love and disability
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हम दोनों अटूट बंधन से बंधें हैं

द्वारा Shivangi मार्च 5, 10:45 पूर्वान्ह
हम एक विकलांग, क्वियर और ट्रांस कपल हैं। हमें अपने अस्तित्व के लिए रोज़ समाज से लड़ना पड़ता है। हमें मालूम है कि न्यूक्लियर फेमिली (एकल परिवार) की मान्यता को मानने वाला यह समाज हमारे रिश्ते को कभी स्वीकार नहीं करेगा। हमारी कहानी वैसी नहीं है जैसा आप बॉलीवुड फिल्मों में देखते हैं। हमारी पहली डेट पर सबसे अच्छी चीज़ ये थी कि हमने एक दूसरे के संघर्षों और अनुभवों का बहुत सम्मान किया। शिवांगी ने राइजिंग फ्लेम के साथ अपनी कहानी साझा की।

27 वर्षीय शिवांगी एक कंसल्टेंट, आर्टिस्ट और ट्रैवलर हैं और दिल्ली में रहती हैं। 

मैं सबसे सुंदर लड़की होती अगर ..

विकलांग शरीर के साथ प्यार बहुत जटिल अहसास हो सकता है. मुझे यह बात ठीक-ठीक अपने किशोरावस्था के दिनों में ही समझ में आ गयी थी। मुझे हमेशा लगता है कि लोगों को मुझसे सहानुभूति अधिक है, शायद इसलिए उन्हें प्यार भी आता है। अगर मैं जन्म से विकलांग नहीं होती तो क्या लोग मुझे ऐसे ही प्यार करते? अगर मैं फिजिकली फिट होती तो क्या तब भी लोग मेरे साथ अलग तरीके से पेश आते?

मुझे अपने मिडिल स्कूल की वह बात अक्सर याद आती है। जब स्कूल की एक लड़की ने  मुझसे आकर कहा था अगर मैं नकली पैर लगा लूं तो पूरे स्कूल की सबसे सुंदर लड़की दिखूंगी। मेरे शरीर को लेकर वो क्या सोचती है, मैंने इस पर कभी ज़्यादा ध्यान नहीं दिया लेकिन हां उसकी बात लंबे समय तक मेरे दिमाग में बैठी रही।

अब जब मैं उसके बारे में सोचती हूं तो मुझे नहीं लगता कि क्या नकली पैर लगाने से एक ऐसा समाज मेरे विकलांग शरीर को स्वीकार करेगा जिसके बीच हम बड़े होते हैं। मैं अपने शरीर को सिर्फ़ कमाने, खाने ,  शादी या फिर बच्चे पैदा करने तक सीमित नहीं रखना चाहती। मैं इन घिसी-पिटी मान्यताओं को नहीं मानती और सच कहूं तो मुझे लगता है कि जीवन का सच इन बोझिल मान्यताओं से कहीं परे है।

मेरे पहले प्यार से लेकर अब तक... 

मैं इन चक्करों में कभी नहीं पड़ी। मुझे मालूम था कि मैं क्वियर हूं। मेरी अपनी अजीबोगरीब दुनिया में मेरी सेक्सुएलिटी मेरे लिए बहुत नॉर्मल थी। जब मैं 12 साल की थी तब पहली बार मुझे किसी से प्यार हुआ था और उसका जेंडर मेरे लिए बहुत मायने नहीं रखता था। बात सिर्फ़ इतनी थी कि वह फिजिकली फिट था/थी और उसे मेरे विकलांग शरीर में प्यार करने लायक कुछ नहीं लगा।

और आज भी जब मैं एक कमिटेड रिलेशनशिप में हूं तो भी मेरे लिए अपने पार्टनर को प्यार करना और एक दूसरे का पूरा ख़याल रखना सबसे ज़्यादा मायने रखता है। 

मैं और निकिता जून 2018 में एक-दूसरे से ऑनलाइन मिले थे और धीरे-धीरे हम एक दूसरे से बेहद जुड़ गये। हमारे बीच का प्यार अनोखा है। हम एक दूसरे पर खूब प्यार लुटाते हैं और बहुत खुश रहते हैं। लेकिन प्यार के लिए अच्छी अंडरस्टैंडिंग, एक दूसरे की छोटी-छोटी चीजों का ध्यान रखने और ईमानदारी की ज़रूरत होती है। 

हमारी कहानी किसी बॉलीवुड फ़िल्म के जैसी नहीं है जहां एक्टर विकलांगता का नकली रोल प्ले करते हैं। हमने दुनिया के तयशुदा नियम कानूनों के परे  गैर-पारंपरिक परिवार बनाया है। 

हमारी पहली डेट

अपनी पहली डेट पर हमने एक दूसरे के संघर्षों और अनुभवों का सम्मान किया और पिछली ज़िंदगी के बारे में फिजूल के सवाल पूछने के बज़ाय एक दूसरे को अपनी मर्जी से अपनी कहानी बताने के लिए पूरा स्पेस दिया। हम अपने रिश्ते के लिए धैर्य, ईमानदारी और एक दूसरे को सच्चे दिल से प्यार करना बेहद जरुरी मानते हैं।

एक विकलांग, क्वियर और ट्रांस कपल के रुप में हम उन लड़ाइयों से वाकिफ़ हैं जो समाज में अपना अस्तित्व बनाने के लिए हर रोज़ लड़नी पड़ती है। एक ऐसे समाज में जो सिर्फ़ उन न्यूक्लियर फैमिली (एकल परिवार) को ही स्वीकार करता है जो वैध रिश्तों के आधार पर बने होते हैं।

मेरे रिश्तेदार मेरे और निकिता की रिलेशनशिप को नहीं समझते हैं। यहां तक कि उन्होंने कभी कोई प्रॉब्लम भी नहीं खड़ी की। उनकी नजरों में मैं और निकिता अभी भी अच्छे दोस्त हैं। 

दोस्ती अपने आप में एक अनोखा रिश्ता है जिसे हमारे सामाजिक-राजनीतिक परिवेश ने अनदेखा कर दिया है। हमें हमेशा ही यह याद रखना चाहिए कि हम एक ऐसे समाज का हिस्सा हैं जो व्यक्ति को उसके उसी रुप में नहीं बल्कि डॉक्यूमेंट्स और पेपर में लिखी बातों से स्वीकार करता है।

जैसे कि हमारी सरकार हमें विकलांगता का सर्टिफिकेट देती है और उसे ही हमारी पहचान माना जाता है। हमारे आर्थिक और सोशल स्टेटस की बज़ाय सर्टिफिकेट पर लिखे विकलांगता के प्रतिशत से ही हमें छूट दी जाती है। हमारे आसपास के लोग विकलांगता का प्रतिशत चेक करने के बाद यह तय करते हैं कि उन्हें हमारे साथ भेदभाव करना चाहिए या नहीं।

ऐसी स्थिति में हमें हमेशा अपने आप से यह पूछने की ज़रूरत है कि हम किन लोगों के बीच खड़े हैं। हम अच्छी तरह से जानते हैं कि वह व्यक्ति राजनीतिक है। हम रिश्तों पर तब तक बात नहीं कर सकते जब तक यह न समझ लें कि प्यार और दोस्ती कितनी ज़रूरी क्रांतिकारी और राजनैतिक क्रिया है।

प्रेम को काल्पनिक या शाब्दिक सीमाओं से परिभाषित नहीं किया जाना चाहिए, चाहे वह देश हो, जेंडर हो, ब्लड रिलेशन हो, धर्म या जाति हो। प्यार की कोई सीमा नहीं होती और यह दो लोगों के आपस का अहसास है ना कि कोई कम्पटीशन जिसमें हम यह देखें कि कौन जीत रहा है या किसे ज़्यादा प्यार मिल रहा है। ज़ाहिर है प्यार फूल, चॉकलेट, खूबसूरत हार्ट वाला कोई हॉलीडे भी नहीं है जो साल में एक बार फरवरी महीने में आता है।

 

तस्वीर में मौजूद व्यक्ति एक मॉडल है।

लव मैटर्सराइजिंग फ्लेम के सहयोग से प्रेम, अंतरंगता, रिश्तों और विकलांगता पर निबंधों की एक श्रृंखला प्रस्तुत करता है। दिल विल प्यार व्यार विकलांग महिलाओं की आवाज़ को बढ़ाने का एक प्रयास है; प्रेम पर आख्यान जो शायद ही कभी रोमांस पर मुख्यधारा की चर्चा में देखा जाता है। 14 फरवरी से, हम विकलांग महिलाओं द्वारा लिखी गई कई कृतियों को जारी करेंगे, जिससे हमें उनके जीवन में झांकने का मौका मिलेगा।

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