'हमें अपने चारों ओर एक ही तरह के रिश्तें नज़र आते हैं। नियमित रूमानी रात वाली डेट्स, जो अक्सर बाहर होती है...एक साथ ट्रिप्स, वक़्त-वक़्त पर सेक्स और बहुत सी ऐसी युगल जोड़ो वाली बातें। ऐसी कई चीज़ें हमारे लिए फिट नहीं बैठती और मेरी विकलांगता ने इन्हे और भी मुश्किल बना दिया था। ऐसे ‘तौर तरीकों’ को चुनौती देना आसान नहीं, जिन्हे समाज ना केवल स्वीकृति देता है, बल्कि पुरस्कृत भी करता है’ श्रीनिधि राघवन ने राइज़िंग फ्लेम को अपनी कहानी बताते हुए कहा।
कभी-कभी साधारण चीज़ों की चाह सबसे ज्यादा होती है, और मैं चाहती थी कि उसका ध्यान मेरी ओर हो। मैंने उसे या किसी और को कभी नहीं बताया कि मुझे कैसा महसूस होता है पर मैं मन ही मन उससे प्यार करती थी। मेरी ज़िन्दगी उस तमिल गाने ‘कनाबाथेलम ... कधालाड़ी’ (मैं जो भी आस-पास देखती हूँ, सब प्यार जैसा लगता है) के जैसी लगने लगी थी। डॉक्टर दीपा वी. राइजिंग फ्लेम से अपनी कहानी बताते हुए कहती हैं।
‘हे ब्यूटीफुल’ जैसे मेसेजेस से दिन की खूबसूरत शुरुआत होना, विडिओ कॉल पर निहारे जाना, वो भी जब मैंने ठीक से काजल तक न लगाया हो... मुझे खुद से प्यार होने लगा था’... जब आप किसी डिसेबिलिटी के साथ जीते है, तो आप चाहते हैं कि आपकी जिन्दगी में कोई ऐसा आये जो आपको आपकी डिसेबिलिटी के साथ प्यार करें, ना की उसके बावजूद। श्वेता ने राइजिंग फ्लेम के साथ अपनी कहानी साझा की।
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