31 वर्षीय काव्या बैंगलोर की एक प्रमुख टेलीकॉम कंपनी में एकाउंट एग्जीक्यूटिव हैं।
साथ-साथ घूमना
बचपन से ही मेरे दिल और दिमाग में जो कुछ भी आता मैं उसे कहने से कभी शर्माती नहीं थी। मेरी सहकर्मी शालिनी पहले से ही अक्षय को जानती थी। अक्षय कस्टमर सपोर्ट लीड था और उसे हमेशा डर लगा रहता कि वह एक दिन नौकरी से हाथ धो बैठेगा। वह बहुत शांत, मृदुभाषी और बातों को काफी धैर्य के साथ सुनता था।
धीरे-धीरे हम तीनों एक साथ घूमने फिरने लगे। हम साथ में लंच के लिए जाते थे। कभी कभी हम ऑफिस के बाहर मिलकर मूवी या अन्य चीजों की योजना बनाते थे। इस बात से ज्यादा फ़र्क नहीं पड़ता था कि उसका विभाग अलग थाI
पहला कदम?
शालिनी को लगता था कि हमारी ख़ूब जमेगी। कुछ समय बाद मुझे भी ऐसा ही लगने लगा। हालांकि वह शांत, शर्मीला, होशियार और सतर्क रहता था लेकिन सभी को लगता था कि हमारी केमिस्ट्री अच्छी थी।
लेकिन हमने क्या किया? वास्तव में ज़्यादा कुछ नहीं। एक दो बार तो ऐसा हुआ कि मेरे दोस्त जानबूझकर देर से हम दोनों के पास आए, जिससे हम दोनों को अकेले में ज़्यादा टाइम मिल सके। सबको उम्मीद थी कि वह मुझे डेट के लिए कहेगा।
लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। मैं समझ गई कि कुछ लड़के शर्मीले होते हैं और जिन्हें लगता है कि लड़की को पहले दिलचस्पी दिखानी चाहिए या पहल करनी चाहिए। मैंने भी यही किया। मैंने थोड़ा फ्लर्ट करने का सोचा, आप समझ सकते हैं कि लड़कियां क्या कर सकती हैं।
'मैं तो बस मजाक कर रही थी'
ऑफिस की एक पार्टी में मैंने उससे कहा कि हैलो, क्या हाल चाल है। तुम मुझे किस कब करोगे? मैंने इतना ही कहा। वह पूरी तरह से गायब हो गया। कोई मैसेज नहीं, उसने मेरा फोन भी उठाना बंद कर दिया। मैंने उसे मैसेज किया, अरे डरो मत, मैं सिर्फ़ मजाक कर रही थी।
सिर्फ मेरी वजह से ?
सुनने में आया कि उसने दूसरी कंपनी ज्वाइन कर ली है। खैर, मुझे नहीं लगता कि उसने मेरी वज़ह से नौकरी छोड़ दी या नौकरी बदल ली। मैं दावे के साथ कह सकती हूं कि वह अपने काम से संतुष्ट नहीं था।
काव्या की पूरी कहानी नीचे वीडियो में देख सकते हैं
इसमें कौन सी बड़ी बात है?'
लोग मुझसे पूछते हैं कि क्या मुझे पता था कि वह मुझमें दिलचस्पी रखता है। बाद में मुझे समझ में आया कि मेरे दोस्तों ने मुझे कुछ ज़्यादा उकसा दिया था। उनकी बातों में आकर मैंने कदम आगे बढ़ाया।
मैंने सोचा था कि लड़के आमतौर पर इस तरह की चीज़ों के चक्कर में जल्दी आ जाते हैं। लेकिन अक्षय सच में अपवाद था। उसने वास्तव में कभी भी ज़्यादा कुछ नहीं कहा या ख़ुद को व्यक्त नहीं किया। मुझे कैसे पता चलता कि उसे कैसा लगा?
शायद मुझे पूछना चाहिए था। लेकिन सच कहूं तो ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ। मैं हमेशा सोचती थी कि वह एक आदमी है। अगर आपको अच्छा नहीं लगता तो बताना चाहिए। इसमें कौन सी बड़ी बात है?
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं, तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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