"अरे ये क्या गंध/स्मेल है?" अगर आप भी पीरियड्स के दौरान अचानक यह सोचकर ठिठक गई हैं, तो आप अकेली नहीं हैं। बहुत सी लड़कियों को पीरियड्स के दौरान एक अजीब सी मेटल या लोहे जैसी गंध महसूस होती है और फिर दिमाग में तुरंत सवाल आता है, “क्या ये नॉर्मल है?” या “कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं?”
पुरुष अक्सर मूत्र संबंधी समस्याओं को नज़रअंदाज़ कर देते हैं क्योंकि उन्हें इन समस्याओं की सही जानकारी नहीं होती। जैसे- कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, किस डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए इत्यादि। ऐसे में इस लेख के जरिए हम आपको पुरुषों के मूत्र संबंधी समस्याओं से जुड़ी सारी जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
नेटफ्लिक्स पर आयी एक नयी फिल्म - चमन बहार - देखते हुए ना जाने कितनी चीज़ें याद आ गयीं, कितने डर ज़िंदा हो गये। नुक्कड़, कॉलेज और चाय की टपरियों पर इकट्ठा लड़कों का हुजूम याद आ गया, जो सिर्फ़ टाइम पास के लिए लड़कियां छेड़ते थे। अणुशक्ति सिंह ने लव मैटर्स के साथ अपने यादें सांझा की।
क्या यह एक वुमन हॉस्टल हैं या किसी अस्पताल का यूनिट में या कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों का सेल (मुझ पर हँसिएगा मत, टाइम ही खराब चल रहा है, मैं अकेली नहीं हूँ जिसके दिमाग में 24x7 कोरोना वायरस ही चलता रहता है।) यहाँ बहुत भीड़ है और सारी औरतें बहस कर रहीं हैं। दरवाजे की घंटी बजती है और कमरे में बहस और बढ़ जाती है। ये सब क्यों लड़ रहीं हैं, हम कहाँ हैं?
फिल्म थप्पड़ ऐसे कई घरों की अंदरूनी सच्चाई उजागर करती है जहां पुरुषों को सब कुछ करने की छूट होती है, यहां तक कि शारीरिक शोषण भी, लेकिन इसके बावज़ूद भी उनके ऊपर कोई उंगली नहीं उठा पाता।
इंडिया को उसका पहला समलैंगिक रोमकॉम मिल गया है और नए राज और सिमरन भी - यानी अमन और कार्तिक! लव मैटर्स इसके निर्माताओं को सुपर से भी ऊपर वाली शाबासी देता हैं और इस फिल्म को तीन विशाल लव मैटर्स दिल!
हम लड़कियों को प्यार, ज़िंदगी और करियर सब चाहिए और अभी चाहिए ! एक के बदले दूसरी चीज़ नहीं! बस जी, सिनेमा हॉल में मेरे बगल में बैठी लड़की के इस कमेन्ट ने लव आज कल -2 का रिव्यू कर दिया और अपने इम्तियाज़ सर यहीं मात खा गए।
पार्ट टाइम लवर से फुल टाइम डैडी बने 40 साल के जैज (जसविंदर सिंह) की कहानी है फिल्म जवानी जानेमन। फिल्म में पिता और बेटी के बीच उलझे रिश्तों के ताने बाने को बखूबी दिखाया गया है।
फिल्म शुरु होते ही पर्दे पर जब 6 -पैक एब्स दिखायी देता है तभी हमें अंदाज़ा हो जाता है कि फिल्म में गठीले बदनों की भरमार होगी। और हम बिलकुल निराश नहीं हुए! ठुमको की गैलरी में आपका वेलकम है जी।
दो मम्मियां लड़ती रहती हैं जबकि उनके बच्चे एक दूसरे को बचपन से प्यार करते हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है जय मम्मी दी की. इस रोमांटिक कॉमेडी में न रोमांस है और न कॉमेडी।
जब कोई फिल्म दिसंबर 2012 (दिल्ली बस रेप के विरोध में) के प्रदर्शन के नारों और स्लोगन से शुरू होती है - “न्याय दो, फांसी दो।” - तभी हमें पता चल जाता है कि यह दूसरी मसाला फिल्मों से बहुत अलग है और इसे देखना इतना आसान नहीं होगा।
अगर आप Sallu bhaiyya से प्यार करते हैं तो आप इसे miss नहीं करना चाहेंगे! दबंग 3 उतनी दबंग नहीं लेकिन अगर आप entertainment के साथ कुछ अच्छे messages देखना पसंद करते हैं, तो क्यों नहीं?