- पीछा तो सिर्फ अजनबी ही करते हैं, आपका साथी नहीं
हमारे साथी का हम पर नज़र रखना - सुनने में कुछ गलत लगता है? जी हाँ, यह गलत है, अगर आपका साथी आपके फ़ोन में मौजूद हर सन्देश को पढ़ना चाहे, आपके ऑफिस की हर बात को जानना चाहे और आपके हर दोस्त से मिलना चाहेI हम सभी को अपनी व्यक्तिगतता का अधिकार है और यह हमसे कोई नहीं ले सकताI ना ही कोई रिश्ता, और ना ही कोई साथी, चाहे वो कितना ही करीब क्यों ना होI
- शारीरिक रूप से पीछा थोड़ी कर रहा/रही है
नज़र रखने के कई ऐसे तरीके है जिसके लिए आपको पीछा करने की ज़रुरत नहीं हैI उदाहरण के लिए, कुछ लोग अपने साथी के बैंक खाते के विवरण जैसे यूजरनेम और पासवर्ड को जानना चाहते हैं, फ़िर चाहे उसके साथी की अनुमति हो या ना होI इससे आपको पता ही नहीं होता की आप कितना पैसा खर्च कर रहे हैं क्यूंकि आपका साथी बिना आपको बताये आपका पैसा उड़ा सकता हैI नज़र रखने और रिश्ते पर नियंत्रण रखने का एक और उदाहरण है ऑनलाइन पीछा करनाI इसमें लोग कभी-कभी अपने साथी के कंप्यूटर और सोशल मीडिया पर बने उनके खातों पर भी नज़र रखते हैंI
- चलो पीछा कर भी रहा/रही है, तो क्या
आप सोच रहे होंगे कि अगर कोई आपको प्यार करता है, तो उसके द्वारा पीछा किया जाने में दिक्कत क्या हो सकती हैI अब वो कोई अपराधी थोड़ी है, है ना? लेकिन अक्सर, इस तरह का व्यवहार रिश्तो में तनाव पैदा कर देता है, जो शायद ऊपरी तौर पर नज़र ना आये लेकिन अंदर ही अंदर रिश्ते को खोखला कर देता हैI इसके अलावा, अध्ययनों से पता चला है कि कई बार ऐसा व्यवहार हिंसा और शोषण जैसे यौन या शारीरिक शोषण को भी बढ़ावा देता हैI
- यह सामान्य नहीं है
आप लोग सोच रहे होंगे कि ऐसा व्यवहार किसी-किसी रिश्ते में ही होता होगा, लेकिन आपको अंदाज़ा भी नहीं है कि अंतरंग साथियों को तांकझांक और जासूसी करने का कितना शौक होता है! आंकड़े बताते हैं कि इसकी घटनाओं की दरें धीरे-धीरे बढ़ रही हैं, खासकर युवा जोड़ों में। 2002 में कॉलेज की छात्राओं को लेकर किये एक अध्ययन में शामिल 5.6 प्रतिशत महिलाएं ऐसी थी जिन्होंने अपने वर्तमान या पूर्व साझेदारों का पीछा करने की बात कबूली थीI
- यह अवैध तो नहीं है
लोगों को लगता है कि इस तरह के व्यवहार के खिलाफ ज़्यादा कुछ नहीं किया जा सकता क्यूंकि इसके खिलाफ कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है। लेकिन यह एक गलत धारणा हैI भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों ही दंड विधियों में घरेलू दुर्व्यवहार में भावनात्मक और ज़बानी बदतमीज़ी को भी शामिल किया गया हैI तो अगर कोई आपका पीछा करे तो इसके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज की जा सकती है क्यूंकि यह भी भावनात्मक उत्पीड़न ही कहलाया जाएगाI
सन्दर्भ:
तस्वीर में दिखने वाले व्यक्ति मॉडल हैं
क्या आपके साथी ने भी आपका पीछा किया था? क्या किया था आपने? हमें नीचे लिखकर या फेसबुक के ज़रिये अपना अनुभव बताएंI अगर आपके मन में कोई निजी सवाल हो तो हमारे चर्चा मंच का हिस्सा बनेंI
लेखक के बारे में: मुंबई के हरीश पेडाप्रोलू एक लेखक और अकादमिक है। वह पिछले 6 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह शोध करने के साथ साथ, विगत 5 वर्षों से विश्वविद्यालय स्तर पर दर्शनशास्त्र भी पढ़ा रहे हैं। उनसे लिंक्डइन, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संपर्क किया जा सकता है।