train story
Shutterstock/Vadim Ozz

मैं सेक्स तो करना चाहती थी लेकिन ‘वो वाला’ नहीं …

द्वारा Akshita Nagpal सितम्बर 24, 04:49 बजे
ज़ुबिन और आस्था फोटोशूट के लिए शहर से बाहर गये हुए थे वहीं इन दोनों की पहली मुलाकात हुई। गानों की पसंद एक जैसी होने और घूमने का शौक होने के कारण दोनों में जल्द ही बहुत अच्छी दोस्ती हो गयी। लेकिन ट्रेन में जब दोनों एक दूसरे के करीब आये तो बीच सफ़र में ही कुछ ग़लत हो गया। आस्था ने लव मैटर्स को अपनी पूरी कहानी बताई। आइये जानते हैं उन्हीं की ज़ुबानी

आस्था, 26 साल, दिल्ली में फ्रीलांस पत्रकार के तौर पर काम करती हैं।

साथ का सफ़र

दिल्ली जाने वाली ट्रेन के 3-टियर वाले कोच में हमें ऊपर वाली एक सीट मिली थी , मैं बिल्कुल बेपरवाह होकर ज़ुबिन के साथ इस सीट पर लेटी हुई थी। हम दोनों ऐसे लेटे थे कि हम दोनों का पैर एक दूसरे के सिर के पास आ रहा था। हालांकि नवंबर की उस ठंडी रात में ऐसे सोने में कोई ख़ास दिक्कत नहीं हुईT वीडियो शूटिंग के दौरान हम पहली बार फ्रीलांसर के तौर पर मिले और इतने कम वक्त में ही ज़ुबिन पर पक्का वाला भरोसा हो गया था।  

शूटिंग के दिनों की बात है, एक दिन जब मेरे पीरियड का दूसरा दिन था उस दिन मेरा बोझ कम करने के लिए वो मेरा कैमरा और बाकी चीजें ख़ुद उठाने की ज़िद करने लगा। हम दोनों ही नुसरत फ़तेह अली खां के गानों  की प्लेलिस्ट लगाकर घंटो सुनते थे। शूटिंग ख़त्म करने के बाद साथ में डिनर करना अब रोज़ की बात हो गयी थी। शूटिंग के बाद वाला ज़्यादा समय हम अपने कमरे में तीसरे सहकर्मी तरुण के साथ बिताते .... ‘तरुण’ जो हमारे 10 बैग्स और शूटिंग के सामान के साथ सामने वाली सीट पर लेटा थाI

कम्बल में करीब आना 

शूटिंग असाइनमेंट के ख़त्म होने के बाद ज़ुबिन वहीं रूककर वहां के ऐतहासिक धरोहरों को देखना चाहता था। लेकिन अचानक ही कोई इमरजेंसी आ गयी तो उसे मेरे और तरुण के साथ ही आना पड़ा। आख़िरी समय में कन्फर्म सीट तो मिल नहीं पायी इसलिए वो हमारे साथ ऐसे ही जा रहा था।

अब दोनों लड़के एक सीट पर तो फिट नहीं हो सकते इसलिए तरुण ने कहा कि वो बैग्स के साथ दूसरी सीट पर सो जाएगा तुम दोनों एक सीट पर एडजस्ट कर लो। दुबली पतली होने के नाते ज़ाहिर है ज़ुबिन को मेरे साथ सोने में कोई ऐतराज़ नहीं था।

आधी रात में अचानक हमारी बोगी में कुछ शोर हुआ तो हम दोनों की नींद खुल गयी। हम दोनों ही उठकर बैठ गये, बैठते समय ज़ुबिन का सिर ट्रेन की छत से टकराने लगा तो वो सिर नीचे करके बैठ गया।

आधी रात के बाद माहौल कुछ रोमांटिक होने लगा तो हम अपने पुराने प्यार और अज़ीब अज़ीब जगहों पर किये सेक्स के बारे में बात करने लगे। अब ट्रेन में सब सो चुके थे और बस हमारी ही चटर पटर की आवाजें बोगी में सुनाई दे रही थी। हमारे कंधे तो एक दूसरे से चिपके ही हुए थे अब पैर भी कम्बल के अंदर एक दूसरे से लिपटने लगे।

चूमना और बाकी सब...

ज़ुबिन का हाथ अचानक मेरी तरफ़ आया तो मैंने महसूस किया कि उसके हाथ सच में बहुत ठंडे हो चुके थे। हम दोनों एक दूसरे की गर्मी अब जान चुके थे और बिना कुछ कहे ही अब ज़ुबिन के हाथों को मैं गर्म कर रही थी।

कुछ ही देर में ज़ुबिन ने अपना चेहरा मेरी तरफ़ किया और मुझे चूमने लगा। शुरु में तो थोड़ा अजीब लगा लेकिन फिर मैंने भी उसे हल्के से किस किया। अब वो मेरे कार्डिगन के ऊपर से ही मेरे स्तनों से छेड़छाड़ कर रहा थाI कुछ देर बाद हम ये देखने के लिए एक दूसरे से अलग हुए कि कहीं कोई देख तो नहीं रहा है। तभी अचानक ही ज़ुबिन ने अपना एक हाथ मेरे जींस पर रखा और जींस के ऊपर से ही वो रगड़ने लगा।

बहुत जल्दी सब कुछ होने लगा

मुझे नहीं मालूम की यह मौसम की सर्दी थी या हमारी शर्म कि हम दोनों अब कम्बल के अंदर आ गये। उसने मेरी ब्रा खोल दी और मेरे स्तनों को छूने लगा। मैंने आंख मारते हुए उससे कहा कि ‘आराम से ‘....वो फिर मेरे स्तनों पर किस करने लगा।

मैंने भी उसके गर्दन पर खूब किस किया। पहले तो वो थोड़ा शरमाया लेकिन फिर दांतों से मेरे कान को हल्के से चबाने लगा। तभी अचानक उसने मुझे ऐसे मोड़ा कि मेरी पीठ उसकी तरफ हो गयी। जितनी मजबूती से उसने यह सब किया मैं तो चौंक गयी। एक हाथ से वे मेरे स्तनों को पकडे हुए था और दूसरे हाथ से उसने मुझे पूरी तरह जकड लिया था। उसकी गर्म साँसे मेरे कानों में महसूस हो रही थी तभी उसने धीरे से कहा कि वो मेरे साथ गुदा मैथुन करना चाहता है।

मुश्किल निर्णय

ये एक ऐसी बात थी जिसे लेकर मैं हमेशा से असहज थी और ज़ुबिन के मुंह से ये सुनकर और बेचैन हो गयी थी। मैंने ज़ुबिन को ये बात बताई भी कि मुझे ऐसा करना बिल्कुल पसंद नहीं।  मेरी ‘ना’ सुनते ही उसने दोनों हाथों से मेरे स्तनों को जोर से दबाया और पैरों से ऐसा जकड़ा कि मुझे सांस लेने में भी घुटन होने लगी।

इतना करने के बाद ही वह ऊपर की सीट से नीचे कूद गया और फिर भोर में दिल्ली आने तक वो लौटा नहीं। रात में वो किसी दूसरे सहयात्री की सीट पर जाकर लेट गया था जो अगले ही स्टेशन पर उतरने वाला था जबकि मैं दर्द से छटपटा रही थीI मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि ये मेरे साथ ये क्या हो गया। जब हम प्लेटफार्म पर उतरे तो हम दोनों में से किसी ने एक दूसरे को गुड बाय भी नहीं बोला।

*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

क्या आपको भी इसी तरह कभी बीच में ही सेक्स छोड़ना पड़ा है? नीचे टिप्पणी करके या हमारे फेसबुक पेज पर लव मैटर्स (एलएम) के साथ जुड़कर हमें उस बारे में बताएंI यदि आपके पास कोई विशिष्ट प्रश्न है, तो कृपया हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें।

 

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Comments
Actualy Aisa hua hai Bhot baar mai Naraj hua Wo hafte me ek bar chahti hai (Not sure) , mujhe har 3sre din chahiye Chalo mana mai uski iccha ka khyal rkhu , par aaj tk kbhi usne khud pehal nahi ki . Ichhha to meri bhi hai