मैं औरंगाबाद में एक पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ता हूँ। आज मुझे अपने गे होने पे कोई संकोच या शर्मिंदगी नहीं है, परन्तु मैं हमेशा ऐसा नहीं सोचता था। यहाँ तक का मेरा सफर इतना भी आसान नहीं था, और न ही आगे का सफर आसान होने वाला है। आज मैं अपनी जीवन कथा आप सब के सामने रखना चाहता हूँ।
मैं जब 10 साल का था तब हमारे पड़ोसी के 16 साल के लड़के ने एक दिन मुझे अपने घर पे टीवी देखने के बहाने बुलाया।मेरे घर पर उस वक़्त टीवी नहीं हुआ करता था तो मैंने हाँ कर दी। टीवी देखते-देखते थोड़ी ही देर बाद वह मेरे कंधे पे हाथ दाल के बैठ गया। फिर कुछ देर के बाद उसने मुझे चूमने की कोशिश की, तो मैंने उसे पीछे धकेल दिया। परन्तु उसने मेरे साथ ज़बरदस्ती की। मैं बहुत डर गया था और वहाँ से भाग कर घर आ गया, पर घर पर मैंने किसी को कुछ नहीं बताया।
मुझे ‘नॉर्मल’ कर दो
फिर धीरे-धीरे मैं बड़ा होने लगा। जब मैं 12-13 साल का हो गया, तो मेरे सारे दोस्तों को लड़कियाँ पसंद आने लगी थी, परन्तु मेरे अंदर ऐसी कोई भावना नहीं उत्पन्न हो रही थी। जब मैं 14 वर्ष का हुआ, तब मेरे स्कूल के प्रिंसिपल पर मेरा क्रश होने लगा। मुझे यह बहुत अजीब लग रहा था क्योंकि मैं अपने सपनों में उनके साथ वही सब करने की इच्छा करता जो मेरे उसे पड़ोसी ने मेरे साथ किया था। मुझे यह बहुत ही गन्दा लगता और मैं जब भी मंदिर जाता, तो भगवान से एक ही विनती करता की मुझे ‘नॉर्मल’ कर दे। पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। जैसे-जैसे मेरी उम्र बढ़ी, वैसे-वैसे मेरी भावनाएँ और आकर्षण बढ़ते गए। मुझे बहुत अजीब लगता था, पर जब भी मेरे अंकल या पड़ोसी या प्रिंसिपल मेरी पीठ पे हाथ रखते या फिर पीठ थपथपाते तो मुझे बहुत अच्छा लगता था।
मैंने अपने बचपन के घनिष्ठ मित्र को भी अपनी इन भावनाओं के बारे में नहीं बताया था क्योंकि मुझे लगता था की वह मुझपे हँसेगा और हमारी दोस्ती टूट जाएगी। बचपन से ही मैं पढ़ने में काफी होशियार था और जब 10th की परीक्षा में मेरे 80% अंक आए, तो मैंने औरंगाबाद के पॉलिटेक्निक कॉलेज में इलेक्ट्रिकल ब्रांच में भर्ती ली और अपनी बड़ी बहन और जीजा के साथ रहने लगा।
मैं एक छोटे से गांव के एक मध्यम वर्गीय परिवार से हूँ और हमारे पास उस समय सिर्फ एक 2G फ़ोन ही हुआ करता था, जिससे केवल कॉल्स आ जा सकतीं थीं। कॉलेज जाने पर मेरे बड़े भाई ने मुझे स्मार्टफोन दिया। इससे मेरे जीवन में बहुत बड़ा बदलाव आया। व्हाट्सप्प पे कॉलेज के एक दोस्त ने मुझे एक पॉर्न मूवी भेजी, और इससे मुझे ख्याल आया की क्यों ना मैं गूगल पे सर्च करूँ? सर्च करने पर मुझे 2 पुरुषों के आपस में सेक्स करने की वीडियो मिली, और तब मुझे पहली बार एहसास हुआ की मेरे जैसे और बहुत लोग हैं और मैं अकेला नहीं हूँ। गूगल से मुझे यह भी पता चला की ऐसे लोगों को गे कहते हैं।
हाँ मैं गे हूँ
फिर मैंने यूट्यूब पे भी सर्च करना शुरू कर दिया और वीडियोस देख-देख कर मेरा इस विषय पर ज्ञान काफी बढ़ा और अपने बारे में मुझे काफी कुछ एहसास हुआ। अब मैं जान चूका था की मैं गे हूँ। शायद आपको मेरी कहानी पढ़ कर यह लगा रहा होगा की बचपन में मेरे साथ हुए हादसे के कारण मैं गे हो गया।पहले मुझे भी यही लगता था, पर गूगल से पूरी जानकारी मिलने पर मेरा यह संदेह दूर हो गया था। मैं गे हूँ, और मैं ऐसा किसी और के कारण नहीं हूँ।
अब जब मैं मंदिर जाता हूँ तो भगवान से अपने आप को ‘नॉर्मल’ बनाने की प्रार्थना नहीं करता, क्योंकि मुझे पता चल चूका है की मैं ‘नॉर्मल’ हूँ, और लोगों की सोच गलत है।अब मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ की मेरा परिवार मुझे अपना ले और मुझे समझ सके।
कॉलेज के 2nd Year में आने के बाद पता चला की मेरे सभी दोस्तों की गर्लफ्रेंड है और अकेला मैं ही सिंगल था। मेरे दोस्त अक्सर मुझे कहते की मैं भी एक गर्लफ्रेंड बना लूँ, पर मैं मना कर देता। परन्तु मुझे एहसास होने लगा की काश मेरा भी कोई बॉयफ्रेंड हो। किन्तु यह बहुत मुश्किल था, क्योंकि मुझे 40 वर्षीय या उससे उमरदार लोग पसंद आते थे। परेशानी यह भी थी की कोई मुझे मिल भी गया तो यह कहेगा की तुम बहुत छोटे हो। दूसरी दिक्कत यह थी की कैसे अपने पसंद के पुरुष को मैं तलाशता?
एक बार फिर से यूट्यूब और गूगल के माध्यम से मुझे विभिन्न गे एप्पस के बारे पता चला – ब्लूड , टिंडर, रोमियो। मैंने तुरंत सबमें अकाउंट बना लिया। मेरी उस वक़्त उम्र 17 साल 4 महीने की थी, और इन सभी एप्पस में 18 वर्ष से काम आयु के होने पर अकाउंट नहीं बना सकते थे, किन्तु मैंने अपनी उम्र 18 वर्ष बता कर अपना अकाउंट बना लिया।
बॉयफ्रेंड तलाशना
अब मैंने इन सभी एप्प्स पर बॉयफ्रेंड तलाशना शुरू कर दिया, और इन सभी एप्प्स में मुझे 4-5 आदमी मिले जो 40+ के थे और देखने में भी सुन्दर थे। मैंने इनसे बात करना शुरू की, और सभी ने मेरी तस्वीर माँगी। काफी डरते डरते मैंने अपनी फोटो उनको दी, 2-4 दिन बात भी हुई, पर फिर सबने मुझसे मेरे ‘लाइक्स’ पूछना शुरू कर दिया। ‘तुम बॉटम हो? या टॉप हो? आर यू वर्सटाइल? क्या तुम स्लिम हो?‘
सब बस यही सवाल करते। तब मुझे इन सब के बारे कुछ भी नहीं पता था, और सच कहूँ तो अब भी नहीं पता है की टॉप, बॉटम, वर्सटाइल क्या होता है। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, और एक-एक कर सबने मुझे ब्लॉक कर दिया। अब मुझे यह बात समझ आ चुकी थी की यहाँ कोई बॉयफ्रेंड नहीं मिलेगा।
इसलिए अब मेरी भगवान से दो ही विनतियाँ है – पहली यह की मुझे सच्चा प्यार करने वाला साथी मिले, और दूसरी यह की मेरा परिवार मुझे पूर्ण रूप से स्वीकार करे क्योंकि बहुत जल्द ही मैं उन्हें सब कुछ बताने वाला हूँ अपने बारे में।
आई ऍम गे एंड नॉर्मल जस्ट लाइक यू।
यह कहानी को पहली बार 15 अप्रैल, 2020 को गेलेक्सी वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था। गेलेक्सी भारत की प्रमुख LGBTQ ई-पत्रिका है जो अंग्रेजी और हिंदी में उपलब्ध है।