लेखक पारोमिता इस जीवन और भगवान से बेन्तेहा प्यार करती है। उसे शब्दों की शक्ति में अटूट विश्वास है, वो एक कहानीकार है अक्सर शीरोस में उनके लेख प्रकाशित होते रहते हैंI
कई महिलाएं, वही कहानी
ऐसा नहीं था कि यह ब्रेक अप अप्रत्याशित थाI हम सभी महीनों से उसे बोल रहे थे कि उसकी यह प्रेम कहानी भी वैसे ही खत्म होगी जैसे उसके पुराने रिश्ते खत्म हुए हैंI लेकिन हमेशा की तरह उसने हमारी एक ना सुनीI खत्म तो होना ही था और हुआ भीI उस दिन जब वो लड़का एकदम से उसके रुपयों के साथ गायब हो गयाI यहाँ यह साफ़ कर दूँ कि वो 'कुछ रुपये' नहीं थे बल्कि एक अच्छी खासी रक़म थीI
कहने का मतलब यह कि इस बार सिर्फ़ उसका दिल ही नहीं टूटा बल्कि बैंक अकाउंट भी खाली हो गयाI देखा जाए तो वो एक बेहद समझदार और बुद्धिमान लड़की हैI उसने एक बेहद नामी गिरामी संस्थान से एम् बी ए किया है और अब अपनी कंपनी में मानव संसाधन विभाग की प्रमुख हैI बस दिल के मामलो में ही ना जाने उसकी अकल कहाँ चली जाती हैI
बात सिर्फ़ परमा तक ही होती तो ठीक थाI करीब एक साल के बाद मैं शोना से मिली और उसने भी मुझे इससे मिलती जुलती हुई एक कहानी बताईI तब मुझे एहसास हुआ कि यह एक दो नहीं बल्कि कई महिलाओं की आपबीती हैI मैं अक्सर सोचती हूँ कि इतनी सारी समझदार महिलाएं लड़को के मामलों में गलत कैसे हो जाती हैं? क्यों उन्हें वो लड़के पसंद आते हैं जो धोखा देते हैं, झूठ बोलते हैं, चोरी करते हैं और दिल तोड़ते हैंI
पिछले 10 से 15 वर्षों में हुए आर्थिक सुधारों की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने भारी मोड़ लिया है। कामकाजी महिलाओं की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि हुई हैI चूंकि ज़्यादातर घरो में पैसा कमाने की ज़िम्मेदारी पुरुष पर थी तो वित्तीय अधिकार भी उन्हीं के पास थे लेकिन अब हालात बदल चुके हैंI अर्थव्यवस्था में आये बढ़े हुए रुपये पैसे से शिक्षा और रोज़गार के अवसर भी बढ़े हैंI लेकिन पुरुषों के लिए एक समर्थन प्रणाली के रूप में महिलाओं की बुनियादी रूपरेखा नहीं बदली है।
निश्चित रूप से, हम अपनी बेटियों को अपना कैरियर सँवारने के लिए अच्छे से पढ़ा लिखा रहे हैंI लेकिन अभी भी हम उन्हें यह याद दिलाना नहीं भूलते कि आगे चलकर उन्हें किसी की मां, बेटी, पत्नी और बहन बनना हैI भारत में, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अपने लिए कितना अच्छा कर रहे हैंI आज भी लोग आपके रिश्तों को देखकर आपके काबिल होने या ना होने का निर्णय लेते हैंI कुल मिलाकर कहा जाये तो भारतीय महिलाओं को अभी भी हम अपनी खुद की अलग पहचान बनाने के लिए तैयार नहीं कर रहे हैंI
हमारी सभ्यता को पांच हज़ार वर्ष हो चुके हैं लेकिन अभी भी महिलाओं के बारे में वर्णन करते हुए हम यह ज़रूर उल्लेख करते हैं कि वो किसकी बेटी या पत्नी हैंI
मैं कई बार सोचती हूँ, क्या सारी महिलाएं शादी शुदा हैं?
समस्या तब शुरू होती है जब महिलाओं को अलग पहचान देने के बजाय किसी के साथ जोड़ दिया जाता हैI अक्सर महिलाओं और बच्चों को मिला दिया जाता हैI ज़्यादातर मामलों में समाज भी दोनों के साथ एक तरह का व्यवहार करना चाहता हैI कम से कम तब तक जब तक कोई पुरुष उस महिला को अपने एक रिश्तेदार के रूप में मान्य ना करेI
भारत के अधिकांश हिस्सों में, एक आदमी के शब्दों में एक महिला के द्वारा कहे गए शब्दों में भार ज़्यादा होता हैI इतिहास के पन्नो में भी कई जगह यही वर्णित है कि महिलाएं कैसे झूठ बोलती आयी हैं। आज की बात करें तो कुछ समय पहले तक ऑनलाइन जगत में 'सोनम गुप्ता बेवफ़ा है' खासा लोकप्रिय हुआ थाI पूर्व में हुए युद्धों की बात हो तो इसी बात पर ज़ोर ज़्यादा दिया जाता है कि कैसे उसमे भाग लेने वाले पुरुषों की मृत्यु हुई थी जबकि महिलाओं ने कुछ भी नहीं किया। वैसे तो यह बातें हंसी मज़ाक में की गयी होती हैं लेकिन वे भी उन कहानियों का हिस्सा होती हैंI हम भूल जाते हैं कि सभी कहानियां इतिहास का हिस्सा बन जाती हैं और हम उनमें विश्वास करना शुरू करते हैं।
किस्से कहानियों में शब्द पुरुषों के हैं
हमारे इतिहास के पन्ने पुरुषों और उनकी बहादुरी के हिस्सों से भरे पड़े हैंI हम शायद ही उन महिलाओं के बारे में कुछ जानते हैं जिन्होंने साहस और विशाल प्रतिरोध दिखाया। हमारे इतिहास पृष्ठ उन्हें पहचान ही नहीं पाए हैं। अवचेतन रूप से, हम यही मान बैठे हैंI यही कि हमारी अकेली कोई पहचान नहीं है और हम अपनी ज़िंदगी ऐसी ही जीते रहते हैंI
आइए इस पर एक नज़र हमारे रीति-रिवाज़ो की हिसाब से डालेंI शादी के बाद अधिकतर महिलाएं अपने पति का नाम इस्तेमाल करना शुरू कर देती हैंI आखिर हमें अपने पति के परिवार का हिस्सा होने पर गर्व होना चाहिए ना। उसकी वंशावली, उसके पूर्वजों पर गर्व होना चाहिए। इस पर पैनी नज़र डालें तो आप महसूस करेंगे कि इसका एक मतलब यह भी है कि एक महिला के पूर्वजों के होने ना होने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उनके इतिहास से कोई फर्क नहीं पड़ता। जिस क्षण वो एक विवाहिता बनती है उसी क्षण से उसे एक दूसरे परिवार की महिमा का गुणगान करना शुरू कर देना हैI जैसे कि उसके खुद के परिवार का कोई महत्त्व नहीं हैI यहाँ एक तरह से बेहद चालाकी से हम एक महिला को बता रहे हैं कि बहन जी आपकी कहानी का कोई अस्तित्व नहीं हैI खासकर तब तक जब तक आपकी कहानी में मुख्य किरदार एक पुरुष का नहीं हैI
अब जब हम आर्थिक तौर पर पुरुषों की बराबरी कर रहे हैं, जो कि एक बहुत बड़ी बात हैI हमारे समाज को अभी भी यह सीखने की ज़रूरत है कि हमें बराबरी का दर्जा कैसे दिया जाएI पितृसत्ता एक बेहद चतुर व्यवसायी है उसने हमें विश्वास दिला दिया है कि हमारी अपनी कोई पहचान नहीं है और हमें अपनी खुद की पहचान बनाने के लिए उसे पुरुषों से ही खरीदना पड़ेगाI
अपनी पहचान?
वह बहुत पतली है, बहुत मोटी है, बहुत धौंस दिखाती है, बहुत अपेक्षा रखती है, बहुत चालु हैI वगैरह वगैरहI यह सुन सुनकर हमारे कान इतने पक चुके हैं कि हम पहले दिन से ही कुछ भी 'बहुत ज़्यादा' ना करने की कोशिश में लग जाते हैंI जब तक हम यह अपनी खुद की इस मानसिकता को नहीं बदलेंगे तब तक चाहे कितने भी आर्थिक सुधार होते रहे, हमारे हालात नहीं बदलेंगे और हम हमेशा अपने आपको किसी के आधे हिस्से के रूप में ही देखते रहेंगेI
मुझे अक्सर इस सवाल का सामना करना पड़ता है कि क्यों शिक्षित महिलाएं अपमानजनक रिश्ते में रहती रहती हैं। मैं हमेशा यही कहती हूँ क्योंकि उसे यही पता है कि उसे एक आदमी का हिस्सा ही बनना है, इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि वो कितना अच्छा या बुरा है। जो महिला चुपचाप ज़ुल्म सहती रहती है, समाज में उसका कद बढ़ता जाता हैI जो उस जुर्म के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाती है उसे घर तोड़ने वाली का खिताब दे दिया जाता हैI दूसरी औरत, चालुI यह वो कुछ नाम हैं जिनकी मदद से बेहद चालाकी से पितृसत्ता सदियों से खुद को बेचती आयी हैI
अब रानी खुद अपने आपको बचाएगी
अब समय आ गया है कि इतिहास को बदला जाएI कुछ नयी कहानियां लिखी जाएँI वो कहानियां जिनमें रानी अपने आपको खुद बचाती हैI राजकुमार उसका मित्र है और वो दोनों साथ-साथ तलवार चलाते हैं और जब थक जाते हैं तो एक साथ विश्राम करते हैंI वो कहानियां जिनमें राजकुमारी भी अपने विचार रखती है, सवाल करती है, गिरती है, संभालती है, फ़िर उठती है और उसकी जीत भी इतिहास के पन्नो में सुनहरे अक्षरों से लिखी जाती हैI इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि छोटी लड़कियां बड़ी होकर भी उन्ही राजकुमारियों की तरह बनेंगी जिनके बारे में वो सुनेंगी और पढेंगीI
आइये सशक्तिकरण और खुशियों से भरी कहानियां लोगों को बतलायेंI उन चुनावों और विकल्पों के बारे में लोगों को बताएं जो महिलाएं लेने में सक्षम हैंI कहानियाँ में उन महिलाओं के बारे में बताएं जो आजकल की बच्चियों के लिए अनुकरणीय होंI आइये बताएं एक नयी कहानीI
यह कहानी शीरोस के साथ भागीदारी में प्रकाशित की गयी है।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं और तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया हैI
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