लिंग पुनर्मूल्यांकन सर्जरी लोगों को उनकी लैंगिकता से जुड़े जैविक लक्षणों जैसे कि स्तन, योनि, लिंग, क्लिटोरिस, अंडकोष आदि में परिवर्तन करने में समर्थ बनाती है। इस तरह के लैंगिक बदलावों की ज़रुरत उन लोगों को होती है जो अपने आपको जन्मजात मिली लैंगिकता से जुड़ा हुआ नहीं पाते हैं। इसे ऐसे समझें कि जैसे मुझे बचपन से ही बताया गया कि मैं एक पुरूष हूं जबकि बड़ा होते हुए मैंने ख़ुद महसूस किया कि मैं एक स्त्री हूं।
हालांकि, इन सब के बावजूद मेरे शरीर में पुरुषों वाले लक्षणों जैसे कि लिंग, अंडकोष, दाढ़ी, भारी आवाज आदि का विकास नहीं रुका। इसलिए एक स्त्री की पहचान को पाने के लिए मैंने चिकित्सकीय प्रक्रिया को चुना। इसके लिए मेरे सामने दो विकल्प थे : हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) और जेंडर रिअसाइनमेंट सर्जरी जिसे लिंग परिवर्तन सर्जरी के नाम से भी जाना जाता है। यह व्यक्ति पर निर्भर करता है कि लिंग परिवर्तन करने के लिए वह सेक्स परिवर्तन सर्जरी या एचआरटी में से क्या चुनता है या फिर कुछ भी नहीं चुनता और जैसा है वैसा ही रहता है।
इस सर्जरी के अंतर्गत ऐसी महिलाएं जिनका जन्म पुरुष के रूप में हुआ हो लेकिन वह खुद को स्त्री मानती हों, उन्हें स्तन प्रत्यारोपण, अंडकोश को हटाना और क्लिटोरिस के निर्माण जैसे परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है। इसी तरह ऐसे पुरुष जिनका जन्म स्त्री के रूप में हुआ हो लेकिन वे खुद को पुरुष मानते हों उन्हें अपने स्तनों एवं योनि को हटाने और लिंग के निर्माण जैसे परिवर्तनों से गुजरना पड़ता है।
एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति अपनी पसन्द, सुविधा, सर्जरी के ख़र्च और उपलब्ध सर्जिकल विकल्पों के आधार पर यह तय कर सकता है कि उसे अपने अंदर ये सारे बदलाव लाने हैं या सिर्फ़ सीमित बदलाव लाने है।
सामान्यतया इसकी कोई ज़रुरत नहीं है। ट्रांसजेंडर शब्द एक व्यापक दायरे की ओर इशारा करता है जहां व्यक्ति अपनी लैंगिकता से जुड़े कुछ या कई लक्षणों को स्वीकार कर सकता है। इस दायरे में सांस्कृतिक लक्षणों जैसे कपड़े पहनने की आदतों में बदलाव से लेकर अपनी चाल-ढाल अथवा अपने जैविक अंगों में बदलाव करना तक शामिल हैं।
ऐसे ट्रांसजेंडर व्यक्ति जो सेक्स चेंज सर्जरी करवाते हैं, उन्हें ट्रांससेक्सुअल कहा जाता है। कुछ ट्रांसजेंडर लोगों की सेक्स चेंज सर्ज़री करवाने की इच्छा ही नहीं होती तो कुछ इसका ख़र्च उठाने में सक्षम नहीं होते हैं या अन्य कारणों की वजह से यह सर्जरी नहीं करवाते हैं।
कई रुझान यह बताते हैं कि पहले की अपेक्षा अब ज्यादा लोग सेक्स चेंज सर्जरी करवा रहे हैं। भारत में भी विशेषकर मेट्रो शहरों में सर्जरी की मदद से लिंग परिवर्तन करवाना काफ़ी आसान हो गया है। सरकारी और प्राइवेट दोनों ही तरह के अस्पतालों में यह सर्जरी होती है।
हालांकि इस सर्जरी की उपलब्धता बड़ी समस्या नहीं है बल्कि असल समस्या इस सर्जरी में होने वाला लाखों का ख़र्च हैI और इतनी महंगी सर्जरी उन लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या है जो पिछड़े हुए तबके से आते हैं। जहाँ विदेशियों के लिए यह सर्जरी भारत में करवाना सस्ता है वहीं भारत के अपने ट्रांसजेंडर लोगों के लिए इसका महंगा होना दोनों के जीवन स्तर में असमानता को दर्शाता है।
साधारण शब्दों में कहें तो जेंडर रिअसाइनमेंट सर्जरी, ट्रांससेक्सुअल लोगों को पूर्ण और सार्थक जीवन व्यतीत करने में मदद करती है क्योंकि वे खुद को उस लैंगिकता के करीब पाते हैं जिससे वे वास्तव में जुड़े हुए होते हैं। इसका मतलब एक ऐसे जीवन से है जहां भावनात्मक तनाव अपेक्षाकृत कम होता है और सेक्स लाइफ भी अच्छी होती है। यह सर्जरी उन सामाजिक और भावनात्मक समस्याओं से भी निपटने में कारगर है जो उस लैंगिक शरीर के साथ आती है जिससे आप ख़ुद को जुड़ा हुआ महसूस नहीं करते हैं।
सेक्स चेंज सर्जरी में भी अन्य चिकित्सकीय प्रक्रियाओं की तरह ही ज़ोखिम हैं। इसमें प्रजनन क्षमता का नष्ट होना और ऐसे मनोवैज्ञानिक बदलाव होना जिसे आप स्वीकार ना कर पाएं, जैसे ज़ोखिम शामिल हैं। सर्जरी के बाद हीमेटोमा जिसमें खून, रक्त वाहिकाओं के बाहर जमा होने लगता है और निप्पल नेक्रोसिस जिसमें निपल्स के आसपास की कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं जैसी गंभीर समस्याएं भी हो सकती हैं।
इसलिए सर्जरी करने से पहले डॉक्टर ये पूरी तरह सुनिश्चित करते हैं कि क्या वास्तव में यह व्यक्ति अपने जन्मजात लैंगिक स्वरूप से तालमेल नहीं बिठा पा रहा है और फिर उसके बाद जाकर सर्जरी करते हैं। इसके साथ ही साथ मरीजों को भी सर्जरी के बाद होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए डॉक्टर के निर्देशों को सख्ती से पालन करने की सलाह दी जाती है।
ट्रांजिशनिंग एक जटिल प्रक्रिया है, और सेक्स सर्जरी केवल इसका एक हिस्सा भर है। यह हमेशा आप पर निर्भर करता है कि किस उम्र में कैसे और कितना लैंगिक बदलाव आप चाहते हैं। जो आपके लिए सबसे अच्छा हो वही फ़ैसला आपको करना चाहिए। सर्जरी में शामिल डॉक्टरों से इस बारे में खुलकर और ईमानदारी से बात करना आपके लिए फायदेमंद होगा और इसमें बिल्कुल भी शरमाना नहीं चाहिए।
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लेखक के बारे में: मुंबई के हरीश पेडाप्रोलू एक लेखक और अकादमिक है। वह पिछले 6 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह शोध करने के साथ साथ, विगत 5 वर्षों से विश्वविद्यालय स्तर पर दर्शनशास्त्र भी पढ़ा रहे हैं। उनसे लिंक्डइन, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संपर्क किया जा सकता है।