बीस साल की सृष्टि पांडे दिल्ली में रहती है और मनोविज्ञान की छात्रा है।
वह मित्रता अनुरोध
मैं दसवीं में थी जब एक दिन स्कूल से घर आकर मैंने देखा कि फ़ेसबुक पर एक मैसेज मेरे इंतज़ार में है। मुझे अपने बहुत करीबी दोस्तों के अलावा शायद ही कोई मैसेज करता है इसलिए अपने फोन का नोटिफिकेशन देखकर मैं बहुत उत्साहित हो गई थी। वह मेरे स्कूल के एक सीनियर का था जिसने पूछा था कि क्या मैं किसी रिश्ते में हूँ। मैंने जवाब दिया - नहीं। फिर जो उसका जवाब आया, मैं दंग रह गई। उसने लिखा -ओह ! लेकिन तुम इतनी क्यूट हो कि सिर्फ़ व्हीलचेयर पर रहने के लिए नहीं बनी। और डोन्ट वरी, मैं तुम्हें डेट करना चाहता हूँ। मुझे समझ नहीं आया कि उसकी बात का क्या जवाब दूँ इसलिए मैं चैट बॉक्स से निकल आई।
मैं तुम्हें डेट करना चाहता हूँ। सारा दिन ये शब्द मैं दुहराती रही। यह सोचना भी कितना अजीब था कि कितनी आसानी से उसने यह मान रखा था कि मैं सिंगल ही होऊँगी क्योंकि मुझे कोई डेट करना क्यों चाहेगा। उसने यह भी मान लिया था कि अगर वह मुझे डेट नहीं करेगा तो मैं सिंगल ही रह जाऊँगी। उसकी बातों से ऐसा महसूस हो रहा था कि वह मुझ पर बहुत बड़ा एहसान कर रहा है।
प्यार में मेरा चांस
मैंने उस शाम अपनी दोस्त को फोन किया और उसकी बातें सुन हैरत में डूब गई। उसका कहना और भी अजीब लगा मुझे। उसके हिसाब से मुझे उस लड़के को डेट करने के बारे में सोचना चाहिए क्योंकि वह पहला ऐसा लड़का है जिसने मुझे डेट के लिए पूछा है। मेरी दोस्त का यह मानना था कि प्यार के मामले में मेरे पास अधिक चांस नहीं है, जैसा कि अन्य शारीरिक रूप से स्वस्थ मेरे दूसरे दोस्तों के पास है।
मैं इस बात से थोड़ा हिल सी गई क्योंकि मेरी बहुत अच्छी दोस्त का भी यही मानना था। मुझे तकलीफ़ भी हुई लेकिन मैंने अपना दुख उससे साझा नहीं किया। मेरे अंदर यह कमी थी कि मैं लोगों की बातों को काट नहीं पाती थी और मुझे ये भी लगा कि अगर में इसे समझाऊँगी भी तो शायद यह मेरी बात समझ नहीं पाएगी।
हालाँकि वह कोई पहली नहीं थी जिसने मुझे यह सलाह दी थी। मुझे हमेशा लोगों ने यह एहसास कराया था कि मैं प्यार के लिए बनी ही नहीं हूँ या फिर मुझे अपने जैसे लोगों के बीच ही प्यार तलाशना चाहिए।
कोई ऐसा घरेलू फ़ंक्शन नहीं बीता होगा जहाँ मेरे किसी अंकल या आंटी ने मेरे माता पिता से यह चिंता नहीं जताई होगी कि मेरे लिए दूल्हा खोजना मुश्किल होगा। सबको यही लगता था कि मुझे कभी ऐसा लड़का नहीं मिलेगा जो मुझे पसंद करे, मेरे साथ डेट करना चाहे।
शायद उस शाम मेरी दोस्त ने मुझे उस लड़के से डेट करने के लिए कहा क्योंकि उसे लगता था कि मेरे लिए जैसा लड़का सही रहेगा, वह उसके अनुसार पूरी तरह सही है। लड़के को मेरी देखभाल के लिए तैयार होना चाहिए। उसे बिना किसी उम्मीद के मेरे लिए करते रहना चाहिए। लड़के को मेरे हर काम में मदद करनी चाहिए। ये सारी बातें जब कहीं जाती थीं तो एक इंसान, एक औरत होने के नाते प्यार की मेरी चाहत को मेरी शारीरिक अक्षमता के आगे खत्म कर दिया जाता था। मुझे ऐसा महसूस कराया जाता था कि मैं प्यार के काबिल ही नहीं। मैं अपनी तरफ़ से रिश्ते में कुछ जोड़ ही नहीं सकती।
अब तक की सारी ज़िंदगी मुझे यही एहसास दिलाया गया कि मेरा कोई रिश्ता चल ही नहीं सकता। इसलिए मैं रिश्तों से, उन पुरुषों से भागती रही जो मेरे साथी हो सकते थे। मैं यहाँ, वहाँ, हर जगह से सलाह लेती रही और सब बिगाड़ती रही। क्योंकि मुझे यह भरोसा हो गया था कि कोई भी अच्छा लड़का मुझे डेट कर ही नहीं सकता, प्यार करना तो दूर की बात है।
मेरी उम्मीदें मेरे आस पास के लोगों द्वारा हर दिन खत्म की जातीं रहीं।
एक आदर्श डेट को कैसा होना चाहिए?
जब मेरे दोस्त अपने आदर्श डेट का ब्यौरा देते तो साथ ही वह मेरे लायक डेट के बारे में भी मुझे बताते थे। बिना यह जाने समझे कि मैं क्या चाहती हूँ। उनके अनुसार मेरा डेट एक ऐसे आदमी को होना चाहिए जो प्यारा हो और मेरी खूब देखभाल करे। मेरे साथ बाहर जाने के लिए पूरी तरह तैयार हो। जब मैं बाहर जाऊँ तो वह मेरे व्हील चेयर को धक्का दे (ज़ाहिर है बिना यह जाने कि मैं यह चाहती हूँ कि नहीं) और मेरे लिए सब कुछ करे, खाना लाने से लेकर मुझे सुरक्षित कहीं छोड़ने तक। मेरे लिए हर पल मौजूद रहे। लेकिन मैं इनमें से कुछ भी नहीं चाहती थी। मैं केयरटेकर नहीं चाहती थी।
मुझे भी रूमानी डेट चाहिए था, जैसे बाकी सब को मिलता है। मुझे भी फूल, सिनेमा, हाथों में हाथ डालकर घूमना, आलिंगन, चुंबन चाहिए था। लेकिन मेरे दोस्त इन सब ख्वाबों के बीच में आ जाते थे और मुझे सचेत करते कि मेरे जीवन का फ़ैसला लिया जा चुका है। मैं हमेशा ही अपने दोस्तों की प्रतिक्रिया का सोचकर शर्मिंदगी से भर जाती थी। जैसे एक बार मैंने अपनी एक दोस्त को एक लड़के के बताया जिसकी ओर मैं आकर्षित थी।
पहले तो वह हैरत में आ गई। वह यह कल्पना ही नहीं कर सकती थी कि मैं भी किसी की ओर आकर्षित हो सकती हूँ। उसने मुझसे कई बार पूछा कि क्या यह सच है फिर वह ना सिर्फ़ मेरे सामने ही मेरा मज़ाक उड़ाने लगी, दूसरे लोगों को बताना शुरू किया कि मैं कितनी बेवकूफ हूँ। वे सभी कई दिनों तक इस बारे में बातें करते रहे। मैं इतनी शर्मिंदा हुई कि मैंने लोगों से इस बारे में बात करना ही बंद कर दिया।
इन सभी अनुभवों के बाद मैं खुद से ही पूछने लगी कि क्या मुझे प्यार करना इतना मुश्किल है। क्या मेरा यह सोचना बेवकूफी है कि मुझे किसी दिन एक ऐसा लड़का मिलेगा जो मेरे लिए हर तरह से सही होगा। क्या प्यार पर विश्वास करना मेरी मूर्खता थी?
मैं अपने क्रश के बारे में सपने देखने लगी और सोचा करती कि शायद वे कभी मुझे प्रोपोज़ करे। हम एक क्लास में नहीं थे लेकिन मैं स्कूल में हर दिन उसे देख सकती थी। मैं अपने किसी भी क्रश से कभी बात भी नहीं कर पाई क्योंकि वे पॉपुलर हुआ करते थे जबकि मेरा कोई नाम भी नहीं जानता था। ये एकदम तय है कि उन्हें पता भी नहीं होगा कि मैं स्कूल में हूँ भी या नहीं। लेकिन इन सबके बावजूद मैं उनके बारे में सपने देखती रही।
मुझे अब भी लगता है कि ये कितना जादुई होता अगर वे भी मेरे बारे में ऐसा ही सोचते, कैसे मेरे दोस्त मुझे उनका नाम लेकर चिढ़ाते! कैसे वे मुझे कॉफी के बारे में पूछते और हर चीज के बारे में बातें करते। यह सोचना भी बहुत खूबसूरत था। इस जीवन के बारे में सोचना भी फैन्टेसी जैसा था।
यह सब सोचना मेरे लिए अधिक आसान था। मुझे बॉयफ्रेंड के रूप में केयरटेकर नहीं चाहिए था। मैं अपने साथी से प्यार और आदर चाहती थी। मैं ऐसा साथी कभी नहीं चाहती थी जो मेरी शारीरिक अक्षमता को अस्वीकार करे। मेरी अक्षमता भी मेरा ही हिस्सा थी। मुझे ऐसे साथी की दरकार थी जो अपनी झिझक से बाहर निकलकर मुझे स्वीकारे और मेरी पसंद, नापसंद , यहाँ तक कि मेरी विचित्रताओं को भी समझे।
मुझे लगता है कि प्यार किसी भी संदेह और खतरे से ऊपर की चीज़ है और यह सहानुभूति तो कतई नहीं है। दरअसल यह इनमें से कोई नहीं है। अगर यह अपने साथ खतरे लाता तो नई समझ भी लाता है। अगर इसमें संदेह है तो, स्वीकार भी है। किसी को भी कभी यह नहीं कहा जाना चाहिए कि प्यार उसके लिए नहीं बना। प्यार किसी बात की परवाह नहीं करता। हर किसी को प्यार पाने और देने का हक है।
नाम बदल दिए गए हैं और तस्वीर में मौजूद व्यक्ति एक मॉडल है।
लव मैटर्स, राइजिंग फ्लेम के सहयोग से प्रेम, अंतरंगता, रिश्तों और विकलांगता पर निबंधों की एक श्रृंखला प्रस्तुत करता है। दिल विल प्यार व्यार विकलांग महिलाओं की आवाज़ को बढ़ाने का एक प्रयास है; प्रेम पर आख्यान जो शायद ही कभी रोमांस पर मुख्यधारा की चर्चा में देखा जाता है। 14 फरवरी से, हम विकलांग महिलाओं द्वारा लिखी गई कई कृतियों को जारी करेंगे, जिससे हमें उनके जीवन में झांकने का मौका मिलेगा।
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