सुनयना, 22, नॉएडा में एक स्टूडेंट है।
ख़ास मेरे लिए या फिर?
2020 के पहले लॉकडाउन से ठीक पहले, वह बसंत की एक ठंडी शाम थी। मैं कॉफ़ी शॉप की तरफ़ जा रही थी, जहाँ मेरे दोस्तों ने मिल कर कुछ ग्रुप असाइनमेन्ट्स के बारे में चर्चा करने का प्लॉन बनाया था। अंदर आते आते, जब मैं सोच रही थी कि क्या आर्डर किया जाये, मैंने संजय को देखा। वह सफ़ेद शर्ट और जीन्स में बहुत अच्छा लग रहा था।
मेरे अंदर आ जाने पर, उसने मेरे बैठने के लिए एक कुर्सी खींची। क्या उसने यह ख़ास मेरे ही लिए किया या फिर वह किसी भी लड़की के लिए ऐसा करता, मैंने सोचा। मैंने मुस्कुरा कर उसे हेलो कहा। मैं उसकी गहरी भूरी आँखों को देखकर सम्मोहित हो गयी। ग्रुप में और भी दोस्त थे पर मेरी आँखें संजय से हट ही नहीं रही थीं। उसके बारे में कुछ तो ऐसा था जो मुझे उसकी ओर आकर्षित कर रहा था।
हम सबने गपशप की, असाइनमेंट्स के लिए अपनी अपनी जिम्मेवारियों को समझा और संजय ज़्यादातर चुप रहकर सुनता रहा। उसके साथ में एक ही मेज़ पर बैठ कर, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने खोये खोये मन से वह सब लिखा जो मुझे करना था और बस संजय की तरफ देखती रही, उसके हाथ, उसकी मुस्कान और आँखें !
जब हमारा काम ख़त्म हो गया और सब जाने लगे, संजय ने मुझे पास वाले मेट्रो स्टेशन तक साथ में आने के लिए कहा क्योंकि वह उसी तरफ जा रहा था। मेट्रो स्टेशन तक पहुँचने के लिए हमें थोड़ा पैदल जाना पड़ा। यह तो निश्चित ही जानबूझ कर किया गया है, मैंने मन में ऐसा सोचा और मुस्कुरायी।
सातवें आसमान पर
जैसे ही लॉकडाउन हुआ, हमें और भी ज़्यादा बातें करने का मौका मिल गया। हम अपनी परेशानियों, डर और बाकी इधर उधर की बहुत सी बातें करने लगे। यह बातचीत लॉकडाउन से लेकर पढ़ाई से लेकर हमारे पसंदीदा बैंड तक की थी। उत्सुकता से भरकर, मैंने उससे पूछा कि क्या उसका हमारे कॉलेज में से किसी पर क्रश है या रहा है। उसने शरमा कर धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया 'अभी तक नहीं'।
क्या इसका मतलब यह है कि मेरे पास अब मौका है? मैं समझ नहीं पा रही थी कि अपनी ख़ुशी को किस तरह काबू में करूँ। मैंने उसे गुड लक कहा और पूछा यदि वह मुझे अपना फ़ोन नंबर देना चाहता है। वह ख़ुशी से मान गया। मैं सातवें आसमान पर थी।
उस दिन के बाद, मैं उसके बारे में ही सोचती रही। मैं उसे किसी ना किसी वजह से हर रोज़ मैसेज करने लगी-कभी भविष्य में करियर के चुनाव के लिए, कभी पोस्ट ग्रेजुएशन के फॉर्म भरने में मदद लेने के लिए। कोई भी बेकार सी वजह भी काफी थी, मुझे उसके साथ बात करने के लिए। मैं खुश थी कि वह कम से कम मेरे मैसेजेस का जवाब तो दे रहा था।
लगभग एक महीने के लगातार मेसेजेस के बाद, उसका जवाब आना कम हो गया। शुरुआत में तो वह बहुत जोश के साथ जवाब देता रहा, पर कुछ दिनों बाद मुझे लगा कि उसकी दिलचस्पी कम हो रही है। उसके जवाब कम होने लगे और उत्साह भरे नहीं रहे। वह लगभग एक घंटा या उससे भी ज़्यादा समय बाद जवाब देता और वह भी बस 'हाँ' या 'ओके' में।
मुझे लगा कि अब वह समय आ गया है कि मुझे उसे बता देना चाहिए कि मेरे मन में उसके लिए फ़ीलिंग्स हैं। मैनें उसे मैसेज किया कि मेरा उस पर क्रश है। उसने उस दिन जवाब नहीं दिया। जब मैंनें उसे कॉल किया, तो उसने थैंक यू कहा। बस!
उम्मीद नहीं छोड़ी?
मैनें उम्मीद नहीं छोड़ी, और उसे एक के बाद एक रोज़ मैसेज करती रही। मैं लगातार उससे बात करने की कोशिश करती रही पर वह मुझे टालता रहा और अब वह कभी कभी मेरा फ़ोन भी नहीं उठाता था। मैं गुस्से में भर गयी और समझ नहीं पा रही थी कि वह किसी ऐसे व्यक्ति के साथ ऐसा क्यों करेगा जो उसे इतना प्यार करता हो।
मेरी उम्मीद टूटने लगी और मैं हताश हो गयी। जैसे ही लॉक डाउन ख़त्म हुआ, एक बहुत ही खूबसूरत दिन ,जब सर्दियों की धूप निकली हुई थी, मेरी सहेली दीक्षा ने पार्क में पिकनिक मनाने का निश्चय किया। उसने कुछ और दोस्तों के साथ अभय को भी बुलाया था, जो मेरे स्कूल का पुराना दोस्त था। हम सहपाठी थे पर हमने कभी आपस में बात नहीं की थी। मुझे याद था कि वह मेरी ही क्लास में था और हमेशा मेरे पीछे वाली सीट पर बैठता था।
वह मेरे लिए एक बहुत अच्छी आउटिंग थी और कुछ समय के लिए मेरा ध्यान संजय से हट गया था। अभय ने मुझसे बहुत बात की और हम इस बारे में बात करते रहे कि किस तरह एक साल घर में रहने के बाद हम सब कॉलेज जाने के लिए उत्साहित हैं।
हमने एक दूसरे को अपना फ़ोन नंबर दिया और मैं पार्टी से वापस आ गयी। जैसे ही मैं घर पहुंची, मेरे फ़ोन पर किसी का मैसेज आया। मैनें सोचा कि यह संजय का मैसेज होगा, पर जब मैनें चेक किया, तो वह अभय का था। रात के 12 बज चुके थे और मुझे अजीब लगा कि वह मुझे इस समय मैसेज कर रहा था। मैनें उसे कहा कि मैं बहुत थकी हुई हूँ और कल बात करुँगी, और फिर एक गुड नाइट का मैसेज उसे भेज कर सो गयी। हालाँकि उसने मेरा मैसेज नहीं देखा।
सुबह सुबह की शेरो-शायरी
बहुत ही जल्द, मेरे फ़ोन पर अभय के मेसेजेस की बाढ़ आ गयी। गुड मॉर्निंग की फूलों वाली तस्वीरें, सुबह सवेरे की कहावतों के साथ। उसने मुझे बेकार से चुटकुले और शेरो शायरी भेजनी शुरू कर दी ! मैनें अपने फ़ोन को साइलेंट पर कर दिया और कुछ इमोजी और स्माइली उसे भेज दिए। जब मैं उसे कुछ घंटों तक जवाब नहीं देती, तो वह एकदम मेसेज कर देता, "क्या तुम वहां हो? तुम जवाब क्यों नहीं दे रही हो?" और मुझे उसे वापस जवाब देना पड़ता।
यह सब कुछ हफ़्तों तक चलता रहा। मैं फिर भी संजय को दिन में कभी कभी मेसेज करती रही। मगर अभय से मुझे चिढ़ होने लगी थी। तभी एक दिन, अभय ने मुझे डेट पर जाने के लिए कहा!
मैं उस इंसान के साथ डेट पर जाने की सोच भी नहीं सकती थी जो मुझे ग़ुलाब के फूलों और शेरो-शायरी के साथ गुड मॉर्निंग के मेसेजेस भेजता हो। मैनें जल्दी से एक बहाना बनाया कि मेरी तबियत ठीक नहीं है पर तब उसने 'गेट वेल सून! मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रहा हूँ' जैसे मेसेजेस और ज़्यादा शायरी भेजनी शुरू कर दी।
मैंने दीक्षा को यह सब मेसेजेस दिखाए और उसे बताया कि मैं अभय से कितना ज़्यादा चिढ़ चुकी हूँ। 'उसे यह क्यों नहीं समझ में आ रहा कि मुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है?' मैनें दीक्षा से कहा।
'यह बहुत मुश्किल है सुनयना। क्या तुम्हें यह बात तब समझ में आयी थी जब संजय ने तुम्हारे मेसेजेस का जवाब नहीं दिया?'दीक्षा ने पूछा और तब मुझे झटका लगा !
वह कितना सही कह रही थी! क्या मैं भी संजय के साथ बिल्कुल ऐसा ही नहीं कर रही थी? मैं उसे रोज़ मेसेज कर के परेशान करती रही। मैं समझ गयी कि वह भी इसीलिए मुझे नज़रअंदाज़ कर रहा था। मुझे मेरी गलती का एहसास हो गया, मैंने उससे माफ़ी मांगी और उस दिन से मैनें संजय को मेसेज करना छोड़ दिया। संजय ने एक स्माइली के साथ जवाब दिया और मैनें इसका कोई मतलब नहीं निकाला!
मुझे एहसास हुआ कि संजय के लिए मेरा जूनून बढ़ता जा रहा था। वह इतना नम्र था कि उसने मुझे ब्लॉक नहीं किया पर मैनें अभय का नंबर सब जगह से ब्लॉक कर दिया।
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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लेखिका के बारे में: विनयना खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.फिल कर रही हैं। उनको सेरेब्रल पाल्सी लेकिन यह उनकी पहचान नहीं है। वह एक लेखिका, कवि और हास्य कलाकार हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर भी हैं।