abuse at home
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'वह पूरे दिन घर पर रहता है तो... '

दुनिया भर में COVID-19 से जुड़े लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में बढ़ोतरी देखी गई। भारत में भी इसकी संख्या काफी बढ़ी। लव मैटर्स इंडिया लाया हैं इंडिया के लॉकडाउन से जुड़ी ऐसी ही कुछ कहानियाँ।

जब भारत ने 25 मार्च को चार घंटे के नोटिस के साथ कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए 21-दिवसीय लॉकडाउन घोषित किया, गुलाब खातून* को उस घातक वायरस की जगह किसी और बात की अधिक चिंता थी। गुलाब खातून 24-साल की हैं और उत्तर प्रदेश के कानपुर में रहती है। दो बच्चो की ये माँ, हर दिन अपने शराबी पति की गाली और पिटाई खाती है। वह बच्चों को भी नहीं बख्शता।

लॉकडाउन की घोषणा होने से पहले, गुलाब खातून का पति कारखाने में काम करता था और रात के नशे में घर लौटता था और तुरंत सो जाता था। 'काश, वह तुरंत काम पर लौट जाए ताकि हम शांति से रह सकें,' गुलाब खातून ने पत्रकारों से कहा।

परेशान करने वाले आंकड़े

भारत के लॉकडाउन के दौरान, जो अब अपने चौथे चरण में है, घरेलू हिंसा के मामलों में कही कमी तो कही तीव्र वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने लॉकडाउन की घोषणा से पहले 396 शिकायतों की तुलना में महीनों के बाद लॉकडाउन में घरेलू हिंसा के 587 मामले दर्ज किए।

अधिकांश शिकायतें ईमेल के माध्यम से की गईं, जो की लॉकडाउन से पहले फोन कॉल और पत्र द्वारा आती थी। कुछ राज्यों में महिलाओं द्वारा शिकायत करने की अक्षमता के कारण शिकायतों की संख्या में कमी भी दर्ज की, क्योंकि वे अपने घरो में अपने प्रताड़को साथ बंद थीं। बहुत सारी महिलाओं के पास 

आज तक मोबाइल नहीं हैं या उन्हें ठीक से चलाना नहीं जानती। कुछ महिलाएं जो अधिकारियों से किसी तरह संपर्क कर पायी, उन्हें भी खाली हाथ लौटा दिया गया।

घर जाओ और खुद निपटाओ 

चेन्नई की पार्वती* को इस कुछ ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा जब उसने पुलिस में मामला दर्ज करवाने की कोशिश की। 45 वर्षीय की यह कुक के पास अपने अपमानजनक पति के साथ घर पर रहने और गालियों और पिटाई की आदी हैं। लॉकडाउन से पहले वह अपने पति की पिटाई से बचने के लिए अपनी झुग्गी की गलियों में भाग जाती थी। उसके पति को रोकने के लिए उनके पड़ोसी तब हस्तक्षेप करते।

हालांकि, लॉकडाउन के दौरान स्थिति अलग हो गयी। बहुत साहस जुटाने के बाद, उसने एक दिन बाहर भागने का फैसला किया और मदद के लिए निकटतम और पुलिस चौकी से संपर्क किया। लेकिन उसे कहा गया कि 'पुलिस और अदालतें 21 दिनों के लिए बंद हैं, घर जाओ और इसे खुद निपटाओ।'

घरेलू हिंसा का मुद्दा लॉकडाउन के कारण या महामारी के कारण उत्पन्न नहीं हुआ है। यह बस अभी और गहरा गया हैं।  

गुड़गांव की स्नेहा* के मामले को ले लीजिए जो वर्षों से एक अपमानजनक रिश्ते में है। वह कहती है, 'नौकरी के कारण हम दोनों बाहर रहते थे और घर के मौहौल से कुछ समय के लिए निजात मिलती थी। लेकिन लॉकडाउन से सब कुछ बदल गया', उन्होंने लव मैटर्स को बताया।

स्नेहा ने फैसला किया हैं की जिस दिन तालाबंदी खत्म होगी वह अपने पति को छोड़ देंगी। 'यह मुश्किल होगा, लेकिन मैं इस तरह से नहीं रह सकती,' उन्होंने कहा।

एक नया चेहरा 

जो रिश्ते पहले से ही नाजुक थे, उन पर लॉकडाउन के कारण और तनाव आ गया। 

लव मैटर्स के साथ एक साक्षात्कार में, कनिका* ने कहा, 'इस लॉकडाउन ने मुझे मेरे पति का एक अलग चेहरा दिखाया है। लॉकडाउन के कारण उसके वेतन में कटौती हुयी और उस दिन के बाद से उसका व्यवहार मेरे प्रति बहुत रुखा हो गया।'

35-वर्षीय कनिका को उसके पति ने नौकरी ना करने और पैसा न कमाने के लिए ताने देने शुरू कर दिए। 'जब हमारे बच्चे का जन्म हुआ था, हम दोनों ने  मिलकर तय किया था की वह बच्चे के देखरेख के नौकरी छोड़ेंगी।'

“वह हर दिन मेरा उपहास करता है। मैं वास्तव में परेशान हूं और यह मेरे बच्चे को भी प्रभावित कर रहा है। अभी वह लॉकडाउन के कारण अपने माता-पिता के घर जाने में भी असमर्थ है और वह बुढ़ापे में उन्हें परेशानी में भी नहीं डालना चाहती।'

अब और नहीं 

पुणे की सीमा* भी इसी पशोपेश में हैं। उनके पति ने हाल ही में अपनी नौकरी खो दी। 'लॉकडाउन के बाद से मैंने अपने पति का एक नया चेहरा देखा है। हमने प्रेम विवाह किया था और हम दोनों तब से काम कर रहे हैं जब हम मिले थे।'

सीमा अभी भी अपनी नौकरी में है और घर से ऑनलाइन काम कर रही हैं। लेकिन इससे उसके पति और अधिक परेशान हैं। 'मैंने उनसे कहा कि कम से कम एक के पास नौकरी तो है और इस समय यह अच्छी बात है। उससे कमतर महसूस न हो, इसके लिए मैं बहुत सचेत थी', सीमा ने कहा।

फिर भी उसके पति का स्वभाव काफी रूखा और मतलबी रहा है और यहां तक ​​कि वह घर के किसी भी काम में हाथ नहीं बटातें। 

'उन्होंने मुझ से कहा की मुझे घर और ऑफिस दोनों खुद सँभालने होंगे। मैं मल्टीटास्किंग से बहुत थक गयी हूँ। मैंने उनसे बात करने की कई बार कोशिश की लेकिन वे फिर वह बहुत दुखद बातें कहते हैं। मैं वास्तव में मानसिक रूप से परेशान हूं। मैं अब उनका अहंकार और रवैया और नहीं ले सकती। मैंने अलग होने के बारे में अभी तक बात नहीं की है लेकिन मुझे लगता है कि हम अब साथ नही रह सकते', सीमा ने दुखी होकर कहा।

गोपनीयता का ध्यान रखते हुए नाम बदल दिए गए हैं और फोटो में मॉडल् हैं।  

यदि आप घर पर हिंसा या दुर्व्यवहार का सामना कर रहे हैं और किसी से बात करना चाहते हैं तो कृपया यहाँ हमारे  चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें।

 

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