Deaf girl love story
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ख़ामोश रहकर भी हम बहुत कुछ कह जाते हैं

द्वारा Sraboni Basu दिसंबर 17, 11:45 बजे
भावना ने कभी सोचा नहीं था कि सिर्फ़ उसकी ख़ातिर पार्टी और फ़िल्म बीच में ही छोड़ देने वाला पराग जीवन भर उनका साथ देगा। लव मैटर्स के साथ अपनी कहानी बयां करते हुए भावना के पास लफ्ज़ नहीं थे।  21 साल की भावना भोपाल में फ्रीलांस राइटर हैं।

मेरी अपनी दुनिया

मुझे बचपन से ही कान से सुनाई नहीं देता था। बाहर के शोरगुल और कोलाहल से दूर मैं अक्सर अपनी ही दुनिया में खोयी रहती थी। एक ऐसी दुनिया, जहां प्यार,सूकून और ढेर सारी ख़ुशियाँ थी। मैं जन्म से ही बाएं कान से पूरी तरह और दाएं कान से 70 प्रतिशत बहरी थी। मुझे कुछ भी सुनने के लिए कान की मशीन का सहारा लेना पड़ता था।

इसके बावज़ूद मेरे माता पिता ने कभी मुझे विकलांग नहीं समझाI उन्होंने मुझे शहर के सबसे अच्छे स्कूल में पढ़ाया और फिर आगे की पढ़ाई के लिए भी शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में मेरा दाखिला करवायाI

मैं पराग से स्कूल में मिली थी। मुझे अभी भी याद है जब मैंने पहली बार उसे देखा था। वह लंबा, दुबले पतले शरीर वाला, आत्मविश्वास से भरा हुआ था, उसकी आंखों में एक अलग किस्म की चमक थी। मुझे ये ठीक से याद नहीं कि कब से... लेकिन वह हमेशा मेरी बगल में बैठता था। वह हमेशा चुटकुले सुनाता, तरह तरह के चेहरे बनाता और पढ़ाई में भी मेरी मदद करता था। एक तरह से मैं उसके ही पंखों से उड़ती थी। उसकी सभी के साथ दोस्ती थी लेकिन वह मेरा ख़ास ख्याल रखता था। लेकिन इस ख़ास ख्याल को मैं कभी अलग तरह से नहीं सोच पायी।

एक दिन क्लास के एक सहपाठी ने मेरी कान की मशीन का मजाक उड़ाया। मैंने हमेशा की तरह उस दिन भी इसे अनदेखा करना ही ठीक समझा। लेकिन पराग अचानक उठा और उसे जोर का घूंसा मारा। ओह.. मैं बता नहीं सकती कि वो एहसास कितना सुखद थाI

कोई शोर नहीं, लेकिन मज़ा बहुत आया

पराग और मैं सबसे अच्छे दोस्त बन गए। सौभाग्य से हम दोनों को एक ही कॉलेज में दाख़िला भी मिल गया। वह अभी भी ज़्यादातर कक्षाओं में मेरे बगल में ही बैठा करता था।

एक शाम, हमारे ग्रुप में सभी लोगों ने मूवी जाने की योजना बनाई। आमतौर पर मैं फिल्में देखने नहीं जाती थी क्योंकि तेज़ आवाज़ से मुझे परेशानी होती थी और कान की मशीन को भी नुकसान पहुंचता था। लेकिन उस दिन मैं जाना चाहती थी इसलिए उत्साहित होकर मैंने हां बोल दिया।

वह थ्रिलर फिल्म थी,जिसमें शोर शराबा ज़रूरत से ज़्यादा था। मैं आधे से भी कम फिल्म देख पायी और मेरे कान दुखने लगे। मुझे बेचैन देखकर पराग सब समझ गया और यह कहते हुए वह मेरा हाथ पकड़कर मुझे बाहर ले आया कि उसे भी फिल्म अच्छी नहीं लग रही है। मैं जानती थी वह झूठ बोल रहा था लेकिन वह मेरे साथ बाहर निकल आया और मुझे घर छोड़ दिया।

कुछ दिनों बाद, मेरा 20 वां जन्मदिन था। उस शाम मैं अपने दोस्तों के साथ पब में गई। यह मेरे लिए एक नया अनुभव था। रंग बिरंगी चमकती लाइटें, लोगों की भीड़ और तेज संगीत।

मुझे बहुत अच्छा लग रहा था। मैं वहां कुछ देर और रुकना चाहती थी लेकिन शोर शराबे की वज़ह से मेरे कान फट रहे थे। पराग मुझे उस ज़गह से अलग एक कोने में ले गया, जहां शोर कम था। हमने शाम का बाकी समय वहीं बिताया और खूब मस्ती भी की।

कूबुल करने से डर लगता था

कुछ दिनों बाद मुझे अपने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट देने जाना था। पिछले कई बार से वहां के अधिकारी मुझे फेल कर दे रहे थे। जिससे मैं अधिक नाराज़ थी क्योंकि मुझे मालूम था कि ड्राइविंग में पास होने वाले अन्य लोगों की अपेक्षा गाड़ी पर मेरा नियंत्रण बेहतर था। लेकिन वे मेरे कान की मशीन को देखकर ही मुझे ड्राइविंग में फेल कर देते थे।

इस बार पराग मेरे साथ आया। उसने मुझसे कहा कि मैं अपने बालों को खुला रखूं। मुझे थोड़ी शर्म आयी लेकिन उसने जैसा कहा मैंने वैसा ही किया। उसके साथ रहने से मुझमें बहुत आत्मविश्वास रहता था। अंततः उन्होंने मेरे ड्राइविंग लाइसेंस बन गया । बाद में मुझे ध्यान आया कि बाल खुले होने से मेरे कान की मशीन उन्हें दिखायी नहीं दी शायद इसलिए उन्हें लगा कि मैं ड्राइव कर सकती हूं।

पराग को यह बताते हुए मैं बहुत खुश थी। उसने मुझे कसकर गले लगा लिया और देर तक सीने से लगाए रखा। यह पहली बार था जब मेरा दिल तेजी से धड़क रहा था। मैं जानती थी कि वह प्यार था लेकिन मैं ख़ुद या उसके सामने इस बात को स्वीकार करने से डरती थी।

मेरे बहरेपन का असर दिखने लगा

दो साल बाद हम दोनों का कॉलेज खत्म हो गया। अब मेरे मम्मी पापा मेरी शादी के बारे में सोचने लगे। रात के खाने पर रोजाना भारत मैट्रीमोनी पर आये रिश्तों की बात होती थी। लेकिन उम्मीद के अनुसार सब मुझे रिजेक्ट कर देते थे। कुछ सामने से, कुछ सीधे तो कुछ इधर उधर की बातें करके।

जिंदगी में पहली बार मुझे बेहरे होने का एहसास दिलाया जा रहा थाI बार बार ठुकराए जाने से मैं परेशान रहने लगी और आए दिन मेरा मूड ख़राब रहता। पराग ने इसे नोटिस करना शुरू कर दिया था। लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि उससे क्या कहूं। मैंने उसके प्रति अपने प्यार को कभी स्वीकार नहीं किया था। मैनें कभी सोचा ही नहीं था कि जो लड़का मेरे लिए बीच में पार्टी और मूवी छोड़ देता है,वह जीवन भर के लिए मेरा हाथ भी थाम सकता है।

जीवन भर का साथ मिला

एक दिन पराग ने मेरी परेशानी की वज़ह पूछी। मैं उसे सबकुछ बताते-बताते ही रोने लगी। पराग मुस्कुराया, मेरी ठोड़ी को ऊपर उठाया और कहा, क्या तुम्हें लगता है कि मैं अपनी पत्नी पर चिल्लाने और उसे अपना बनाने का मौका अपने हाथ से जाने दूंगा। यह बात कहते हुए उसकी आंखों में वही चमक थी जिसे सालों पहले देखकर मेरा दिल पिघल गया था। उसने कहा कि अपने मम्मी पापा से कह दो परेशान न हों।

यह बिल्कुल भी इज़हार जैसा कुछ नहीं था लेकिन असल में था वही।

मैंने शर्माकर कहा, देखो मैं हमेशा तो तुम्हें नहीं सुन सकती लेकिन तुम्हारे दिल की बात हमेशा ज़रूर सुन सकती हूं। उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया। उस पल हममें से कोई नहीं बोला। बाकी बातें हमारी खामोशी बोलती रही।

*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

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