*26 वर्षीय अक्षय एक एमएनसी में काम करता है और 28 वर्षीय दीप मंबई में एक रेस्तरां में शेफ है।
उस दिन नहीं
मेरा 26 वां जन्मदिन था। दीप और मेरे बीच पिछली रात किसी बात को लेकर बहस हुई और उसने खाना नहीं खाया। मैंने भी खाने को हाथ नहीं लगाया और उठ गया। ऐसा हम दोनों के बीच अक्सर होता था। एक साथ रहने वाले किसी भी दूसरे जोड़े की तरह, हम भी लड़ते थे और फिर सब कुछ भूलकर मिल भी जाते थे।
लेकिन हमेशा मुझे ही पहले उससे माफ़ी मांगनी पड़ती थी। मैं उस समय ऐसा नहीं करना चाहता था। मैं चाहता था कि दीप भी कभी अपनी ग़लती के लिए ख़ुद माफ़ी मांगे। और उस दिन तो मेरा जन्मदिन था!
क्या यही प्यार है?
उसने देर रात तक काम किया था तो मैं उसे जगाए बिना ही ऑफिस चला गया। मैं सोच रहा था कि हमारे बीच आखिर क्या गड़बड़ चल रहा है। क्या हमें ब्रेकअप करके अपने रास्ते अलग कर लेने चाहिए? या यह सिर्फ़ ये आज की बात थी? क्या दीप अब मुझसे प्यार नहीं करता?
मुझे आज भी याद है कि पहली बार मैं उससे अपने सोसायटी के स्विमिंग पूल में मिला था। उस शाम हम एक साथ स्विमिंग पूल में तैर रहे थे।
जल्द ही हम एक दूसरे से बात करने लगे और इसी दौरान मुझे पता चला कि वह बगल के टावर में रहता था। हम दोनों के कई शौक मिलते जुलते थे। उसने मुझसे डेट के लिए पूछा और फिर हम दोनों तैयार हो गए। कुछ महीनों के बाद, मैंने उसे अपने साथ रहने के लिए कहा तो वह अपना सामान लेकर मेरे साथ रहने आ गया।
हमें साथ रहते हुए छह महीने बीत गए थे लेकिन मैं अब भी समझ नहीं पा रहा था कि मैं उससे प्यार करता हूँ या नहीं? मेरे जन्मदिन पर उसने मुझे एक मैसेज तक नहीं भेजा।
एक लंबी शाम
मैं सोचता रहा कि घर पहुँचने के बाद वह मेरे लिए कुछ ख़ास करेगा। लेकिन कुछ ख़ास करने के बजाय उसने मुझे फोन करके कहा कि उसकी कार खराब हो गयी है और मैं घर जाते समय उसे भी रेस्तरां आकर लेता चलूं। मुझे बहुत दुख हुआ कि उसे मेरा जन्मदिन भी याद नहीं ।
जब मैं उसके रेस्तराँ पहुँचा तो ऐसा लगा कि वहां सबकुछ लगभग बंद ही हो गया था। मैं दरवाजे पर खड़ा था और उसे फोन मिलाया।
रेस्तरां के अंदर से उसके फोन के बजने की आवाज़ तक मुझे सुनाई दे रही थी। मैंने दरवाजे को धक्का दिया और वह खुल गया तो मैं अंदर चला गया। जैसे ही मैंने रेस्तरां में प्रवेश किया, यह रोशनी से जगमगा उठा।
पूरा रेस्तरां रोशनी और बैंगनी गुब्बारों से भरा था। मैंने हर कोने में अपने चित्र और पोस्टर देखे। मेरे सभी दोस्त मुझे शुभकामनाएं देने के लिए वहाँ आए हुए थे। मैं दीप को ढूंढ रहा था लेकिन वह नहीं मिला।
मुझे माफ़ कर देना
कुछ समय बाद दीप, शेफ की सफेद पोशाक पहने बाहर निकला। उसके हाथ में इतना बड़ा केक था कि वो चॉकलेट के पीछे नज़र ही नहीं आ रहा था।
वह मेरे पास आया और उसने ज़िंदगी इ पहली बार मुझसे माफ़ी मांगीI उसके मुंह से ‘सॉरी’ शब्द सुनना मेरे लिए बिल्कुल नया था। मैं हँसने लगा और पूछा कि सॉरी बोलने की क्या ज़रूरत है।
उसने कहा, क्योंकि इस बार मैं तुमसे पहले ‘सॉरी’ कहना चाहता था। हर बार तो तुम ही पहले सॉरी बोलते हो। मैं तुम्हारे लिए समय पर केक नहीं बना पाया। इसके लिए सॉरी। जन्मदिन की शुभकामनाएं!'
वह सब मायने रखता है
उस पल मैंने उसे गले लगाकर चूम लिया। मेरे सारे गिले-शिकवे दूर हो गएI उन सभी झगड़ों से कोई फ़र्क नहीं पड़ा। उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ, यही मेरे लिए बड़ी बात थी। हमने बहुत मस्ती की और यह मेरा अब तक का सबसे अच्छा जन्मदिन था।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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