23 वर्षीय रजत दिल्ली में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर हैं।
हैलो अजनबी!
दिल्ली में शनिवार की उस सुबह काफी ठंड थी। कैसे भी करके मैंने आलस छोड़ा और रोज की तरह साइकिल चलाने निकाला। मैं शुरू से ही शर्मीला और इंट्रोवर्ट किस्म का लड़का हूँ और मुझे साइक्लिंग बहुत पसंद है क्योंकि यह एक ऐसी फिजिकल एक्टिविटी है जिसमें किसी टीम की ज़रूरत नहीं होती है। अचानक एक लड़की अपनी साइकिल चलाते हुए मेरे बगल में आई और उसने मुझे ‘गुड मॉर्निंग’ कहा। मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ।
मैंने भी सिर हिलाते हुए हैलो कहा। हमने साइकिल चलाने के शौक के बारे में थोड़ी सी बात की और एक ही रास्ते पर जाने लगे। मैं काफी शर्मीला था। इसलिए नए लोगों से बात करना मेरे लिए हमेशा काफी मुश्किल होता था और न ही जल्दी किसी से रास्ता भी नहीं पूछ पाता था। लेकिन हैरानी की बात यह थी की मैं प्रज्ञा के साथ थोड़ा सहज था। उसने साथ बात करना आसान था - उसने मुझसे पूछा कि मैं कहाँ रहता हूँ और कब से साइकिल चला रहा हूँ, वगैरह वगैरह।
हमने अगले दिन भी उसी समय यानी सुबह 6 बजे मिलने की प्लानिंग की। हमारी सोसाइटी पास में थी और हम एक हफ्ते तक खाली सड़कों पर साइकिल चलाते रहे। इस बीच हम दोनों ने एक दूसरे को अपना फोन नंबर दिया और अब हम मैसेज पर बातें करने लगे।
फिर एक दिन हम अपने इलाके के एक पार्क में गए और बेंच पर बैठ कर बात करने लगे। उसने अपना हाथ मेरी गोद में रख दिया। मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मुझे क्या करना चाहिए। इसलिए मैंने भी अपना हाथ उसकी गोद में रख दिया। वो थोड़ा पास आ गई और उसका चेहरा मेरे ठीक सामने था। उसकी आंखें, होंठ, चेहरा और नाक मेरे चेहरे के एकदम करीब था। उसके चेहरे को इतने नज़दीक से देखकर मुझे उसे किस करने का मन करने लगा। मैंने ना जाने कितने लंबे समय से इस पल का इंतज़ार किया था, किसी लड़की को पहली बार किस करने का इंतज़ार...
कविता और जादू
मैंने थोड़ी हिम्मत करके उसके गाल पर किस किया। वह खिलखिलायी और उसने मेरे होठों पर किस कर किया। मुझे लगा था कि उसके होंठ मीठे लगेंगे। लेकिन, सच कहूं तो वे सिर्फ होंठ जैसे ही महसूस हुए। होठों में वो जादू या मिठास नहीं थी जैसा कि मैंने फिल्मों, गानों और मिल्स एंड बून्स के नॉवेल में पढ़-सुन रखा था। सच कहूं तो मैंने उसके पसीने का स्वाद चखा, साथ में उसकी सुबह की चाय की थोड़ी महक और उसके टी-शर्ट से आने वाली पसीने की महक। शायद मुझ से भी ऐसी ही महक आ रही होगी! बिलकुल रही होगी! बस मैंने असल ज़िन्दगी की किस के बारे में शायद पहले नहीं सोचा था।
सूरज ढलने के बाद जब तक अंधेरा नहीं हो गया, तब तक हमने कई बार किस किया। हमने एक दूसरे को गुडबॉय कहा और मैं साइकिल लेकर घर वापस लौट आया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैंने आखिरकार अपना पहला किस कर लिया है।
क्या पहला किस ऐसा ही होता है? कहीं मैंने कुछ मिस तो नहीं कर दिया? वो पहला नशा, पहला खुमार वाला जादू कहाँ था जो फिल्मों में देखा था? या वह फीलिंग्स जो कविताओं और मैंने उपन्यासों में होती हैं?
नयी बातें, नए अनुभव
बहरहाल, हमें एक दूसरे का साथ अच्छा लग रहा था। कुछ दिनों तक ऐसे ही हम साइकिल चलाते रहे और एक दूसरे को किस करते रहे।
मैं इस एहसास को और जीना चाहता था। मैंने अगले हफ्ते उसे अपने घर आने को कहा। उस दिन जब मैंने पहली बार उसके स्तनों को छुआ था, वे काफी सॉफ्ट थे। उसने मेरी छाती को छुआ और मुझे गुदगुदी लगी। उसकी नाभि के नीचे छोटे-छोटे बाल थे हालाँकि मेरे शरीर की तुलना में कम। मैंने कभी नहीं सोचा था कि लड़कियों में भी ऐसा कुछ होता है। उसके साथ हर दिन मुझे उसके और अपने शरीर के बारे में बहुत सी नई चीजें पता चली।
उस दिन जब प्रज्ञा ने मुझे बताया कि वह जानती है कि मैं किसी लड़की के साथ पहली बार अंतरंग हो रहा हूं,तो मैं हैरान रह गया। उसने कहा कि सिर्फ पहली बार किस करने वाले लोग ही अपने पार्टनर के होठों को ऐसे चूसते हैं जैसे बच्चा टॉफी चूसता है। हम दोनों ज़ोर से हँसे! हम जल्द ही एक दूसरे को ख़ूब प्यार करने लगे। लेकिन पहले प्यार की वो कहानी फिर कभी!
पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।
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लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।