Sexual harassment
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दोस्तों ने मेरा लिंग पता करने के लिए मेरे कपड़े उतार दिए!

द्वारा Arpit Chhikara नवंबर 27, 02:20 बजे
जब भी लैंगिक हिंसा की बात आती है तो ज़्यादातर मामलों मे महिलाएं पीड़ित होती हैं,पर ऐसा नहीं है कि पुरुषों के साथ ऐसा नहीं होताI ऐसी ही एक घटना ने दिल्ली के एक छात्र सुजयेश के दिलों-दिमाक को किस कदर प्रभावित किया, आइये जानें उन्हीं की ज़बानी :

बढ़ती उम्र

मेरा स्वभाव हमेशा से स्त्रियों जैसा रहा हैI मेरे हाव भाव और नैन-नक्श हद तक लड़कियों जैसे हैं और स्कूल के दिनों में मेरे सहपाठी इस बात को लेकर मेरा मज़ाक उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ते थे और मुझे कई अलग-अलग नामों से बुलाते थे। किशोरावस्था आते-आते मेरे सभी दोस्तों की दाढ़ी मूंछ निकलने लगी थी और उन लोगों की बातचीत में अक्सर उनके पिता की शेविंग क्रीम और रेजर का ज़िक्र हुआ करता थाI लेकिन मेरे चेहरे पर तो बाल ऐसे गायब थे जैसे गधे के सर से सींगI यह भी एक वजह थी कि प्राय मेरा मज़ाक उड़ाया जाता थाI मैं लड़कियों के बीच भी कम 'लोकप्रिय' नहीं थाI वो हमेशा मेरे गाल खींचती रहती थी और मुझे 'स्वीट; 'चिकना','क्यूट' जैसे नामों से बुलाती थीं। मैंने इस सब का कभी बुरा नहीं माना लेकिन उसके बाद घटी एक घटना ने मुझे अंदर से पूरी तरह तोड़ कर रख दिया थाI

वो दर्दभरी रात :

जब मैं 19 साल का था तो कॉलेज प्रतिस्पर्धा के दौरान हमें दूसरे कॉलेज मे रात भर रुकना था। हम सभी गोले मे बैठे थे। कविता और बात-विवाद प्रतियोगिता समाप्त हो चुकी थी। शाम होते होते पुरुस्कार वितरण समारोह भी समाप्त हो गयाI मेज़बान कॉलेज में यह हमारी आखिरी रात थी। हम सभी रात भर मज़े करने की योजना बना रहे थे। हमारी टोली मे पांच लड़कियां और छह लड़के थे।

हम सब आराम से बैठे हुए थे कि हमारी टोली की एक लड़की ने पूछा 'तो तुम छठवीं लड़की हो या सातवें लड़के?' चूंकि उसने यह बात अपनी उंगली मेरी ओर करते हुए पूछी थी तो सभी की आँखे एकाएक मेरी ओर हो गईं थी। मेरा गला सूख रहा था। इससे पहले कि मैं उन्हें बता पाता कि मैं सातवां लड़का हूं, किसी ने मेरे चेहरे पर तौलिया रखा और मेरे सर और मुंह पर लपेट दिया। फ़िर एक आवाज सुनाई दी 'चालों आज यह बात हम खुद ही पता लगा लेते हैं'!

वो दहशत जिसने सालों पीछा किया

मेरी बहुत मना करने के बावजूद भी मुझे बलपूर्वक ज़मीन पर लिटा दिया गया और मेरी निकर उतार दी गयी। मेरे कपड़े मेज के नीचे फेंक दिए गए थे। लड़कों ने मेरे हाथ पैर पकड़ रखे थे और ये सब होते हुए लड़कियां मुझे देख रही थीं। मेरे कानों में बार-बार उनके दुवारा कही जा रही अश्लील टिप्पणियां सुइयों की तरह चुभ रही थीI वे सभी हंस रहे थे और ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रहे थेI वो भी सिर्फ़ इसलिए क्यूंकि आज उन्हें पता चलने वाला था कि मैं एक लड़का हूँ या लड़की!

मैं रोते हुए उनसे विनती कर रहा था कि मेरी पैंट ना उतारी जाए लेकिन किसी के भी कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही थीI मैं चटपटा कर बाहर निकलना छह रहा था लेकिन लड़कों ने मुझे बेहद मज़बूती से पकड़ा हुआ था। मैं असहाय और शर्मिंदा महसूस कर रहा था लेकिन चाह के भी इस बारे में कुछ भी नहीं कर पा रहा थाI मैंने इससे पहले खुद को इतना लाचार और शक्तिहीन कभी भी महसूस नहीं किया थाI लड़कियां मेरे पेट पर गुदगुदी कर रही थी और गालों को छू रहीं थीं।

मैं भी उस ट्रिप पर मज़े करना आया था लेकिन अब अपने तथाकथित दोस्तों के द्वारा यह अपमान झेल रहा थाI कुछ मिनटों के बाद उन्होंने मुझे जाने दिया। कमरे मे सन्नाटा छा चुका थाI सब को जो पागलपन का दौरा पड़ा था वो शायद अब ख़त्म हो चुका थाI मैं किसी तरह अपनी कमीज और ट्रैकपैंट लेकर पूरी जान लगाकर बाथरूम की तरफ़ भाग लियाI मैंने उनका कमरा भी छोड़ दिया और दूसरे कमरे में सोने चला गया जो हमारे वरिष्ठ सहपाठियों का थाI

मानसिक आघात

घर लौटने के बाद भी मैं इस घटना को अपने अपने माता-पिता के साथ साझा नही कर पाया। मुझे लगा कि मुझे लड़की जैसा होने के लिए वे उल्टा मुझे ही डांटेंगे। मेरे अपने परिवार में भी मेरी शक्ल-सूरत को लेकर कई अफ़वाहे उड़ती रहीं हैं। मैं उस रात और आने वाली कई रातों को ठीक से सो नही पाया था। बीमारी का बहना कर मैं कुछ दिनों तक अपने कमरे में ही कैद रहा। उस घटना की वजह से एक प्रश्न ने मेरा पीछा करना शुरू कर दिया था - मुझमे कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है?

मुझे पहले भी कई बार 'चॉकलेटी' और 'लड़की' कहा जाता रहा था लेकिन किसी भी घटना या टिप्पणी ने मुझे इतना परेशान नहीं किया था जितना उस रात घटी घटना ने किया थाI उस रात जो हुआ उसने मेरे आत्मविश्वास को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया थाI मुझे इतना बड़ा सदमा लगा था कि मुझे यह डर लगने लगा था कि मेरी शारीरिक बनावट और हाव-भाव मुझे भविष्य मे भी संकट मे डाल सकते हैं।

कुछ दिनों बात मैं अपने कॉलेज वापस गया। मेरे दोस्तों ने मुझसे पूछा कि मैं इतना चुपचाप क्यों हूं और अंततः मैंने अपने कुछ खास दोस्तों के साथ यौन शोषण की वो घटना साझा की। वे बहुत गुस्सा हुए और चाहते थे कि उन लोगों को सबक सिखाने के लिए उन्हें पीटना चाहिएI लेकिन मुझे यह ठीक नहीं लगा।

जल्दी ही ये बात पूरी कॉलेज में फ़ैल गयी थी और पूरी कॉलेज मे इसपर चर्चा होने लगी थी। दुर्भाग्यवश जो गुट मेरे अपमान का जिम्मेदार था वो अभी भी इसी कॉलेज मे था। मैं उनसे ढंग से आंख ही नहीं मिला पाता था। जब भी मैं कहीं से गुज़रता और तीन-चार लोगों को एक साथ बातें करता देखता तो मुझे लगता कि वो मेरी ही बात कर रहे होंगेI ख़ैर लोगों की याददाश्त छोटी होती है और हमारी परीक्षा शुरू होने तक लगभग सभी लोग मेरे साथ घटे इस 'कांड' को भूल चुके थेI लगभग सभी, मुझ को छोड़करI

एक कवि होने के नाते मैं अपने कॉलेज की साहित्यिक मण्डली का हिस्सा था और मुझे वहां बहुत अच्छा लगता था। मगर चूंकि मुझे सताने वाले सभी लोग भी उस मण्डली मे थे तो मेरे पास मंडली छोड़ने के सिवाय दूसरा कोई रास्ता नहीं था। मुझे एहसास हो गया था कि अगर कोई लड़का, लड़कियों की तरह दिखता है और उसे दाढ़ी मूंछ नहीं आती है तो उस लड़के के लिए दुनिया में कोई जगह सुरक्षित नहीं हैI

बाद के प्रभाव

इस घटना को दो साल बीत चुके हैं पर उस रात की भयावहता ने मुझे अब तक नही छोड़ा है। हर बार जब भी कोई लड़की मेरे गाल खींचती है या कोई मुझे 'स्वीट' कहता है तो मेरी आंखे नम हो जाती हैं और मेरी रीढ़ में कंपकंपी दौड़ जाती है। जब कभी मैं किसी लड़के को तेज आवाज में बोलते सुनता हूं तो बहुत बेचैनी महसूस करता हूँ। मैं दूसरों के स्पर्श को लेकर भी बेहद संवेदनशील हो गया हूँI अगर कोई पुट्ठों पर थप्पी मरता है तो मुझे बेहद घृणा होती है। अगर कोई आदमी मूत्रालय में मेरे नजदीक पेशाब कर कर रहा है तो वहां भी मैं पेशाब करने से बचता हूँ।

मैं नहीं जानता कि मैं कब इस भय से बाहर निकल पाऊंगा। मैं 22 साल का हूं और अभी भी मेरी दाढ़ी नही आई है। लेकिन मैं नही चाहता कि मैं ज़िन्दगी भर इस घटना से प्रभावित रहूंI इसलिए मैं इससे बाहर निकलने के लिए हर संभव प्रयास करता रहता हूँI

शोषण और उत्पीड़न, महिला या पुरुष किसी के भी साथ हो, बुरा सभी को लगता हैI आज अपनी कहानी लोगों से साझा करने के पीछे मेरा उद्देश्य है कि मैं सबको एहसास दिला सकूँ कि 'हमें कैसा लगता है'I

गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिया गया है

तस्वीर के लिए एक मॉडल का इस्तेमाल किया गया है

महिलाओं की तरह पुरुष भी लिंग आधारित हिंसा का सामना करते हैं। ऐसे कई व्यवहार हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक मानदंडों द्वारा प्रोत्साहित किए जाते हैं (जैसे लड़के लम्बे और सांवले होते हैं, सुन्दर और गोरे नहीं)। लव मैटर्स इंडिया सभी वर्ग के लोगों को अपमानजनक व्यवहार के ख़िलाफ़ आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा हैI हमारे फेसबुक पेज पर हमसे जुड़ कर आप हमें अपना समर्थन दें सकते हैंI अगर आपके पास कोई विशिष्ट प्रश्न है, तो कृपया हमारे चर्चा मंच पर जाएंI

लेखक के बारे में: अर्पित छिकारा को पढ़ना, लिखना, चित्रकारी करना और पॉडकास्ट सुनते हुए लंबी सैर करना पसंद है। एस आर एच आर से संबंधित विभिन्न विषयों पर लिखने के अलावा, वह वैकल्पिक शिक्षा क्षेत्र में भी काम करते हैं। उनको इंस्टाग्राम पर भी संपर्क कर सकते हैं।

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