* 19 वर्षीय सागरिका दिल्ली में एक छात्रा हैं। वह उभयलिंगी है और एलजीबीटीक्यू समुदाय का सदस्य होने पर बेहद गर्व महसूस करती है।
मेरी गर्लफ्रेंड
जब मैं और सना बोर्डिंग स्कूल में दसवीं कक्षा में थे तभी हम दोनों को यह एहसास हो गया था कि हम एक दूसरे को पसंद करते हैं। मुझे आज भी वह दिन बहुत अच्छे से याद है।
हम एक हफ़्ते की छुट्टी पर घर जाने के लिए स्कूल के गेट से बाहर निकल रहे थे। इससे पहले कि मैं उसे बता पाती कि मुझे उसकी बहुत याद आएगी, उसने ही मुझसे कह दिया कि वह मुझे पसंद करती है। उसने यह भी कहा कि वह उभयलिंगी है और मुझे लेकर उसके मन में प्यार वाली भावनाएं आती हैं।
मैंने उसे बताया कि मैं भी उसे पसंद करती हूं। उस रात के बाद, हम अपने रिश्ते को अगले पड़ाव पर ले गए। मैंने उसे अपनी गर्लफ्रेंड और उसने मुझे अपना माना। मुझे याद है कि उसके बाद मुझे पेट में गुदगुदी का एहसास होने लगा और जब भी मेरा फोन बजता तो मेरे चेहरे पर एक मुस्कुराहट सी आ जाती।
उसे खोने का डर
सब कुछ तब तक ठीक लग रहा था जब तक कि हमने आगे आने वाली उन चुनौतियों के बारे में सोचना शुरू नहीं किया था, जिनका मुझे सामना करना था। सबसे बड़ा चुनौती थी - मेरा परिवार। उन्हें कौन बताता कि मैं एक लड़की को पसंद करती हूं? इसलिए मैं अपने माता-पिता से सना के साथ अपने रिश्ते को लगातार छिपाती रही।
सना और मैं अगले दो वर्षों में काफी करीब आ गए थे और फिर स्कूल छोड़ने का समय आ गया। मुझे उसे खोने का डर सता रहा था। उसने वादा किया कि वह उसी शहर में दाखिला पाने की पूरी कोशिश करेगी।
लेकिन भविष्य के बारे में कौन जानता था?
घर वापस आने के बाद मुझे उसकी बहुत याद आती - हमारी लंबी सैर, गप्पे मारना और खूब सारी मस्ती सहित उसके साथ गुजारे हर पल याद आते। मेरी चाची मेरे बहुत करीब थीं इसलिए मैंने उनसे सना के प्रति अपनी भावनाओं के बारे में बताया। उन्होंने सुझाव दिया कि मुझे अपने मम्मी पापा को इस बारे में बताना चाहिए।
कुछ ऐसा जो बहुत ‘सामान्य’ था
मैं पूरी रात सो नहीं सकी। मेरे मन में बहुत सारे विचार चल रहे थे।
क्या मेरे माता-पिता मेरा समर्थन करेंगे या वे मुझे मनोचिकित्सक के पास ले जाएंगे?
क्या मुझसे व्यंग्यात्मक लहजे में यह तो नहीं पूछा जाएगा कि एक लड़की के साथ मैं बच्चे कैसे पैदा करुंगी?
यह सब सोचकर मैं डर गयी। मैंने अपने जीवन में कभी भी इस तरह का डर महसूस नहीं किया था।
अगली सुबह मम्मी पापा से यह बात बताने से पहले ही मेरी आंखों से आंसुओं का सैलाब उमड़ने लगा। मुझे बोलने में घंटो का समय लगा जबकि मेरे माता-पिता बहुत धैर्य से बैठकर मेरे बोलने का इंतजार कर रहे थे। जब मैंने उन्हें बताया कि मुझे एक लड़की पसंद है तो उन्होंने मुझे ऐसे देखा जैसे मैं कोई पागल हूं।
मुझे डर था कि वे सना को अस्वीकार ना कर दें। लेकिन जब मुझे बाद में यह एहसास हुआ कि वे मुझे इस तरह से सिर्फ़ इसलिए देख रहे थे कि वे हैरान थे कि मैं इतनी सामान्य सी बात पर क्यों रो रही हूं। यह सोचकर आज भी बहुत हंसी आती हैI
सशक्त महसूस कर रही हूं
मेरे पिता ने उस दिन मुझे कसकर गले लगाया और मुझे बताया कि इसमें कोई बुराई नहीं है। मेरी मां ने मुझसे मजाक में कहा कि मैं उन्हें उनकी नई बहू से कब मिला रही हूँ। सब कुछ जानने के बाद भी उनका अपने प्रति इतना प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा। मेरे पिता ने यहां तक कहा कि अगर मैं कभी प्राइड परेड का हिस्सा बनना चाहती हूं तो वह ख़ुशी-ख़ुशी मुझे प्रायोजित करेंगे।
उस दिन, मुझे एहसास हुआ कि सशक्तिकरण कैसा महसूस होता है। यह जानना बहुत सुंदर होता है कि आपके पास ऐसे लोग हैं जो आपके कामों पर विश्वास करते हैं। हालांकि मेरी गर्लफ्रेंड और मैं एक-दूसरे के लिए सही साबित नहीं हुए, फिर भी मैं अपने माता-पिता की शुक्रगुजार हूं कि मैं जैसी हूं उन्होंने मुझे उसी रुप में स्वीकार किया।
सागरिका ने हमारे अभियान #AgarTumSaathHo के लिए लव मैटर्स इंडिया के साथ अपनी कहानी साझा की। इस महीने हम एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को दोस्तों, सहकर्मियों, माता-पिता, शिक्षकों या समाज से मिले / या दिए गए समर्थन, स्वीकृति, प्रेम और सम्मान की कहानियां प्रकाशित करेंगे।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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