नए शोध से पता चलता है कि आपके स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम होने के लिए डेटिंग हिंसा का शारीरिक या यौन होना जरूरी नहीं है। चाहे वह अपमानजनक मैसेज हो, अपमानजनक टिप्पणियां हो, या कोई साथी जो आपको परेशान करता हो। गैर-शारीरिक डेटिंग हिंसा कोई मज़ाक नहीं है बल्कि यह भी घरेलू हिंसा का ही एक रूप है।
दुनिया भर में COVID-19 से जुड़े लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई। भारत में भी इसकी संख्या काफी बढ़ी। लव मैटर्स इंडिया लाया हैं इंडिया के लॉकडाउन से जुड़ी ऐसी ही कुछ कहानियाँ।
भारत में घरेलू हिंसा कानूनी तौर पर अपराध है, फिर भी 15 से 49 साल की उम्र के बीच की हर तीसरी स्त्री अपने घर पर ही हिंसा का शिकार होती है। COVID-19 ke लॉकडाउन के दौरान भी घरेलू हिंसा के मामलों में बहुत तेज़ी आयी है। यह हिंसा शारीरिक, यौनिक, मानसिक और आर्थिक – किसी भी तरह की हो सकती है। अगर आप इससे जूझ रहे हैं तो इस चक्र को तोड़ने के लिए क्या करेंगे? हम आपके लिए कुछ टिप्स और सलाह लेकर आये हैं।
फिल्म थप्पड़ ऐसे कई घरों की अंदरूनी सच्चाई उजागर करती है जहां पुरुषों को सब कुछ करने की छूट होती है, यहां तक कि शारीरिक शोषण भी, लेकिन इसके बावज़ूद भी उनके ऊपर कोई उंगली नहीं उठा पाता।
वह जानती थी कि उसका रिश्ता किसी भी मुकाम तक नहीं पहुंचेगा फिर भी वह उसमें उलझी हुई थी। उसके पास उसकी अंतरंग तस्वीरें थीं और वह उसे ब्लैकमेल कर सकता था। उसने लव मैटर्स इंडिया को बताया कि इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए उसने क्या किया।
किसी के प्यार में होना एक अद्भुत एहसास - लेकिन हर किसी के लिए ऐसा हो, ज़रूरी नहीं। रिश्तों में कभी-कभी कड़वाहट आ ही जाती है और फिर दुर्व्यवहार शुरू हो जाता है। ब्लैकमेलिंग भी ऐसा ही एक दुर्व्यवहार है। लव मैटर्स इंडिया यहां ब्लैकमेल और इससे निपटने के तरीके को समझने में आपकी मदद कर रहा है।
हर तीन में से एक महिला ने अपने जीवनकाल में हिंसा का अनुभव किया हैI जब हम महिलाओं के विरूद्ध हिंसा के बारे में सोचते हैं, तो अकसर हम अजनबियों द्वारा महिलाओं का बलात्कार किया जाना या उनके ससुराल वालों द्वारा उन्हें जला दिए जाने को ही हिंसात्मक व्यवहार का दर्जा देते हैंI हालांकि यह सच है, लेकिन हिंसा रोज़ होने वाली कुछ 'सामान्य' परिस्तिथियों में भी हो सकती है, जिसे हम अकसर अनदेखा कर देते हैं, क्यूंकि शायद वो हमें महत्त्वहीन लगती हैI लेकिन ऐसा नहीं हैI हमारे ऐसा करने से अनजाने में हम एक ऐसी सभ्यता बनाने में योगदान दे रहे हैं जिसमें महिलाओं के विरूद्ध हिंसा बढ़ती जा रही है और इसलिए हम सभी की ज़िम्मेदारी बनती है कि इसे बदलने में भी अपनी भूमिका निभाएंI इस हिंसा की संस्कृति को खत्म करने के लिए हम ऐसे शुरआत कर सकते हैंI
कुमार और शरद ने 2013 में फेसबुक चैट के बाद डेटिंग शुरू की थी। उन दोनों के साथ शुरू से ही कुछ व्यावहारिक समस्याएं थीं लेकिन जब उन्होंने साथ रहना शुरू किया तो मामला कुछ ज़्यादा ही बिगड़ गया। कुमार ज़रूरत से ज़्यादा नियंत्रण रखने की कोशिश करता था और शरद ने शारीरिक और मौखिक हिंसा शुरू कर दी।
क्या आपके जिंदगी में कोई ऐसा व्यक्ति है जो आपके ऊपर हावी रहता है और अक्सर अपनी बातें मनवाने की कोशिश करता है? हाल ही में हुए एक शोध के अनुसार किसी व्यक्ति की आजादी छीन लेने से दो लोगों के बीच के संबंधों पर इसका प्रभाव पड़ता है। अगर आप पर कोई हावी है लेकिन इसपर आपका कोई नियंत्रण नहीं है तो, जानें कि आपको क्या करना चाहिए।
दिल्ली की निशा पेशे से क्रिएटिव डिजाइनर हैं। उनकी परवरिश खुले विचारों वाले एक ऐसे परिवार में हुई जहां लड़कियों को लड़कों से कम नहीं समझा जाता था। लेकिन शादी होने के बाद निशा का पति, गौरांग*, उसे शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था जिसने निशा के आत्मविश्वास को झकझोर कर रख दियाI
शायद निजी साथी द्वारा हिंसा का सबसे उत्कृष्ट उदाहरण है एक व्यक्ति का अपने साथी के व्यवहार पर नज़र रखना और उसको नियंत्रित करने की कोशिश करनाI अपने साथी के जीवन में ज़रुरत से ज़्यादा दिलचस्पी दिखाना भी दुर्व्यवहार हो सकता हैI प्रस्तुत है निजी साथी द्वारा हिंसा से सम्बंधित शीर्ष पांच मिथकI
वैवाहिक बलात्कार भी सेक्स हिंसा का ही छुपा हुआ रूप है। चूंकि यह शादी के बाद एक सुरक्षित समझे जाने वाले माहौल में होता है, इसलिए पीड़ितों को मदद जुटाने में बेहद मुश्किलों का सामना करना पड़ता हैI नीना माथुर इस संदर्भ में अपने अनुभव साझा करते हुए बताती हैं कि कैसे ये 'निजी रिश्ते में हिंसा' का एक रूप है।