जिंदगी को मज़े से जीने की कसम खायी थी
मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूं। मेरे घर में सभी लोग पढ़े-लिखे और आधुनिक सोच वाले हैं। मेरी बहन अपने पैरों पर खड़ी है, वह अच्छा पैसा कमाती है और अपने फैसले खुद लेती है। मेरे मम्मी-पापा ने मुझे भी पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया और मुझे आगे बढ़ने में मदद की। 25 साल की उम्र में मुझे एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिली जहां मैं अच्छा पैसा कमा लेती थी। मेरी बहन एविएशन के क्षेत्र में काफी अच्छा काम कर रही थी। हमने बिना किसी डर के अपने जीवन का फैसला खुद लिया था और बेहतर काम करते हुए आगे बढ़ रहे थे। 27 साल की उम्र तक मेरी शादी नहीं हुई थी और मैं अपने भविष्य को लेकर सपने संजो रही थीI सब कुछ मज़े से चल रहा था कि अचानक से मेरे जीवन का खराब समय शुरू हो गया।
सपनों के राजकुमार से लेकर ख्वाब टूटने तक
दिल्ली के रहने वाले गौरंग नाम के एक व्यवसायी से मेरी शादी हो गई। शादी से पहले तीन महीने तक हम बात करते और मिलते रहे। जब हमने एक दूसरे को समझ लिया तब घरवालों ने मेरी शादी कर दी। शादी से पहले जब हम बात करते थे, वह तब भी मुझ पर शक करता था और ज्यादा रोक-टोक भी करता था लेकिन उस समय मुझे लगा कि यह मेरे प्रति उसका प्यार है इसलिए वह ऐसा करता है। मैं उसे पसंद करती थी, मुझे लगता था कि मेरे सपनों का राजकुमार मुझे मिल गया है और मैं बहुत खुश थी। सपने तो खैर उसके अभी भी आते हैंI लेकिन, बुरे सपनेI
दरअसल, गौरंग शुरूआत में मुझे ठीक लगा लेकिन धीरे-धीरे उसने मुझपर पाबंदी लगानी शुरू कर दी। मैं जो कुछ भी करती, हर एक बात पर सवाल खड़े करता और रोक-टोक करता था। वह तय करता था कि मैं कौन सी ड्रेस पहनूं, किससे मिलूं और अपने मम्मी-पापा के घर कब जाऊं। शुरू में मुझे लगा वह मेरा ज्यादा ख्याल रखता है इसलिए अपना प्यार दिखाने के लिए यह सब कर रहा है। लेकिन मैं गलत थी। मैं जितनी बेपरवाह थी और मजे से अपना जीवन जी रही थी अब उतना ही चिंता में रहने लगी। हर वक्त डरी सी रहती थी कि अब वह क्या करवाने वाला है या क्या कहने वाला है। मुझे वह घर कैदखाना लगने लगा। मैं शादी से पहले अच्छा पैसा कमाती थी। गौरंग मेरे कमाए सारे पैसे ले लेता था। कुछ दिनों बाद वह मुझपर जॉब छोड़कर एक आज्ञाकारी बहू की तरह घर में रहने के लिए दबाव बनाने लगा। वो पूरी तरह से मेरी ज़िंदगी को काबू में रखने लगा था और मुझे हर चीज़ उससे पूछ कर करनी पड़ती थीI
शारीरिक और मानसिक प्रताड़ना
वैसे तो गौरंग ने कभी मुझे मारा नहीं लेकिन उसके क्रूर व्यवहार की वजह से मैं लगातार उससे दूर होती जा रही थी। जब भी उसे किसी बात पर गुस्सा आता तो वह मुझे जोर से धकेल देता, मेरे बाल खींचता, मेरी गर्दन को अपने नाखूनों से पकड़ लेता, मेरा हाथ पकड़कर मरोड़ देता, कोई भी चीज उठाकर मेरे ऊपर मार देता और मुझे गाली देने लगता। अपने घरवालों और नौकरों के सामने मुझे जलील करने का वह कोई मौका नहीं छोड़ता था।
वह चाहता था कि मैं उसके साथ सेक्स करके यह साबित करूं कि मैं उसे बहुत प्यार करती हूं। भले ही मैं उसके कितना भी करीब चली जाती थी लेकिन उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने में मुझे कभी मज़ा नहीं आया। शुरूआत में हम अपने बच्चे के बारे में बातें किया करते थे लेकिन शादी के पहले साल में यह बात मेरे दिमाग में नहीं थी। एक रात जब उसने सेक्स करने की इच्छा जताई तो मैंने उसे कंडोम लगाने के लिए कहा। लेकिन उसने कंडोम लगाने से मना कर दिया क्योंकि वह मुझे प्रेगनेंट करना चाहता था। मैंने उसे रोका लेकिन वह नहीं रूका। मैंने उसे धक्का देकर हटा दिया लेकिन उसने मुझे खींचकर दबोच लिया।
इसके बाद उसने मेरे कंधे पर जोर से काट लिया, मैं दर्द से तड़प उठी और रोने लगी। तब उसने मुझसे माफ़ी मांगी और कहने लगा कि वह मुझे दुखी नहीं करना चाहता है। इससे पहले की मैं कुछ ठीक महसूस करती उसने मुझे भी उसके कंधे पर काटने के लिए कहा ताकि वह भी वही दर्द महसूस कर सके। जब मैंने मना किया तो वह अपना सिर दीवार में मारने लगा और कहा कि मैंने तुम्हे दर्द दिया अब तुम मुझे दर्द दो वरना मैं अपना सिर दीवार पर तब तक मारूंगा जब तक खून ना निकल जाए। मैं बुरी तरह डर गई थी और उस वक्त खुद को बेसहारा महसूस कर रही थी। मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि मैं अपनी हालत किसको सुनाऊं।
निराशा से भरी ज़िंदगी
मैं बेहद निराश हो गयी थीI अब उसके बगल में सोने से भी डर लगने लगा था। वह मुझसे अक्सर एक ही सवाल पूछा करता था कि मैं वर्जिन हूं या नहीं? वह मुझसे पूछता था कि पहली बार सेक्स करने पर मुझे ब्लड क्यों नहीं निकला? वह मुझे साबित करने के लिए कहता था कि मैं वर्जिन हूं। वह मुझसे यह भी कहता था कि मेरे ब्रेस्ट बड़े हैं इसका मतलब मैंने शादी से पहले किसी के साथ सेक्स किया है।
वह मेरे सांवले रंग का हमेशा मजाक उड़ाया करता था और कहता था कि बेसन लगाओ, फेयरनेस क्रीम लगाओ। तुम रिन साबुन से चेहरा धोया करो। मैं सबसे ज्यादा तब दुखी हुई जब उसने बताया कि उसने सिर्फ़ अपनी मम्मी और घरवालों की खुशी के लिए मुझसे शादी की है।
माफी मांगकर मुझे साथ ले गया
शादी को करीब चार महीने बीत चुके थे और मैं अपनी नई जिंदगी के साथ तालमेल बिठाने की कोशिश में लगी थी। मैं उसकी सभी इच्छाओं का ख्याल रखती और वह सबकुछ करती जो शादी के बाद एक लड़की अपने ससुरालवालों को खुश रखने के लिए करती है। इसके बावजूद एक दिन हमारा झगड़ा बहुत ज्यादा बढ़ गया और मैं अपने मम्मी-पापा के घर चली गई। मेरे मम्मी-पापा को पहले सिर्फ़ शक था लेकिन उस दिन उन्हें सबकुछ पता चल गया। इसके बाद उन्होंने फैसला मुझपर छोड़ दिया।
मैं इस रिश्ते को तोड़कर पूरी तरह आजाद हो जाना चाहती थी लेकिन कभी मन यह भी कहता कि वह अगर मुझसे मांफी मांगकर मुझे ले जाए तो मैं उसके साथ चली जाऊंगी। और उसने आखिर किया भी यहीI कुछ दिनों बाद वह मुझे लेने मेरे घर आया और वादा किया कि वह खुद को बदल लेगा और दोबारा ऐसा नहीं करेगा। मेरी काफ़ी मिन्नतों के बाद उसने मुझे नौकरी करने की छूट भी दे दी लेकिन साथ में कुछ शर्तें भी रखी। मैं जो कुछ कमाती वह उसके बारे में हमेशा पूछा करता था।
उसने मेरी सैलरी का हिसाब रखने के लिए ज्वाइंट खाता भी खुलवा लिया। उसने मेरे पैसे से अपने लिए नई बाइक खरीदी और वह चाहता था कि मैं उसकी हर महीने की क़िस्त भरूं क्योंकि उसने मुझे नौकरी करने की छूट दे रखी थी। मेरी उम्मीद के विपरीत वह जरा भी नहीं बदला था।
वह मुझे अपने लिए कपड़े खरीदने या मेकअप पर एक पैसा भी खर्च नहीं करने देता था। अगर उसे पता चल जाता कि मैंने कुछ खरीदा है तो उसके अंदर का राक्षस जाग उठता था और वह अपने को चप्पल से मारने लगता और कहता-मैं यहां दिन-रात मेहनत करके पैसे बचाता हूं और तुम पैसा ऐसे ही उड़ा देती हो।
सबके सामने शर्मिंदा करता था
वह मुझे मेरे दोस्तों से बात नहीं करने देता था। अगर मैं उनसे बात करती तो वह घर की चीजों को मेरे ऊपर मारता और तोड़ फोड़ करता था। मैं उसके हाथों की कठपुतली बन गई थी और इस स्थिति से बाहर नहीं निकल पा रही थी। मेरे दिन रोते हुए बीतने लगे। सोशल मीडिया पर भी वह निगरानी रखने लगा।
एक बार जब मैंने अपने नाम के साथ पुराना सरनेम लगाया तो वह गुस्सा हो गया और कहने लगा- तुम यही चाहती हो कि तुम्हारे पुराने दोस्त तुम्हें फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजें। अब तो तुम्हारी शादी हो गई है अब क्यों अपना पुराना सरनेम इस्तेमाल करना चाहती हो। मैं मर नहीं गया कि तुम अपना सरनेम इस्तेमाल करो। फिर उसने मुझे अपनी फ्रेंडलिस्ट से यह कहते हुए हटा दिया कि मैं इस लायक नहीं हूं।
वह रोज़ मुझपर कोई ना कोई आरोप लगाता थाI यहां तक कि वह मेरे पड़ोसियों और मेरे ऑफिस के सहकर्मियों को भी गाली देता और मुझे भला-बुरा कहता था। मुझे नहीं रहना इसके साथ, ये दारू पीती थी, वोडका पीती थी, लड़के छेड़ती थी, उन्हें आंख मारती है। मैं इस बेहूदा लड़की के साथ नहीं रहना चाहता।
रिश्ते को खत्म करने की समय आ गया था
शादी के पांच महीने बीत चुके थे। एक दिन जब उसने मुझे तलाक के लिए बोला तो मैं बुरी तरह चौंक गई। वह पूरी रात मुझपर अत्याचार करता और मुझसे कहता कि वह मेरे साथ नहीं रहना चाहता है। हम पूरी रात लड़ते और बहस करते रहे और अगली सुबह वह बोला- थोड़े दिन रूक जाओ क्योंकि पंडित जी ने कहा है हमारा समय ठीक नहीं है अभी, तभी ये दिक्कतें आ रही हैं।
मैंने कहा ठीक है और अपने काम पर निकल गई। उस दिन मैंने फैसला कर लिया था कि यहां दोबारा लौटकर नहीं आउंगी। सबके सामने खुद को ज़लील देखकर मैं बुरी तरह टूट गई थी। इस मुसीबत से छुटकारा पाने के लिए सबसे पहले मैंने मैरिज काउंसलर से सलाह लीI इसके बाद पुलिस की महिला सेल में मामला दर्ज कराया लेकिन वहां से मुझे कोई सहायता नहीं मिली। अंत में मैंने तलाक के लिए अर्जी दाखिल कर दीI
मेरे पास अच्छी नौकरी थी। यह डर भी लगा रहता था कि किसी वजह से मेरी नौकरी ना चली जाएI कभी-कभी मैं घबरा जाती और सोचती कि मैं खुद को अकेले नहीं संभाल पाउंगी, मुझे अपने इस फैसले पर पछतावा हो रहा था। लेकिन कभी मन कहता कि इस रिश्ते को हमेशा के लिए खत्म करके बिल्कुल आजाद हो जाऊं। मैं पूरी रात सो नहीं पायी, मेरा मन पूरी तरह बेचैन था और मुझे भूख-प्यास भी नहीं लगती थी। यह मेरे जीवन का सबसे खराब समय था।
मैं खुद को सौभाग्यशाली मानती हूं क्योंकि मेरे घरवालों और दोस्तों ने हमेशा मेरा साथ दिया। वे मुझसे बेहद प्यार करते हैं और वे मुझे इस अंधेरे से बाहर निकालने की कोशिश में लगे थे। उन लोगों के लिए परेशानी सिर्फ़ इतनी थी कि उन्हें तलाक के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी इसलिए वे समझ नहीं पा रहे थे कि वे कैसे मेरी मदद करेंI लेकिन जब भी मैं उनके पास जाती वे हमेशा मेरी मदद को तैयार हो जाते थे। मेरे पापा ने मेरा सबसे ज्यादा साथ दिया। वो मेरे सुपर हीरो हैं। मेरी मां और बहन भी मेरे साथ खड़ी रहीं और मुझे इस परेशानी से बाहर निकलने में उन्होंने मेरी मदद कीं।
अपने आप से प्यार हो गया
अब मैं एक अकेली और एक स्वतंत्र महिला हूं। तलाक के बाद मैं हल्का महसूस कर रही हूं और मुझे इस बात का एहसास हो गया है कि जीवन बहुत खूबसूरत है और मैं इसे मजे से जीने के लिए एक बार फ़िर से तैयार हूं। शादी के उन उतार-चढ़ाव भरे पांच महीनों ने मुझे पूरी तरह से बदल दिया। उस दौरान मै खुद को बेसहारा महसूस करती थी लेकिन अब मैं काफ़ी मजबूत और ज्यादा सकारात्मक हो गई हूं। अब मैं किसी भी परिस्थिति का सामना आसानी से कर सकती हूं। लेकिन अभी मैं किसी भी रिश्ते में बंधने, सेक्स और शादी के लिए तैयार नहीं हूं। हो सकता है कि कुछ सालों के बाद चीजें बदलें और मुझे मेरा सच्चा प्यार मिल जाए लेकिन अभी तो मैं अपने आप से ज्यादा प्यार करने लगी हूं और मुझे अपने इस एहसास से प्यार है कि मैं खुद को प्यार करने लगी हूं।
अपनी यह कहानी लिखना मेरे लिए आसान नहीं था। सारे ज़ख्म एक बार फ़िर से ताज़ा हो गए। लेकिन मैं अपने सहकर्मी की आभारी हूं जिसने मुझे यह कहानी लिखने के लिए प्रोत्साहित किया और मेरे जैसी उन तमाम औरतों को भी प्रोत्साहित किया जो ऐसे घुटन भरे रिश्तों को तोड़कर बाहर निकलने की कोशिश कर रही हैं। हो सकता है कि मेरी कहानी पढ़कर वो भी अपनी ज़िंदगी बदल सकेंI
गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिया गया है, तस्वीर के लिए एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है .
अकसर रिश्तों में महिलाओं को नियंत्रित किया जाता है या ऐसा करने कि कोशिश कि जाती हैI उनके साथ भावनात्मक, शारीरिक और आर्थिक रूप से और हिंसक और अपमानजनक व्यवहार भी किया जाता हैI इस तरह के व्यवहार जाने अनजाने में हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों द्वारा प्रोत्साहित किए जाते हैं। लव मैटर्स इंडिया भारतीय महिलाओं को अपमानजनक व्यवहार के ख़िलाफ़ अपनी आवाज उठाने में मदद कर रहा है। 25 नवम्बर को महिलाओं के विरूद्ध हिंसा के उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जा रहा है और इसी सन्दर्भ में निशा ने अपनी कहानी को लव मैटर्स इंडिया के साथ साझा किया थाI
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