ये रिश्ते इतने भी असामान्य नहीं हैं
अगर हम ध्यान से देखेंगे तो पाएंगे कि इस तरह के रिश्तों के उदाहरण हमारे अपने परिवारों में ही मिल जाएंगे। क्या आपने कभी अपने माता-पिता या अपने दादा-दादी, नाना-नानी के बीच उम्र के अंतर के बारे में ध्यान दिया है? बहुत मुमकिन है कि उनकी उम्र के बीच का फ़ासला आपकी सोच से बहुत ज़्यादा हो।
इस तरह के रिश्तों में रहने वाले लोगों को अक्सर उनके दोस्तों, परिवार और पूरे समाज में शक की नज़र से देखा जाता है। कुछ लोग सोचते हैं कि इस तरह के रिश्तों में आगे चलकर बर्बादी निश्चित है और ख़ासकर तब जब महिला पुरुष से उम्र में बड़ी हो। प्रियंका चोपड़ा की उम्र 37 साल है जबकि निक जोनास की 26 है और उनके ब्रेकअप की अफ़वाह उनकी पहली डेट से ही उड़ने लगी थीं।
आम सोच के ख़िलाफ़
आम लोगों के मन में यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या यह रिश्ते लम्बे चल पाएंगे या इनमे रह रहे लोग एक दूसरे के साथ खुश रह पाएंगेI क्या यह मायने रखता है कि महिला उम्र में बड़ी है या पुरुष? अमेरिका की एक रिसर्च टीम ने बीड़ा उठाया कि ऐसे और इस तरह के और सवालों के जवाब ढूंढ सकेंI
शोधकर्ताओं ने लगभग 200 हेट्रोसेक्सुअल (विपरीत लैंगिक रुझान वाली) महिलाओं से बात की जिनमें से आधी महिलाओं के रिश्तों में उम्र का फ़ासला था। ऐसी महिलाओं की संख्या, जिनके पार्टनर की उम्र उनसे ज़्यादा थी, उन महिलाओं की संख्या के लगभग बराबर थी जिनके पार्टनर उम्र में उनसे छोटे थे।
शोधकर्ता यह जानना चाहते थे कि किस तरह से महिलाएं अपने पार्टनर के प्रति प्रतिबद्ध (कमिटेड) हैं और किस तरह से ये महिलायें अपने रिश्ते में संतुष्ट हैं। इन महिलाओ से यह भी पूछा गया गया कि जब उन्होंने अपने से उम्र में बहुत बड़े या बहुत छोटे व्यक्ति को अपना जीवनसाथी चुना तो क्या उनके परिवार और दोस्तों ने उनके इस फ़ैसले में उनका साथ दिया?
शोध में पाया गया कि जब इस तरह के रिश्तों में महिला की उम्र ज़्यादा होती है तो रिश्तों में ज्यादा संतुष्टि और प्रतिबद्धता हासिल होती है। यह तथ्य निश्चित तौर पर प्रचलित मान्यता के विपरीत है और उन लोगों के लिए ख़ुशख़बरी है जिनके रिश्तों में उम्र का फ़ासला अधिक है।
रोमियो और जूलिएट की तरह
अब आप सोच रहे होंगे कि इसके क्या कारन हो सकते हैंI चलिए शोधकर्ताओं ने आपकी यह मुश्किल आसान कर दी हैI उनकी माने तो कारण है कम ईर्ष्या और जलन जब एक रिश्ते में एक महिला की उम्र ज़्यादा होती हैI
लेकिन रिश्तों में महिला की उम्र ज़्यादा होने पर इसके कामयाब होने की एक वज़ह शक और नापसंदगी भी हो सकती है। इसे शोधकर्ताओं ने "रोमियो और जूलिएट प्रभाव" कहा है। इसमें दूसरों की नापसंदगी के बावज़ूद अपने पार्टनर के प्रति लगाव मजबूत होता जाता है।
अब यह तो निश्चित है कि इस तरह के जोड़ों को अस्वीकार्यता या नापसंदगी का सामना करना पड़ता है। शोध में यह भी पाया गया है कि उम्र में अंतर वाले रिश्तों में महिलाओं को अपने परिवार और दोस्तों से कम सहयोग मिलता है और यह तब और भी कम हो जाता है जब महिला उम्र में बड़ी हो।
हर घड़ी में साथ देना
हालांकि उम्र में फ़ासले वाले रिश्तों में अस्वीकार्यता का सामना करना पड़ता है लेकिन कुछ मामलों में यह उन रिश्तों से बेहतर होता है जहां उम्र का फ़ासला कम रहता है।
इस शोध से क्या संदेश मिला? यही कि अगर आपमें और आपके पार्टनर में उम्र का फ़ासला ज़्यादा हो तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपका यह रिश्ता ज़्यादा दिन नहीं टिकेगा।
भले ही परिवार और दोस्त रोड़े अटकायें और वो भी ख़ासकर तब जब महिला उम्र में ज्यादा बड़ी हो। ऐसी आजमाइश की घड़ी में दोनों को एक दूसरे के साथ खड़े रहना चाहिए।
सन्दर्भ : कमिटमेंट इन ऐज गैप हेट्रोसेक्सुअल रोमांटिक रिलेशनशिप : ए टेस्ट ऑफ़ इवोल्यूशनरी एंड सोशियो कल्चरल प्रेडिक्शन. सायकोलॉजी ऑफ़ वीमेन क्वाटरली, साल 2008 में प्रकाशित
आपके और आपके पार्टनर के बीच उम्र का कितना फ़ासला है? क्या आप इससे जुड़ा कोई और सवाल पूछना चाहते हैं? नीचे टिप्पणी करें या हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें। हमारा फेसबुक पेज चेक करना ना भूलें।