Shubh Mangal Zyaada Saavdhan
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शुभ मंगल ज़्यादा सावधान - स्ट्रेट या गे, हैं तो बस प्रेम!

इंडिया को उसका पहला समलैंगिक रोमकॉम मिल गया है और नए राज और सिमरन भी - यानी अमन और कार्तिक! लव मैटर्स इसके निर्माताओं को सुपर से भी ऊपर वाली शाबासी देता हैं और इस फिल्म को तीन विशाल लव मैटर्स दिल!

इंडिया को उसका पहला मेनस्ट्रीम समलैंगिक रोमकॉम मिल गया है और लव मैटर्स इसके निर्माताओं को सुपर से भी ऊपर वाली शाबाशी देता है कि उन्होंने हमारे जैसे होमोफोबिक समाज में ऐसी फिल्म बनाने का साहस दिखाया। जय हो! आयुष्मान खुराना और जितेंद्र कुमार जिन्होंने फ़िल्म में कार्तिक सिंह और अमन त्रिपाठी का चरित्र निभाया है, वे दिल्ली में आश्चर्यजनक रूप से बिना झंझटों वाला जीवन बिता रहे थे।

 दिक्कत तब शुरू होती है जब वे अमन की बहन रजनी उर्फ़ गूगल की शादी में शामिल होने इलाहाबाद गए और अमन के पिता (वैज्ञानिक शंकर त्रिपाठी जिसका किरदार गजराव राव ने निभाया है) ने उन्हें एक दूसरे को बहुत ही कामुक चुंबन लेते हुए देख लिया। यह देख वह भयंकर रूप से परेशान हुए और बेहोश हो गए। जब उन्हें होश आया तो उन्होंने कार्तिक पर अपने बेटे को बहकाने का इल्ज़ाम लगाया और प्यार से अमन को चेताया –‘ये लड़का ठीक नहीं है, तू दूर रह इससे’। 

इसी बीच मम्मी सुनैना त्रिपाठी ( नीना गुप्ता) ने अपने लाडले के लिए एक सर्वगुणसम्पन्न लड़की कुसुम (पंखुरी अवस्थी द्वारा अभिनीत) को खोज लिया है और उसे सोने के कंगन देकर इस गठबंधन पर मुहर भी लगा दी है। शादी का दिन आता है लेकिन ठीक फेरों से पहले शंकर और कार्तिक में बहस हो जाती है। अपने प्रेमी के बचाव में अमन सबके सामने ही कार्तिक को चूम लेता है। एल. एम. का दिल घोर रूमानी कार्तिक, जिसने थोड़े से दब्बू लेकिन रोमांटिक अमन के लिए हमेशा स्टैंड लिया है, के बीच के इन मुलायम पलों को देख पिघल उठा।

मामला तब हास्यास्पद हो उठता है जब अमन के चाचा (मनु ऋषि) और चाची (सुनीता राजवार) हतप्रभ समधियों को मनाने के लिए इस चुंबन को एक ज़रूरी पारिवारिक रस्म बताते हैं। लेकिन शादी फिर भी टूट जाती है। 

इसके बाद सारा तिवारी खानदान इस तथाकथित बीमारी का इलाज खोजने और अमन के दिल से उस लड़के को निकालने के चक्कर में जुट जाता है। इमोशनल ब्लैकमेल से लेकर शंकर के नकली आत्महत्या के प्रयास और अमन के अंदर के गे के क्रियाकर्म तक के पागलपन जैसे सभी उपाय आजमाए जाते हैं। हालाँकि इन सभी पागलपन की हरकतों के बाद भी एक बात तो सामने आती है कि जहाँ कार्तिक के पिता ने उसके रिश्ते को जानकर उसे छोड़ दिया, अमन के माता पिता शंकर और सुनैना उसे बहुत प्यार करते हैं। 

एक तरफ़ जहाँ बाकी लोग विरोध कर रहे हैं, वही गूगल जो अपने भाई के सेक्सुअल रुझान के बारे में हमेशा से जानती थी, उसके रिश्ते के लिए सहयोग और समझदारी से भरी है। लेकिन जब शंकर कार्तिक को मारता है तब अमन और बर्दाश्त नहीं कर पाता और कुसुम से शादी के लिए मान जाता है। 

इसके बाद का हाई वोल्टेज़ ड्रामा सबको इस मसले पर सोचने का मौका देता है। शंकर और सुनैना दोनों ही अपने प्यार को नहीं पा सके थे और एक दूसरे से शादी करना उनका एक समझौता था। तो अमन क्यों एक बिना प्यार की शादी का बोझ क्यों झेले? इसी तरह कार्तिक अमन को समझाता है कि अपने परिवार को खुश करने के लिए किसी से शादी करना कोई हल नहीं है। 

बहुत सारी दिक्कतों के बाद जहाँ हमारा प्रेमी जोड़ा हर दिन एक नई लड़ाई लड़ता है, अपने प्यार के साथ खड़े होने का फ़ैसला लेता है और अपने नियमों के मुताबिक फेरे लेने जाता है जब पुलिस इसे अवैध करार देकर रोक देती है ( यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा गे सेक्स को वैध घोषित करने से एक दिन पहले होता है) और इन्हीं पलों का हम सांस रोककर इंतजार कर रहे होते हैं। चमन चाचा के आँखें खोलने वाले भाषण के बाद जहाँ वह प्रेमी जोड़े के पक्ष में खड़े होते हैं बाकी परिवार भी इस रिश्ते के लिए समझदारी और सहयोग दिखाता है। एल एम की तरफ़ से परिवार के विरुद्ध हुई इस सबसे कठिन लड़ाई को जीतने के लिए दिल से सलाम। 

अब लव मैटर्स के लेंस के साथ नफ़रत और प्यार की एक-एक बात 

एक मौके पर शंकर अपने परिवार में सेक्स शब्द बोले जाने की पाबंदी लगाता है। इतना गुस्सा क्यों तिवारी साहेब खासकर तब जब सेक्स आपके लिए इतना बड़ा स्ट्रेसबस्टर है। इससे अच्छा होमोफोबिया को बैन करते। 

एल एम को बहुत अच्छा लगा जिस तरह पूरी फिल्म होमोफोबिया के विरोध में खड़ी हुई। अमन अपने पिता को साइंस की भाषा में समझाने की कोशिश करता है कि केमिकल रिएक्शन सबके लिए एक समान होता चाहे वह गे हो या स्ट्रेट। चमन चाचा के कार्तिक से यह पूछने पर कि ‘आपने कब डिसाइड किया आप गे हैं’, कार्तिक की हाज़िरजबावी कि  ‘आपने कब डिसाइड किया कि आप गे नहीं हैं?’ पॉइंट तो है बॉस! 

हमारी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता जब शंकर कार्तिक को स्वीकार करता है और गले लगाता है। आखिरकार कार्तिक के जीवन में भी पिता और परिवार का प्यार आता है। 

जहाँ तक रेटिंग का सवाल है शुभ मंगल ज़्यादा सावधान को तीन विशाल एल एम दिल मिलते हैं हमें नए राज और सिमरन देने के लिए -अमन और कार्तिक। लव स्टोरी किसी स्टीरियो टाइप को बढ़ावा नहीं देती बस कुछ हंसी के दृश्य हैं। एक नन्हा लव मैटर्स मॉनस्टर गूगल के लिए जिसे अपना प्यार नहीं मिलता और एक और सिक्वेल हमें सिर्फ़ उसके लिए चाहिए। 

नोट: लव मैटर्स मूवी रिव्यू में फिल्मों का विश्लेषण किया जाता है कि उनमे लव, सेक्स और रिलेशनशिप को कैसे दिखाया गया है। वह फिल्म जिसमें दिखाया हो LM-style romance उसे मिलेंगे LM Hearts! और जिस फिल्म ने खोयी सहमति, निर्णय या अधिकारों की दृष्टि, उसे मिलेगा LM Monster !

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Hlo aunty ji me yogesh Mumbai se hu me 12th ka student hu mujhe ladko ko dekh kar alag alag feeling aati hai handsome ladka delh ke ke mara man machal uth ta hai man karta h us se bat karu mujhe ladkiya bilkul nahi pasand sirf ladke achee lagte hai unse sambandh banane ko dil karta hai par me ye jan chuka hu me gay hu me apni family ko batane se dar raha hu wo log mujhe nahi except karege meye janta hu ki gay hona koi aprad nahi ab to court bhi Keith ek ladka dusre ladke ke sath samaband banata hai to wo aprad nahi hai me kya karu anuty aap bato
Nahi bete yeh koi apradh nahi hai! Yadi aapk girl ki ore feeelings nahin, aur boys ki ore hain - to apne aap ko to jaan hee rae hain na? yeh to bahut achchi baat hui - aap kisi ke bhi dabaav mein mat aana - apni life ko kisi aur k haathon gava mat dena. Aur jahan tak family ke acceptance ki baat hai toh yeh baat toh hai ki pariwar, samaj aur logon ke liye yeh abhi bhi bahut adbhut hai – bahut hee alag hai!! So aapko apne pariwar, samaj aur mahool ko bhi dekhna hai – koi bhi kadam uthane se pehle. Behraal beta- aapko apne aap ko swath aur safe rakhn ahai – kisi ke behkaave mein nahin aa jaana hai – theek hai? https://lovematters.in/hi/sexual-diversity/sexual-orientation/am-i-gay Yadi aap is mudde par humse aur gehri charcha mein judna chahte hain to hamare discussion board “Just Poocho” mein zaroor shamil ho! https://lovematters.in/en/forum
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