दिल्ली की आरती प्रकाशन विभाग में काम करती है
आगे बढ़ने को तैयार
मैं 24 साल की थी, जब मैंने और गौरव ने डेट करना शुरू किया थाI हम दोनों एक दूसरे को बेहद पसंद करते थे और थोड़े ही समय में एक दूसरे के प्रति खासे गंभीर हो गए थेI मैं गौरव के साथ यौन सम्बन्ध स्थापित तो करना चाहती थी लेकिन इसमें एक समस्या थीI दिक्कत यह थी कि मैंने पहले कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया था। इस क्षेत्र में मेरा अनुभव हॉलीवुड फिल्मों के दो-चार सीन, इंटरनेट पर देखे हुए थोड़े बहुत पॉर्न और मिल्स एंड बून्स तक ही सीमित थाI लेकिन मैंने फैसला ले लिया था कि अब मुझे यह करना ही हैI
बेढंगे चुम्बन और ...
हमने पूरी दिन की प्लांनिंग कर ली थीI हर एक छोटी से छोटी बात पर हम लोगों ने गौर किया थाI
हमने एक लंबा सप्ताहांत (शनिवार और रविवार के साथ सोमवार की भी छुट्टी थी) चुना और शहर के बाहरी इलाके में स्थित गौरव के घर जाने का फैसला किया। हमने बाहर से अच्छा भोजन आर्डर कर दिया था और कमरे में रोमांटिक संगीत भी चालु थाI माहौल को और कामोत्तेजक बनाने के लिए हम इंटरनेट पर पॉर्न भी देख रहे थेI
हम बेहद रोमांचित थे और हमने सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से हर किसी की चीज़ की तैयारी भी कर ली थीI लेकिन यह आसान नहीं था और हमारी घबराहट हमारी हरकतों में साफ़ नज़र आ रही थीI हमारी गाड़ी एक दूसरे को ऊपर से छूने और कुछ घटिया तरीके से किये गए चुम्बनों से आगे नहीं बढ़ पायी थीI फ़िर कुछ ऐसा हुआ कि हम दोनों को ही हंसी आ गयी और ऐसे ही हँसते-हसंते हम एक दूसरे की बाहों में बाहों डाल सो गएI
अगली सुबह
वो अक्टूबर की एक खुशगवार सुबह थी और धूप ने खिड़की के माध्यम से कमरे में झांकना शुरू ही किया थाI मुझे नहीं पता कि वो पहली बार एक लड़के के बगल में सोने से हुआ था या फ़िर रात भर किसी के साथ लिपटे रहने की वजह से, लेकिन मैं बहुत रोमांटिक महसूस कर रही थीI रात के बेढंगपने के विपरीत सुबह हम दोनों ही बेहद सहज महसूस कर रहे थेI जल्द ही हम एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और एक-दूसरे के शरीरों को महसूस कर रहे थे। तभी अचानक मेरा मन किया कि मैं गौरव को पूरी तरह नग्न अवस्था में देखूंI मैं बेहद उत्साहित और रोमांचित तो थी ही, मेरे अंदर एक अजीब सा डर भी थाI ऐसा लग रहा था कि शरीर के अंदर चीटिंया चल रही हैंI मुझे पता भी नहीं चला कि कब मैंने गौरव का पजामा नीचे खींच दिया थाI
सच का सामना
उसके बाद जो मैंने देखा, उससे मेरी जीभ ही तालु से चिपक गयी थीI मेरे दिमाग में एकमात्र ख्याल यही था कि इतना बड़ा लिंग मेरी योनि के अंदर कैसे जाएगा! मैं सकते में थीI मैं फंस गयी थीI मुझे पता था कि इतना उतावलापन दिखने के बावजूद अब मैं और आगे नहीं बढ़ सकती थी - ऐसा लग रहा था कि जैसे किसी ने मैन स्विच बंद कर दिया थाI
गौरव को मेरी मनोदशा का कोई अंदाज़ा नहीं था और वो अभी भी मुझे पागलों की तरह चूम रहा थाI हमारे शरीर अभी भी एक दूसरे को स्पर्श कर रहे थे और सच कहूं तो मैं अभी भी थोड़ी बहुत उत्तेजित तो थीI लेकिन मेरे दिमाग मैं एक ही सवाल था - "वो इतना बड़ा कैसे हो सकता है?" मैं पूरी तरह एकाग्रचित्त होकर वापस उसी पल में वापस जाना चाहती थी जब मैं इस घड़ी का आनद उठा रही थी, लेकिन मैं वो नहीं कर पा रही थीI आज मैं पहली बार सेक्स करने जा रही थी लेकिन मेरा सारा रोमांच खत्म हो चुका थाI अभी मैं इस सबसे जूझ ही रही थी कि मेरे कानों में गौरव की आवाज़ आई, "क्या हम आगे बढ़ें?"
मुझे माफ़ कर दो, मुझसे नहीं होगा
मेरी आँखों से आंसू बह चले थेI मैं पूरी ताकत लगा कर बस इतना ही कह पाई, "मुझे माफ़ कर दो, मुझसे नहीं होगाI"
गौरव मेरी बात सुनकर परेशान हो गया थाI उसे लगा कि उससे कुछ गलती हो गयी हैI मुझे समझ नहीं आ रहा था कि उसे कैसे समझाऊं कि उसका बड़ा शिश्न इस सारे फ़साद की जड़ हैI मैं उससे आँखें मिलाये बिना बिस्तर से यह कहकर उठ खड़ी हुई कि, "मुझे कुछ समय चाहिए"।
मुझे इस बात की खुशी थी कि मेरे इस अप्रत्याशित व्यवहार के बावजूद गौरव ने अपना आपा नहीं खोया थाI उसमे मेरा सामान समेटने में मदद की और बिना कोई शिकायत किये मुझे वापस घर छोड़ दिया।
आसानी से हिम्मत नहीं हारने वाला
मुझे नहीं पता था कि इस घटना के बाद हमारे रिश्ते में क्या मोड़ आने वाला थाI मुझे डर था कि कहीं गौरव की मुझमे दिलचस्पी ना कम हो जाएI लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ थाI मेरी सोच के विपरीत, उसने मेरे लिए फूल और चॉकलेट भेजे और पूरे दिन मेरे फ़ोन पर मुझे सन्देश भेजता रहाI मुझे लुभाने के उसके प्रयासों ने अंततः काम ज़रूर किया लेकिन फ़िर भी उसे फ़ोन करने की हिम्मत जुटाने में मुझे दो हफ़्ते लग गए थेI
धीरे धीरे
मैंने उसे फ़ोन किया और बताया कि उस दिन क्या हुआ थाI मेरी बात सुनकर वो हँसते हँसते पागल हो गया और उसने मुझे मिलने के लिए बुलायाI जब हम दोनों मिले तो अपनी आखें मटकाते हुए उसने कहा कि, "वैसे तो अपने शिश्न के बारे में आपके विचार सुनकर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूँ, लेकिन मैं तुम्हे यह विश्वास दिलाता हूँ कि मैं तुम्हे कभी चोट नहीं पहुँचाऊंगा। हम बेहद धीरे-धीरे और जैसे तुम चाहो वैसे आगे बढ़ेंगेI"
उस घटना के एक महीने बाद हम दोनों के बीच फ़िर से शारीरिक समबन्ध स्थापित हुआI जैसा कि गौरव ने वादा किया था, हम दोनों बेहद आराम से आगे बढ़ेI हम दोनों ने एक दूसरे के शरीरों को और अपने आपको एक दूसरे के साथ सहज होने का पूरा समय दियाI उसके कुछ हफ़्ते बाद हम दोनों के बीच सेक्स भी हो गयाI हालाँकि हम इस दौर की तैयारी काफ़ी हफ़्तों से कर रहे थे लेकिन फ़िर भी हमें एक दूसरे की पसंदीदा सेक्स मुद्रा जानने में और समय लगाI शुरुआत में बहुत दर्द हुआ था और खून भी निकला था, लेकिन चूंकि हम दोनों अब बेहद सहज हो चुके थे और फ़िर तैयारी भी काफ़ी हफ़्ते चली थीI इस बार सब कुछ बेहद आराम से हो गया थाI
जब कभी उस अनुभव की याद आती है तो बहुत हंसी आती है और हमारे घर पर होने वाली कोई भी पार्टी ऐसी नहीं होती जब उसका जिक्र नहीं होताI मुझे बहुत खुशी है कि मेरा पहली बार का रोना ज़िंदगी भर का रोना नहीं बना, और इसके लिए पूरा श्रेय जाता है गौरव जैसे समझदार साथी को!
नाम बदल दिए गए हैंI तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है!
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