22 साल के अनय दिल्ली में रहते हैं और एक फ्रीलांस लेखक हैं
प्यार..एक बार फ़िर से
जब मैंने आभा को देखा तो ऐसा पहली बार नहीं था कि मैं किसी लड़की की ओर आकर्षित हुआ थाI हम दिल्ली में एक समारोह में मिले थे और तुरंत ही एक-दूसरे को पसंद करने लगे थेI समारोह खत्म होते-होते तो हम ऐसे बात कर रहे थे जैसे ना जाने कितना पुराना याराना हैI वो अपने कॉलेज के दूसरे वर्ष में थीं।
मुझे तो उसकी हर बात अच्छी लग रही थीI उसके बात करने से लेकर उसके खाना खाने के तरीके तकI हम शाम तक साथ थे लेकिन उस दिन शाम इतनी जल्दी आ जाएगी मुझे इस बात का एहसास ही ना थाI एक दूसरे से अलग होते हुए हमने एक दूसरे को गले लगाते हुए नंबरों का आदान-प्रदान कियाI
गले तो मिल रहे थे लेकिन होंठ नहीं
मैंने उसे अगली सुबह यह सन्देश भी भेज दिया कि मुझे उसके साथ कितना अच्छा लगा और मेरे साथ समय बिताने के लिए उसका धन्यवाद भी कियाI हम फ़ोन और व्हाट्सप्प की मदद से एक दूसरे से संपर्क बनाये रख रहे थे लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा था कि बिना कोई छिछोरी हरकत करे मैं उसके और करीब कैसे पहुँच सकता हूँI मुझे लगा शायद दोबारा मिलने से इस मुश्किल का कुछ हल निकल सकेI
मेरी खुशी का उस समय कोई ठिकाना नहीं था जब उसने मेरे एक कला प्रदर्शनी में जाने के लिए हामी भरीI वो सही समय पर वहां पहुँच गयी थीI उस दिन उसने पीले रंग की पोशाक पहनी हुई थी और मुझे एहसास हुआ कि वो पहले से कहीं ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीI मेरे दिलों-दिमाग में उसे चूमने और उसके बालों के साथ खेलने के ख्याली पुलाव पकने शुरू हो गए थे लेकिन मैंने सही समय का इंतज़ार करना उचित समझाI
वो प्रत्येक पेंटिंग को निहारते हुए मेरे साथ पूरी आर्ट गैलरी घूमीI लेकिन मुझे लग रहा था कि एक जगह बैठकर सिर्फ़ उसे निहारना बेहतर होताI मैंने उससे पूछा कि वो बाहर जाकर बियर पीना पसंद करेगी तो उसने झट से हाँ कर दीI
हमारी गुफ़्तगू गिलासों में बीयर की तरह पूरी उफ़ान पर थीI बार से निकलते हुए हमें देर रात हो गयी थी लेकिन मुझे अभी भी इस बात का अंदाज़ा नहीं हो पाया था कि वो भी मुझमें उतनी ही रूचि रखती है जितनी कि मैं, या नहींI हमने एक बार फ़िर एक दूसरे को गले लगाया और अपने अपने घरों की ओर रवाना हो गएI
दूसरा पड़ाव : गले मिलना भी बंद
हम लगातार एक दूसरे के संपर्क में थेI वैसे आम तौर पर संदेशों की शुरुआत मैं ही करता था लेकिन उसका जवाब भी तुरंत ही आता थाI
एक दिन, मैंने उसे फ़ोन किया तो उसने कोई उत्तर नहीं दियाI उसने मुझे व्हाट्सप्प पर सन्देश भेजा कि वो व्यस्त हैI मैं उसे पुस्तक मेले के लिए ले जाना चाहता थाI वो आयी तो ज़रूर लेकिन केवल एक घंटे के लिएI वापसी में भी वो मुझे बिना गले मिले चली गयीI
अब मैं अपने बारे में उसकी राय को लेकर थोड़ा संदिग्ध हो चला थाI अभी भी मैं ना सिर्फ़ उसे गले लगाना चाहता था बल्कि उसके साथ और भी बहुत कुछ करना चाहता थाI
कोई जवाब नहीं मिल पा रहा था
उस दिन के बाद से उसने कभी मेरा फ़ोन नहीं उठायाI धीरे-धीरे मेरे संदेशों का भी जवाब देना बंद कर दिया। मुझे लगा था कि हमारी कहानी, मेरा मतलब मेरी कहानी थोड़ी और आगे बढ़ेगी लेकिन यहां तो बात ही खत्म होने के कगार पर आ गयी थीI मुझे उसके इस व्यवहार से परेशानी और दुःख दोनों हो रहा थाI मैंने उससे पूछने की भी कोशिश की लेकिन उसने उसका भी जवाब नहीं दियाI
मैं अपने सिर में घटनाओं का क्रम बार-बार दोहरा रहा था - हम पुस्तक मेले में गए लेकिन उसके बाद फ़िर कभी हमारी बात नहीं हुईI क्या मैंने कुछ ऐसा कहा या किया जिससे उसकी भावनाओं को चोट पहुँची हो? मुझे नहीं लगता कि मैंने कभी भी उसे यह प्रतीत होने दिया कि उसे मुझसे किसी भी प्रकार का कोई ख़तरा है या मैं उसका फ़ायदा उठाना चाहता हूँI
लेकिन मैं उसे कैसे इस बात का विश्वास दिलाऊं? काश उसने मुझसे अपनी बात कहने का एक आख़री मौक़ा दिया होताI
कोई ज़बरदस्ती नहीं
शायद कुछ और लड़के ऐसा होने पर लड़की से दोबारा बात करने की या उसका पीछा करने की कोशिश करते लेकिन उसके विपरीत मैंने उससे बात करना बिलकुल बंद कर दियाI यहाँ तक कि उसका नंबर भी अपने फ़ोन से हटा दियाI लेकिन फ़िर भी मेरे मन में यह ख्याल आता रहता था कि उसके ऐसा करने के पीछे क्या वजह हो सकती है - शायद वह मुझे पसंद नहीं करती थी, अलैंगिक थी या उसका पहले से कोई बॉयफ्रेंड थाI
उसने खुद कभी नहीं कहा, लेकिन मुझे समझ आ गया था कि वो क्या चाहती थीI मैं इस नतीजे पर पहुंचा था कि शुरुआत में उसे मुझमें दिलचस्पी होगी लेकिन मुझे और जानने के बाद शायद उसकी रूचि मुझमें खत्म हो गयीI यह समझना शुरू में मुश्किल था, लेकिन धीरे-धीरे मुझे यह बात समझ आ चुकी थी कि ज़रूरी नहीं कि वो भी मुझे पसंद करेI वो भी सिर्फ़ इसलिए क्यूंकि मैं उसे पसंद करता थाI
आखिरकार, मैं उसे पूरी तरह भूल गयाI हाल ही में एक लोक संगीत समारोह में मेरी मुलाकात एक और प्यारी लड़की से हुई हैI मुझे उम्मीद है कि वो भी पसंद करती हैI लेकिन अगर नहीं भी करती होगी तो कोई समस्या नहीं है क्यूंकि अब मुझे सब भूल कर आगे बढ़ना आ गया हैI
*नाम बदल दिए गए हैं
*तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है
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लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।