरा रैंक हासिल किया था। मैंने दोबारा उन लड़कों को वहाँ तो क्या कहीं भी अड्डा जमाते नहीं देखा। ये हुआ न सोने पे सुहागा!
शीतल ने ये कहानी लव मैटर्स इंडिया के साथ #It’sTimeToAct कैंपेन के अंतर्गत साझा की। इस कैंपेन का मकसद हिंसा या उत्पीड़न के खिलाफ महिलाओं द्वारा लड़ी गयी लड़ाइयों की कहानियों को सामने लाना है।
गोपनीयता का ध्यान रखते हुए नाम बदल दिए गए हैं और फोटो में मॉडल् हैं।
क्या आपके पास भी कोई कहानी है? हम से शेयर कीजिये। कोई सवाल? नीचे टिप्पणी करें या हमारे चर्चा मंच पर विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें। हम Instagram, YouTube और Twitter पे भी हैं!