श्रीनिधि राघवन एक लेखक, अन्वेषक और प्रशिक्षक हैं। वह सेक्सुअलिटी, जेंडर, विकलांगता और टेक्नोलॉजी के समागम में कार्यरत हैं। वह राइज़िंग फ्लेम संस्था के कार्यक्रमों की सह-प्रधान हैं और द क्युरिओ-सिटी कलेक्टिव की सह-संस्थापक हैं।
दोस्तों के साथ छुट्टी
मैं फाइब्रोमायल्जिया से होने वाले निरंतर दर्द के साथ पांच साल से भी ज़्यादा से जी रही हूँ। ऐसा दर्द जो हमेशा रहता है और अक्सर विकलाँग करने वाला होता है। यह पिछले कुछ वर्षों से मेरी ज़िंदगी का एक सक्रिय सदस्य बन गया है और मैं उसे जितना हो सके उतना नियंत्रित करने की कोशिश करती हूँ। और ये अमूमन उन सभी वर्षों का हिस्सा रहा है, जब से मैं ‘एस’ के साथ रिलेशनशिप में हूँ।
तो जब मैं सार्वजनिक रूप से अपने दर्द के बारे में बात करती हूँ और अपने इस कथित साथी, एस, का ज़िक्र करती हूँ , तब मुझसे पूछा जाता है, ‘ओह वह क्या करता है? ओह, क्या उसे तुम्हारी बीमारी के बारे में पता है? ओह, क्या वह अब भी तुम्हारे साथ है?'
मैं मजबूरी में मुस्कुरा कर हामी भर देती हूँ। ये प्रश्न आमतौर पर मुझसे पूछे जाते हैं, मगर बदकिस्मती से, सिर्फ ये ही प्रश्न नहीं हैं! मुझसे ये सब इतनी बार पूछा जा चुका है कि मुझे लगता है कि मेरे एक हिस्से ने इन्हे अपना ही लिया है।
एक साल पहले, एस और मैं दोस्तों के साथ एक छोटी सी ट्रिप पर गए थे। यह हम दोनों की, एक दूसरे के अलावा, किसी और के साथ पहली यात्रा थी। मुझे थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी। मैं अपनी इस अनिश्चित और अप्रत्याशित बीमारी और विकलांगता की वजह से, अपने से कम नज़दीकी लोगों के साथ, इस तरह यात्रा पर कम ही जाती हूँ।
मुझे अक्सर ब्रेक की आवश्यकता होती है, मैं अचानक दर्द में बिलबिलाने लगती हूँ और जल्दी सो जाने की वजह से अक्सर ग़ैर सामाजिक मान ली जाती हूँ। वैसे भी, बहुत कम लोग यह जानते हैं कि मेरी स्थिति कभी कभी कितनी ख़राब हो जाती है। हां, एस मेरी स्थिति को बहुत अच्छी तरह जानता हैं।
मैंने बहुत हिचकिचाहट के बाद दोस्तों के साथ इस यात्रा पर जाना तय किया था। मेरी सामान्य स्फूर्ति को इस अदृश्य और लगातार होने वाले दर्द के साथ जोड़ना मुश्किल है। मगर असल में ये दोनों साथ साथ चलते हैं। छोटे छोटे ब्रेक लेना और इस विषय में मौन रहना इससे जूझने का मेरा तरीका था। यात्रा से पहले हुई चर्चा में, उसने मुझे आश्वस्त किया कि मैं अपनी मर्ज़ी से रह सकती हूँ और जब चाहे सो सकती हूँ। मैंने हामी भरते हुए जाने का निश्चय किया।
सब हमारे रिश्ते का हिस्सा
हमारी यात्रा पर, मैं शाम को देर से पहुंची और हम रात बिताने के लिए अपने विरामस्थल की तरफ बढ़ गए। यात्रा के एकदम बाद, मेरी नींद की ज़रुरत को जानते हुए, हम तुरंत ही निढाल हो गए। अगले दिन से हमें उसके दोस्तों के साथ बीच पर समय बिताना था। हालाँकि, हम कई वर्षों से साथ थे, मैं उसके ज़्यादातर दोस्तों से नहीं मिली थी।
मैं घबरा रही थी खासतौर से इसलिए कि मैं नहीं चाहती थी कि कोई मुझ पर दया करे; मेरी बीमारी और विकलांगता के लिए वो आह भरी आम प्रक्रिया दें। मेरी किताबें, मेरी दवाएं और मेरी सुरक्षा का सारा सामान, सब कुछ यात्रा शुरू करते हुए मेरे साथ था। वह, जैसी कि उसे आदत थी, हर कुछ घंटों में मुझसे मेरी तबियत के विषय में पूछ लेता था और धीरे से कह देता था कि जब मेरा मन हो , मैं सोने चली जाऊं। यह मेरे लिए आश्वस्त करने वाली बात थी।
इतने साल मेरे साथ रहते रहते, उसे मेरी थकान और दर्द के हलके संकेतों का आभास होने लगा था। समन्दर के किनारे एक शाम, धूप में घूमने के बाद, मेरे आधे सर में दर्द होने लगा। फिर भी जब तक बन पड़ा, बिस्तर जाने से पहले, मैं सब के साथ बैठी रही। फिर जब मैं उठी, काफी जल्दी ही था, शायद शाम के छह बजे होंगे। मगर, एस ने कहा ठीक है, और मेरे गाल पर हलके से किस करके अपने दोस्तों के साथ रात के खाने के लिए बाहर चला गया।
जल्दी सोना, अपनी दवाओं के साथ एलकोहॉल ना पीना, खाना तभी जब मैं खा पाऊं , दुखी होने पर बहुत ज़्यादा मीठा खाना और नींबू सोडा पी कर सर दर्द को कम करना आदि हमारे रिश्ते का हिस्सा थे। वह रिश्ता जो हमने बहुत ध्यान और निश्चित ही अनगिनत बहस के साथ बनाया था।
आसान नहीं 'तौर तरीकों' को चुनौती देना
'हमें अपने चारों ओर एक ही तरह के रिश्तें नज़र आते हैं। नियमित रूमानी रात वाली डेट्स, जो अक्सर बाहर होती है...एक साथ ट्रिप्स, वक़्त-वक़्त पर सेक्स और बहुत सी ऐसी युगल जोड़ो वाली बातें। ऐसी कई चीज़ें हमारे लिए फिट नहीं बैठती और मेरी विकलांगता ने इन्हे और भी मुश्किल बना दिया था। ऐसे ‘तौर तरीकों’ को चुनौती देना आसान नहीं, जिन्हे समाज ना केवल स्वीकृति देता है, बल्कि पुरस्कृत भी करता है’।
इतने साल एक साथ रहते हुए, हमें अपनी प्रेम की भाषा को बहुत ध्यान से निर्मित करना पड़ा जिसमें वोलिनी, गर्म पैक , घर का बना स्वादिष्ट भोजन, पार्क में सैर और इस तरह के मुश्किल प्रश्न जैसे, ‘क्या तुमने अपनी दवाएं ले लीं?’ आदि शामिल थे।
इस बीमारी ने मुझे सकते में डाल दिया और निश्चित ही हमारे रिश्ते को भी। इसका हमारे रिश्ते का एक हिस्सा ना होना मुश्किल था। जब यह मेरी लाइफ का इतना बड़ा हिस्सा थी, क्या मैं एस को सच में इससे दूर रख सकती थी?
किसी किसी दिन, हम इसका ज़िक्र बिलकुल नहीं करते हैं और रात के खाने के लिए , ड्रिंक के लिए बाहर जाते हैं (हममें से कोई भी ज़्यादा नहीं पीता है) और जल्दी वापस आ जाते हैं। बाकी दिन, हम में से कोई, दूसरे की पसंद का खाना बनाता है और हम उसे अपने बिस्तर पर बैठ कर हेडसेट लगा कर अपने पसंदीदा टीवी प्रोग्राम देखते हुए खाते हैं। ख़ामोश मौजूदगी। उँगलियों की छुअन। और साथ देने के लिए गर्म पैक।
लव मैटर्स के सहयोग से राइजिंग फ्लेम प्रेम, अंतरंगता, रिश्तों और अक्षमता पर निबंधों की एक श्रृंखला ला रहा है। ‘दिल-विल, प्यार-व्यार’ अक्षम महिलाओं की आवाज़ को आगे बढ़ाने का एक प्रयास है। कुछ ऐसे कहानियाँ जो शायद ही मुख्यधारा में प्यार पर होने वाली चर्चाओं में शामिल की जाती है। फरवरी में हम डिसेबल्ड महिलाओं द्वारा लिखित चार कहानियाँ प्रकाशित करेंगे, जिससे हमें उनके जीवन में झांककर उनके सपने और प्यार की संभावनाओं की उम्मीद देखने को मिलेगी।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है।
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