शनिवार की सुबह थी। ब्रेकफास्ट ख़त्म करके बैठी ही थी कि दोस्त ने एक कॉमन फ्रेंड के फेसबुक स्टेट्स का स्क्रीनशॉट भेजा। विदेश में रहने वाली उस कॉमन फ्रेंड ने अकेली जीवन बिता रही तलाक़शुदा स्त्रियों और उनके स्त्री विमर्श पर बहुत बुरी टिप्पणी की थी। मैं हतप्रभ रह गयी थी।
मैं ख़ुद भी सिंगल मदर हूँ और उनकी उस टिप्पणी से बिलकुल इत्तेफ़ाक नहीं रखती थी। मैंने उक्त टिप्पणी पर अपना विरोध दर्ज किया। कॉमन फ्रेंड को मेरी बात अच्छी नहीं लगी। उनकी बातों पर ध्यान न देते हुए मैं लगातार फेमिनिज्म पर लिखती रही। यह मेरे फेमिनिज्म की ज़रूरतों पर लिखी टिप्पणियों का असर था अथवा क्या, अचानक से कई कट्टरपंथी पुरुष भी मुझे और ‘मुझ जैसी स्त्रियों’ के विरोध में उतर गए।
उनमें से एक पुरुष ने एक स्त्री विरोधी पोस्ट पर मुझे पॉइंट आउट करते हुए भीषण गालियाँ दीं। वे केवल गालियाँ नहीं थीं, वे चरित्र का प्रमाणपत्र थीं जिसके अनुसार मैं शारीरिक रूप से बिकाऊ हूँ।
‘दिल्ली एन सी आर की सबसे बड़ी कॉलगर्ल, चरसी, लेखकों के साथ लगातार शारीरिक संपर्क बनाने वाली…’
वे गालियाँ जब पहली बार मेरी नज़र के सामने आयीं तो चार घंटे के लिए मैं अपनी जगह से हिल नहीं पायी। तेइस अगस्त की रात मेरे लिए पहाड़ थी।
उगते सूरज के साथ मुझे भी हिम्मत जागी। हम लड़कियां अक्सर इन ट्रोल्ज़ से डर जाती हैं। उन्हें कन्फ़्रंट करना भूल कर ख़ुद को बंद कर लेती हैं। डिप्रेशन के अलग दौर में चली जाती हैं। मुझे यही नहीं करना था।
पुरुष अहम् से भारी हुई बलात्कारी मानसिकता को लगता है इस तरह के शब्द किसी भी स्त्री को अंदर से तोड़ देंगे। मुझे बताना था कि उन्हें ग़लत लगता है।
चौबीस अगस्त को मुझे उस व्यक्ति का नम्बर मिल गया। जान कर थोड़ा आश्चर्य भी हुआ। इस तरह की भाषा का प्रयोग करने वाला वह व्यक्ति राजस्थान के एक निजी विश्वविद्यालय में लेक्चरर था। मैंने पहला संवाद उसके संस्थान के कुलपति से किया। फिर मैंने एक फ़ोन उस व्यक्ति को किया।
ज्यों ही उस व्यक्ति ने फ़ोन उठाया और अपनी पहचान कन्फ़र्म की, मैंने उसे गालियों की बौछार से नहलाया।
हाँ, यहाँ यह ध्यान रखा मैंने कि उस व्यक्ति की तरह माँ-बहन को ना नवाज़ूँ।
सोशल मीडिया पर बलिष्ठ बन रहे और फ़ेमिनिस्ट्स को सरेआम रंडी लिख रहे उस व्यक्ति को उम्मीद नहीं थी कि कोई स्त्री जिसे उसने गालियाँ दी हों वह उसे यूँ कन्फ़्रंट करेगी।
वह फ़ोन पर ग़ज़ब डिनायल मोड में आ गया, पर उसकी अकड़ नहीं गयी।
शाम में कुछ फ़ेमिनिस्ट्स लड़कियों ने उसे घेरा और उससे सहज भाषा में रंडी /कॉल गर्ल शब्द के अर्थ पूछने लगीं। आमतौर पर स्त्रियों को डिजिटल माध्यम में घटिया गालियाँ देकर छुप जाने वाले व्यक्तियों को ऐसी प्रतिक्रियाओं की उम्मीद नहीं रहती।
इसी दरमियाँ उन महाशय ने मुझे रिकॉर्डिंग भेजते हुए मुझे चुप रहने के लिए ब्लैकमेल करने की कोशिश की।
मैंने कहा, ‘मैं खुश हूँ कि किसी सीरीयल अब्यूज़र को गाली दे पायी। तुम इस रिकॉर्डिंग को पब्लिक कर दो। मुझे फ़र्क़ नहीं पड़ता।’
उनकी इस ब्लैकमेल वाली हरक़त के बाद मसला ट्विटर पर गया जहां उनके द्वारा दिए गये स्क्रीनशॉट पर उनकी यूनिवर्सिटी और उनके वीसी तक का नाम आया। ट्विटर पर जैसे ही मसले ने तूल पकड़ा, भाई साहब ने शाम में माफीनामा भेजा। उन्होंने कहा कि वे दो बेटियों के पिता हैं और उनसे ग़लती हो गयी थी।
एक ऑनलाइन ट्रोल को उसकी जगह दिखा दी गयी थी और मैंने बेटियों के हक़ में स्त्री अस्मिता की याद दिलाते हुए एक अच्छा पिता बन कर दिखाने की सलाह दी।
वो शाम सुकून भरी थी। माफ़ करने का संतोष था और एक अपराधी को कन्फ़्रंट करने के अपने साहस पर आत्मगौरव भी।
अणु शक्ति सिंह ने जेंडर-आधारित हिंसा के खिलाफ 16 दिनों की सक्रियता को चिह्नित करने के लिए #It’sTimeToAct अभियान के लिए लव मैटर्स इंडिया के साथ अपनी कहानी साझा की। #It’sTimeToAct का उद्देश्य ऐसी महिलाओं की कहानियों को सामने लाना है जिन्होंने इस तरह की हिंसा या उत्पीड़न के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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