टीना वाराणसी की एक 28 वर्षीया विवाहित महिला है।
हॉर्मोन्स का खेल
मैं अमित से दिवाली में मिली थी और वह मुझे देखते ही पसंद आ गया था। हमारी आपस में काफ़ी बन गयी और हम लोग अक्सर फ़ोन पर बात और एक दूसरे को मेसेजेस करने लगे। क्रिसमस के आने तक हम दोनों की दोस्ती बढ़ चुकी थी और मैनें उसे अपनी दोस्त के घर क्रिसमस पार्टी पर आमंत्रित करने का निर्णय लिया। वहां पार्टी में बहुत लोग थे, जिनमें बहुत से मेरे भी दोस्त थे।वह कड़क सर्दी की एक शाम थी और मौसम बिलकुल साफ़ था। तारे टिमटिमा रहे थे और उस हल्के हल्के संगीत की धुन पर छत पर हम सभी झूमने लगे। आधी रात के लगभग, जब सभी लोग डांस में व्यस्त थे, अमित और मैं टहलते हुए छत से सटे हुए अपनी दोस्त के बहुत ही आरामदायक कमरे में पहुँच गए।
इससे पहले कि हम कुछ सोच पाते हम एक दूसरे के ऊपर थे और अपनी दोस्त के बेड पर एक दूसरे में डूबते जा रहे थे। जैसे जैसे अमित मेरी शर्ट के बटन खोल रहा था और मैं उसकी, मैं सोच में थी, 'मैं कर क्या रही हूँ!?' पर फिर भी मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी। हम दोनों पर हमारे हॉर्मोन्स हावी हो गए थे और इतना खूबसूरत रूमानी माहौल भी इसमें मदद नहीं कर पा रहा था। पहली बार ऐसा करने की वजह से हम दोनों ही अनाड़ी भी थे और हमें घबराहट भी हो रही थी और ना ही हमें पता चल पा रहा था कि हम क्या कर रहे हैं। पर हम दोनों ही उत्तेजित थे और एक के बाद एक चीज़ें होती गयीं। और तब फिर दर्द हुआ। मैं मानसिक तौर पर पेनिट्रेशन के लिए तैयार नहीं थी और अमित भी उसके परिणाम के लिए तैयार नहीं था।
क्विक और डर्टी
किसी भी एक्सीडेंट से बचने के लिए वह मेरे पेट पर आया मगर इससे चीज़ें और भी खराब हो गयीं। उस चिपचिपे सफ़ेद लिक्विड का मेरे पेट पर फैलने का दृश्य, मेरे पहले यौन संबध की क्रिया का नतीजा, मुझे हमेशा याद रहेगा।
यह पूरा किस्सा कुछ ही मिनट से ज़्यादा नहीं चला। जब एक बार यह सब हो गया तो हमें बहुत अजीब सा महसूस हुआ पर फिर भी हमने अपने आप को इकठ्ठा किया और इससे पहले कि बाकी लोग हमें ढूँढ़ते, हम नीचे भागे। इस समय, मैं बस यही चाहती थी कि पार्टी जल्दी से ख़त्म हो। अभी अभी मैंने पहली बार सेक्स किया था और उसने मेरी उन सभी धारणाओं को ख़ारिज कर दिया था कि यह कैसा होना चाहिए। अगले कुछ महीनों में, मैं अमित से उसके मुंबई मूव होने से पहले कुछेक बार मिली। जल्दी ही, हम अपनी अपनी ज़िंदगी में व्यस्त हो गए और हमारा संपर्क बिलकुल टूट गया।
पछतावा
अब मैं 28 वर्ष की हूँ और दो साल से सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही हूँ। फिर भी, लगभग 11 साल पहले की उस रात की याद, मेरे मन में बिलकुल ताज़ा है। और मैं अब भी उस पर पछताती हूँ। मैंने भी, ज़्यादातर लड़कियों की तरह यही ख़्वाब देखा था कि एक परफेक्ट इंसान के साथ परफेक्ट समय पर अपनी वर्जिनिटी (कौमार्य) को खोऊँगी। और फिर भी चीज़ें बिलकुल भी वैसी नहीं हुईं। बल्कि मेरे मन में एक ऐसी छाप छोड़ गयी, जिससे मैं चाहकर भी दूर नहीं हो पा रही।
मैं अक्सर सोचती हूँ, कि कैसे मेरा पहला अनुभव अच्छा हो सकता था। शायद मुझे कुछ साल और रुकना चाहिए था- ताकि उम्र और समय दोनों सही होते? मैंने अपनी सहेलियों से उनके अनुभव के बारे में बात की- उनमें से कुछ ने स्कूल के समय ही इसका अनुभव कर लिया था जबकि कुछेक ने अपनी जॉब लगने या बल्कि शादी के बाद तक इंतज़ार किया-और सभी के पास अलग अलग कहानियां हैं। कुछ का पहली बार में ही सब सही हुआ, और कुछ का कई बार में। तो इसलिए शायद पहली बार सेक्स के लिए कोई भी सही जगह या समय नहीं होता।
हमारे केस में, हालाँकि , मुझे लगता है कि अगर अमित और मैनें एक दूसरे को जानने में कुछ और समय बिताया होता, एक दूसरे की पसंद नापसंद जानने की कोशिश की होती, कुछ चुम्बन या आलिंगन यह सब करने से पहले किये होते, तब शायद हमारा पहला अनुभव बहुत खूबसूरत होता।
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