इस लेख में दिए गए नाम परिवर्तित हैं।
जब वी मैट
मैं जब मुम्बई आई थी तो मेरी आँखों में बड़े बड़े सपने थे और जेब खाली। लेकिन आज मेरे पास अच्छी नौकरी, प्यार करने वाला बॉयफ्रेंड और एक घर है जिसमें हम दोनों साथ रहते है। मैं आज भी मुंबई मेँ गुज़रे मेरे शुरआती दिनों के बारे में सोचती हूँ और यह भी, कि कैसे मेरी रूममेट का दोस्त मेरा बॉयफ्रेंड बन गया
मैं सिद्दार्थ से एक दोस्त की जन्मदिन पार्टी में मिली थी। हम तुरंत ही घुलमिल गए। सिद्दार्थ लंबे कद और गठीले शरीर का धनी था और स्वाभाव से बेहद मज़ाकिया। कुल मिलाकर वह एक आकर्षक युवक था। पार्टी के दौरान मैं अपने आप को उसे देखने से रोक नहीं पा रही थी।
उस रात के बाद हम लगातार दोस्तो के साथ कॉफी पर मिलते रहे ओर इस के दो महीने बाद हम दोनो एक प्रेमी युगल थे
संघर्ष
रिश्ते के पहले कुछ साल तो आसान थे - मोमबत्ती की रोशनी में किये रोमांटिक डिनर, सप्ताह के अंत पर साथ मेँ पिक्चर देखने की यादेँ, रातो को आईसक्रीम खाने के लिए सड़को पर भटकनाI इसके बाद हमने अगला कदम उठाया और साथ रहने का फैसला किया
लेकिन हमेँ कोई घर मिल ही नहीँ पा रहा था क्यूंकि हम शादीशुदा नहीँ थेI कोई भी मकान मालिक हमेँ घर देने को तैयार नहीँ था अंत मेँ काफी जद्दोजहद के बाद एक व्यक्ति ने हमेँ अपना घर किराए पर दे दियाI
लोगो के नज़रिये
जब हमने साथ रहना शुरु किया तो आसपास के लोगोँ मेँ मानो कांफ्रेंस शुरु हो गईI हालाकि हम दोनो हिंदू थे लेकिन हमारे पडोसी हमें किसी भी त्योहार मेँ शामिल नहीँ करते थेI यहाँ तक की अपने बच्चो को हमसे बात करने के लिए भी मना करते थेI मुझे याद है एक दिन मेरे पडोसी ने कहा "क्या शादी नहीँ की तुमने"?, "बहुत मॉडल बन रहे हो"?
इस तरह की टिप्पणियाँ हम दोनोँ लगभग रोज सुन रहे थे ओर इसका असर हम दोनोँ के बीच मेँ दरार पैदा कर रहा थाI सिद्धार्थ को बिल्डिंग मेँ आते जाते लोगो की बातें सुनना कतई पसंद नही थाI एक बार तो मैंने एक आंटी को करारा जवाब देने का भी सोचा, लेकिन सिद्धार्थ ने मुझे रोक दियाI
हम दोनोँ के बीच मेँ अक्सर लडाई होने लगीI साथ मेँ डिनर बंद हो गए, यहाँ तक कि हम अलग अलग कमरोँ मेँ सोने लगेI यह हमारे रिश्ते का बड़ा नाजुक दौर थाI
फिर एक दिन उसने मुझे बताया उसके माता पिता उसके लिए लडकी ढूंढ रहे हैI इसको लेकर हमारी फिर से लड़ाई हुई लेकिन इस बार मैंने उसकी माँ को फ़ोन करके हमारे बारे मेँ सब कुछ बता दियाI वो चाहती थी कि हम तुरंत शादी करले ओर वो ये नहीँ समझ पा रही थी कि शादी इस वक्त हमारी प्राथमिकता नहीँ थीI
दिखने में मामूली लेकिन बड़े
सामाजिक दबाव से परे हम खुद भी साथ रहने के मुद्दोँ से जूझ रहे थेI हम दोनों को ही किसी से अपनी जिंदगी इस तरह बांटने की आदत नहीँ थीI अक्सर हम छोटी छोटी बातों पर लड़ते कि खाना कौन बनाएगा, कपडे कौन देगा और बर्तन कौन साफ करेगा इत्यादि इत्यादिI
हम दोनोँ ही काम कर रहे थे और इसीलिए दिन के अंत तक दोनोँ ही थक कर चूर हो जाते थेI कई बार तो बहस टीवी के रिमोट से शुरु होती थी ओर विश्वयुद्ध का रुप ले लेती थीI
सुनने मेँ ये मुद्दे मामूली लगते है लेकिन दरअसल यह हमारे रिश्ते में बेहद खटास पैदा कर रहे थेI हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते थे और हमारे बीच अच्छी शारीरिक अंतरंगता थी लेकिन व्यक्तिगत अभिलाषाएं, माता पिता, शादी और करियर को लेकर हमारे झगडे रुक ही नहीँ रहे थेI
लेकिन मैँ जानती थी कि मैँ काफी दूर आ चुकी थी ओर अब पीछे हटने का सवाल ही पैदा नहीँ होता थाI मैंने इसके लिए काफी मेहनत और बलिदान किया थाI
एक दुसरे के लिए समय निकालना
यही वह समय था जब हम दोनों ने पहाडो मेँ छुट्टियाँ बिताने का फैसला कियाI छुट्टियोँ मेँ बिताए हुए यह दिन हमेँ एक बार फिर, एक दूसरे के करीब ले आएI हमने एक दूसरे के साथ अच्छा समय गुज़ारा और अपनी सभी समस्याओं के बारे मेँ इत्मीनान से बातेँ कीI
छुट्टियोँ से आने के बाद हमेँ आगे बढ़ने का एक कारण सा मिल गयाI घर के कामकाज को लेकर हमारे झगडे अभी भी बंद नहीँ हुए है लेकिन अब फ़र्क़ नहीं पड़ताI
हमें साथ रहते हुए अब 6 साल हो गए है, और हमेँ अभी भी नहीँ लगता कि शादी करना जरुरी हैI शादी दो लोगोँ को पास ले आए ये जरुरी नही है, बल्कि अपने साथी को सही तरीके से समझना और बिना किसी शर्त के प्यार करना ज़्यादा जरुरी हैI