Winter night
Dreamstime/Abir Bhattacharya

ट्रैन में गुज़री सर्दी की वो रूमानी रात

द्वारा Roli Mahajan जनवरी 15, 12:29 बजे
रीमा और साहिल ऑनलाइन मिले थे और उन्होंने एक-दूसरे को कभी नहीं देखा था। ठंड और धुंध भरी जनवरी की उस रात रीमा ने नई दिल्ली से ट्रेन द्वारा कोलकाता पहुंचकर साहिल को सरप्राइज देने का फ़ैसला किया। उत्तर भारत में रहें वाले लोगों को मालूम है कि सर्दियों में यहां यात्रा करना कितना हिम्मत का काम है। रीमा ने हमें लव मैटर्स को बताया कि क्यों वो उस रात को कभी भी नहीं भूल पाएंगीI

26 साल की रीमा दिल्ली में एक पब्लिशिंग हाउस में काम करती हैं।

मज़ेदार यात्रा लेकिन ....

मैं साहिल से ऑनलाइन मिली थी। हम ज़ल्द ही करीब आ गए। मैं उससे घंटों बातें करती थी और वह मुझे बहुत हंसाता था। हमने अपने एहसास एक दूसरे को कभी नहीं बताए लेकिन हमारे बीच कुछ ऐसा ज़रूर था जिसने मुझे जनवरी की उस ठंड में भी यह कदम उठाने पर मजबूर कर दिया।

उसके जन्मदिन पर उसे सरप्राइज देने के लिए मैंने पहली बार कोलकाता जाने का फ़ैसला किया। उसका जन्मदिन रविवार को था इसलिए मुझे शुक्रवार को ही ट्रेन पकड़नी थी। ताकि मैं शनिवार तक वहां पहुंच जाऊं और रविवार को उसका जन्मदिन मना सकूं और उसी दिन वहां से वापस भी चल दूं। वहां जाने के बारे में सोचकर मैं बहुत उतावली और खुश थी।

मुझे राजधानी में तत्काल टिकट मिल गया था जो मेरे लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं था! मैंने अपने घर पर एक मनगढ़ंत कहानी बतायी। मैं नहीं चाहती थी कि मेरे मम्मी पापा इस बात की चिंता करें कि मैं एक ऐसे लड़के से मिलने के लिए ट्रेन से अकेले जा रही हूं जो मुझे ऑनलाइन मिला था।  इसलिए मैंने उन्हें बताया कि मेरा एक करीबी दोस्त अपने घरवालों की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ शादी करने जा रहा है जिसे मेरी ज़रूरत है और मैं रविवार तक लौट आऊंगी।

प्यार में विलम्ब..

मैं वहां अकेले ही जाना चाहती थी और मैंने पहले कभी देश के पूर्वी हिस्से की यात्रा नहीं की थी। मैं मन ही मन बहुत बैचेन थीI जैसे-तैसे मैं दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंच गयी। उस दिन वहां सामान्य से अधिक भीड़भाड़ थी।

मुझे जल्दी ही समझ में आ गया कि इतनी भीड़ क्यों थी। पिछले दो दिनों से घना कुहरा छाया था। ज़्यादातर ट्रेनें लेट थी, कुछ रद्द हो गई थीं और मेरी ट्रेन कोलकाता से दिल्ली वापस नहीं आने वाली थी। भगवान का शुक्र है कि मेरी जाने वाली ट्रेन कैंसिल नहीं थी लेकिन सात घंटे लेट थी। चूंकि मैंने टिकट खरीद लिया था इसलिए मैंने फ़ैसला किया कि मैं कोलकाता ज़रूर जाऊंगी। साहिल से मिलने की ललक और उसे सरप्राइज देने की ख़ातिर मैं ये सफ़र किसी भी हाल में पूरा करना चाहती थी।

यह एक ठंडी और धुंधली रात थी। हर दस मिनट बाद कोई ना कोई ट्रेन का स्टेटस चेक कर रहा था। अंततः शनिवार की रात एक बजे हमारी यात्रा शुरू हुई। सभी यात्रियों की तरह मैं भी अपनी बर्थ पर लेटते ही सो गयी थीI लेकिन सुबह छह बजे जब मेरी आँख खुली तो मालूम पड़ा कि ट्रेन दिल्ली से मुश्किल से 70 किमी दूर ही पहुंची थी।

पहुंचूंगी भी या नहीं 

शनिवार को दोपहर तक मैंने अंदाज़ा लगाया कि ट्रेन जिस गति से चल रही है,रविवार रात दो बजे तक कोलकाता स्टेशन पहुंच पाएगी। फिर आधी रात को मैं कहां जाउंगी।

मेरे पास साहिल को फ़ोन करके बताने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा थाI मुझे साहिल को फोन करके अपनी प्लानिंग बतानी पड़ी। पहल तो उसने मेरी टांग खींची लेकिन वो बहुत खुश थाI मेरी समस्या सुनकर उसने कहा कि मैं उसकी एक आंटी के घर में रुक सकती हूँ और हम रविवार को एक दूसरे से मिलेंगे। इसके बाद वह मुझे हर घंटे फोन करता रहा। शाम पांच बजे तक ट्रेन सिर्फ़ कानपुर तक ही पहुंची थी। इस गति से तो मैं कोलकाता उसके जन्मदिन पर छह या सात बजे सुबह पहुंचने वाली थी। कम से कम दिल्ली वापस आने के लिए फ्लाइट पकड़ने से पहले मैं उसके साथ कुछ घंटे रह सकती थी।

जब रात के नौ बजे तक ट्रेन की स्पीड वैसी ही रही तब साहिल की खुशी फ़ीकी पड़ने लगी और वह मुझसे माफी मांगने लगा। मैंने उसके जन्मदिन पर पहुंचने का हर संभव प्रयास किया था लेकिन अब ऐसा लगने लगा था कि यह ट्रेन शायद कोलकाता पहुंच ही ना पाएI

बस छूकर चले जाना

मेरी ट्रैन 36 घंटे की देरी से रविवार को दोपहर ढाई बजे कोलकाता पहुंची थीI मैं ट्रेन से जल्दी से उतरी और फ्लाइट का समय चेक किया। साहिल बांहें फैलाए प्लेटफार्म पर खड़ा था। बिल्कुल फिल्मी सीन था, डी डी एल जे वाला, लेकिन किरदार उलटे हो गए थेI

उसकी माँ ने मेरे लिए काफी स्वादिष्ट सैंडविच भेजा था और ऐसा लगता था कि उनके पूरे परिवार को मेरी ट्रेन की कहानी के बारे में पता था।

उसने मुझे रेलवे स्टेशन से लिया और एयरपोर्ट पर उतार दिया। हम पहली बार एक-दूसरे को देखने के बमुश्किल एक घंटे बाद अलविदा कह रहे थे! भले ही वह बहुत ख़ुश था, लेकिन ट्रेन में मुझे जो असुविधा हुई उसके लिए माफ़ी मांगता रहा।

वह इतना प्यारा लग रहा था, लेकिन मैंने उसे बताया नहीं। मुझे इस सफ़र में बहुत मज़ा आया! मुझे ट्रेन से बहुत प्यार है और राजधानी ट्रेन का खाना मेरे हॉस्टल के खाने से कहीं बेहतर था। इस दौरान मैंने दो किताबें भी पढ़कर ख़त्म कर दी जो दिल्ली में व्यस्तता के कारण मैं नहीं पढ़ पा रही थी।

यह एक अजीब, लंबा और यादगार सफ़र था। इसने मुझे मंजिल से ज़्यादा सफ़र के महत्व को सिखाया। यात्राएं कभी भी बर्बाद नहीं होती हैं, और इसने मुझे यह समझने में मदद की कि साहिल मेरे लिए कितना महत्वपूर्ण है। मुझे एहसास हुआ कि वह शायद वह नहीं होगा जिसके साथ मैं डेट,रोमांस या शादी करूंगी। लेकिन वह दोस्त बनने लायक था।

*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।

क्या आप भी अपनी ट्रेन यात्रा से जुड़ी कोई रोचक कहानी हमें बताना चाहते हैं? नीचे टिप्पणी करिये या हमारे फेसबुक पेज पर लव मैटर्स (एलएम) के साथ उसे साझा करें। यदि आपके पास कोई विशिष्ट प्रश्न है, तो कृपया हमारे चर्चा मंच पर एलएम विशेषज्ञों से पूछें।


 

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