freedom of love for all
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क्या भारत में हर वर्ग को प्यार करने की आज़ादी है ?

द्वारा Akshita Nagpal अगस्त 16, 02:43 बजे
आज भारत अपनी आज़ादी की 72वीं वर्षगांठ मना रहा है, इस मौके पर हमने लोगों से यह जानना चाहा कि क्या सभी को अपनी इच्छानुसार मनपसंद व्यक्ति से प्यार की आज़ादी मिलनी चाहिए? तो क्या इस परिदृश्य मे समलैंगिक सम्बन्धों को कानूनी मान्यता दे देनी चाहिए। इस महत्त्वपूर्ण मुद्दे पर लोगों के विचार जानने के लिए आगे पढ़ें।

अपने मज़हब के बावजूद भी मैं इस बात से इत्तेफ़ाक़ रखता हूं ।

धारा 377 (कानून की वह धारा जिसके मुताबिक़ अप्राकृतिक मैथुन अपराध है) मानवाधिकारों का उल्लघंन करती है। इसलिए  मुझे लगता है कि इसे समाप्त किया जाना चाहिए। मैं एक मुस्लिम हूं और मेरे मज़हब के मुताबिक़ समलैंगिकता एक पाप है। लेकिन यह अल्लाह और इंसान के बीच का मामला है। समाज में ना सिर्फ समलैंगिकों बल्कि ट्रांसजेंडर लोगों को भी दरकिनार कर दिया जाता है। उनके और उनके अधिकारों बारे में बात ही नहीं होती।

-इमरान अहमद, 30, असिस्टेंट प्रोफेसर

 

कानून में बदलाव ज़रूरी

377 को समाप्त कर समलैंगिक संबंधों को वैध बनाया जाना चाहिए क्यूंकि वैसे भी लोग ऐसे सम्बन्ध बना ही रहे हैंI फिर चाहे वो समाज से छुप कर ही क्यों ना ऐसा कर रहे होंI इसलिए समलैंगिक संबंधों को वैध बनाना आज के समय की मांग हैI

रचना वढेरा, 57 वर्ष, बैंक कर्मी

 

पता नहीं

आसपास का माहौल विचारों को प्रभावित करता है। अपने आसपास समलैंगिक लोगों को देखकर युवा भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। तो शायद समलैंगिक सम्बन्धों को बन्दिशों के दायरे मे ही रखना चाहिए। लेकिन यदि समलैंगिकों को लगातार अपराधी माना जाता रहा और उनकी भावनाओं को दबाया गया तो वे ज़ोखिम भरे रास्तों की तरफ भी निकल सकते हैं। इस हिसाब से शायद धारा 377 को हटा  देना चाहिए। यह गलत और सही दोनों हो सकता है। मैं निश्चित तौर पर कुछ कह नहीं सकती।

कविता कुमारी, 25 वर्ष,आर्टिस्ट

 

अभी सही समय नहीं आया है

भारत की संस्कृति और समाज में अभी भी इतनी उदार मानसिकता विकसित नहीं हुई है का नही है कि यहाँ समलैंगिक संबंधों को सामाजिक और कानूनी मान्यता मिल सकेI कई अन्य देशों में समलैंगिक संबंध मान्य हैं। लेकिन हमारे देश में बहुत सी विविधताएं हैं और मुझे लगता है अभी भारत इसके लिए पूरी तरह से तैयार नहीं है।

* अखिलेश पांडेय, 46 वर्ष, प्रबंधक (प्लास्टिक विनिर्माण कंपनी)

 

हाँ, लेकिन कुछ शर्तों के साथ

कुछ सावधानियों के साथ आपसी सहमति से समलैंगिक संबंधों को वैध बनाया जाना चाहिए। जैसे, यौन संक्रमित बीमारियों को फ़ैलने से रोकने के लिए व्यवस्था बनानी चाहिए क्योंकि समलैंगिक लोगों में इस बीमारी के होने का ज़ोखिम ज़्यादा होता है।

* प्रवीण जालान, 23, आईएएस प्रतियोगी

 

कोई ज़रूरत नहीं है

मेरा मानना है कि धारा 377 को कायम रखा जाना चाहिए और समलैंगिक संबंधों को ग़ैरकानूनी ही रहने देना चाहिए क्योंकि इस तरह के संबंधों के बारे में सोचना भी बहुत अजीब लगता है। हालांकि ऐसा लगता है कि कुछ पुरुष, पुरुषों के साथ ही सहज महसूस करते हैं।

* सुमन शर्मा, 33, निजी निर्माण कंपनी कर्मचारी

 

देश के हित में नहीं है

विदेशों में ऐसे संबंध वैध और स्वीकार्य है। लेकिन इस तथ्य के बावज़ूद कि हम एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश हैं, अपने रीति-रिवाज़ों को देखते हुए हमें इस सबसे परहेज़ करना चाहिए। यदि यह एक ऐसी चीज होती जिससे देश का आर्थिक विकास होता तो मुझे इसे कानूनी मान्यता देने में कोई समस्या नही होगी।

* कमल प्रसाद, 31, सेल्स प्रोफेशनल

 

पुराने ज़माने में ठीक था

ऐसे सम्बन्ध प्रागैतिहासिक काल से अस्तित्व में हैं। यहां तक कि ये सम्बन्ध अकबर और शाहजहां जैसे राजाओं के समय में भी चलन में थे। राजा और व्यापारी लंबी यात्राएं किया करते थे और उनके साथ उनके साथी समलैंगिक हुआ करते थे और जो रानियां और शाही महिलाएं घर पर रह जाती थीं उनके पास लेस्बियन पार्टनर हुआ करती थीं। उस समय ये ठीक था। लेकिन आजकल ऐसे संबंधों से बीमारी फैलती है। इसलिए समलैंगिक संबंधों को अवैध माना जाना चाहिए। अब इस तरह के संबंध उचित नहीं हैं।

वेंकट अय्यर, 65, प्रशासनिक अधिकारी

 

प्यार करना कोई अपराध नहीं है

निश्चित तौर पर धारा 377 को समाप्त कर दिया जाना चाहिए और समलैंगिक संबंधों को वैध बनाना चाहिए। किसी से प्यार करना कोई अपराध नहीं है। मेरा भी एक बॉयफ्रेंड है जिसे मैं प्यार करती हूं। इसलिए मैं समझती हूं कि प्यार क्या होता है, चाहे वह विपरीत लैंगिक लोगों के बीच हो या समान लैंगिक लोगों के बीच। हर एक वयस्क की पसन्द को एक समान महत्ता मिलनी चाहिये।

* श्वेता सरकार, 21, खाद्य और पेय पदार्थ सहायक

 

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*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

 

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