अतीत
देव को फ़िर से देखने भर के ख्याल से ही मेरे दिल की धड़कने तेज़ हो चली थीI उससे मिले लगभग दस बरस हो चले थेI देव और मैं सात साल तक एक रिश्ते में थेI ये मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय थाI लेकिन जब देव ने एमबीए के लिए दूसरे कॉलेज में दाखिला लिया तो हमारे रिश्ते में चीज़ें बिगड़नी शुरु हो गयीI वो अपनी क्लास की एक लड़की की ओर आकर्षित हो गया था और इसने हमारे रिश्ते को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया थाI
रिश्ता टूटने के बाद मैं इतनी टूट गयी थी कि मेरे अंदर आत्महत्या का भी ख्याल आने लगा थाI सबसे ज़्यादा दुःख इस बात का था कि रिश्ते के साथ मैंने अपने सबसे अच्छे दोस्त को भी खो दिया थाI लेकिन इस सबसे जीवन कहाँ रुकता है और धीरे-धीरे मैंने भी आगे बढ़ना सीख लिया।
एक दशक का सफ़र
अब देव से मिले दस साल हो चुके हैं और मैं अपने शादी शुदा जीवन में बेहद खुश हूँI वैसे तो हम दोनों फेसबुक पर संपर्क में थे लेकिन शायद ही कभी फ़ोन पर बात हुई होI
हाल ही में हमने व्हाट्सप्प पर बात करना शुरू किया थाI मुझे अभी भी वो दिन याद है जब देव ने पहली बार मुझे मैसेज किया थाI उसका मैसेज देर शाम आया था और मैं अभी भी ऑफिस में ही थीI देव के भाई की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गयी थी और वो बेहद निराशा के दौर से गुज़र रहा थाI
मैं यह जानकार हैरान थी कि इतना वक़्त गुज़र जाने के बाद भी हम दोनों में शायद अभी भी कुछ बाकी थाI उस दिन मैं सब कुछ छोड़कर बस भागकर उसे गले लगाना चाहती थीI उस दिन से हम दोनों की कभी-कभार बात हो जाती थी और जब भी बात होती थी मुझे बहुत अच्छा लगता थाI बहुत दिनों तक उधेड़बुन में रहने के बाद हम दोनों ने आखिरकार मिलने का फैसला किया और देव फ्लाइट लेकर मुंबई आ गयाI
हवा में ही प्यार का एहसास
31 दिसंबर की सर्द शाम थीI चारो ओर उत्साह और खुशी का माहौल थाI हम उसके गेस्ट हाउस में मिले थेI उससे अकेले मिलने का खयाल थोड़ा असहज ज़रूर था लेकिन शायद उससे मिलने का रोमांच उससे कई गुना बड़ा थाI
देव ने दरवाज़ा खोला और कुछ पलों की अजीब सी खामोशी के बाद हम दोनों एक दूसरी की बाहों में बुरी तरह लिपट गएI हम दोनों के मुंह से एक शब्द तक नहीं निकला था लेकिन शायद कुछ कहने की ज़रुरत भी नहीं थीI
वो पल
अगले तीन घंटे एक दूसरे के जीवन के बारे में जानते हुए कब निकल गए, पता ही नहीं चलाI मुझे यह भी एहसास हुआ कि पिछले कुछ महीनों में मैंने शायद ब्रेकअप से जुड़ी हर कड़वाहट को दफ़न कर दिया था और हम दोनों की दोस्ती में मुझे फ़िर से वही खुशी मिलने लगी थी जो दस साल पहले मिलती थीI
पूरी शाम हसंते, बातें, एक दुसरे से लिपटते गुज़र गयीI हम दोनों ने एक दुसरे को किस भी कियाI हम दोनों ने दो-दो ड्रिंक भी ले ली थी और आधी रात के करीब देव ने मुझे अपने करीब खींचा और धीरे से मेरा हाथ दबाते हुए कहा कि, 'तुम्हें पता है ना कि अपने आप को तुमसे दूर रखना कितना मुश्किल है!' यह झूठ होगा अगर मैं कहूं कि मेरे ख्याल अलग थेI लेकिन मैं एक बात जानती थी - मैं अपनी खुशहाल ज़िंदगी के साथ कोई खिलवाड़ नहीं करना चाहती थीI कुछ पल की बेवकूफ़ी और लापरवाही से सब कुछ खराब हो सकता थाI
नयी शुरुआत
मैंने देव को बताया कि मैं इस बारे में क्या महसूस कर रही थी और शायद वो मेरे ख्याल से सहमत थाI जवाब में वो सिर्फ़ मुस्कुरा दिया थाI मुझे एहसास हुआ कि समय के साथ हम दोनों परिपक्व हो गए थेI और मैं भगवान् की शुक्रगुज़ार हूँ इस बात को लेकर!
देव ने सुझाव दिया कि हम क्लब में हो रहे नव वर्ष समारोह में शामिल हो जाएं।
"नए साल और एक शानदार शुरुआत के लिए चीयर्स"- देव ने कहाI "हमारी दोस्ती के लिए चीयर्स"- मैंने जवाब में एक बड़ी, मुस्कान के साथ कहा। घर को रवाना होने से पहले हम दोनों ने एक दूसरे को एक आख़री बार चूमाI सब कुछ बेहद खुशनुमा लग रहा थाI
*नाम बदल दिए गए हैं
*तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है
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