पटाखा लग रही हो!
कुछ हफ़्ते पहले गणित की कक्षा के दौरान तुम्हारी क्लास के एक लड़ने ने तुम्हे देखकर फब्ती कसी थी, 'आज तो बिल्कुल पटाखा लग रही हो'। अब वो जब भी आपको देखता है, तो आपके शरीर के बारे में कुछ ना कुछ अनुचित ज़रूर कहता हैI आपको हमेशा यही डर लगा रहता है कि कहीं आज आप उसके सामने ना पड़ जाएँI इसी डर की वजह से कई बार आप स्कूल भी नहीं जातेI
लेकिन यह बात आप किसी को बताते भी नहीं हैं और मन ही मन कुढ़ते भी रहते हैंI आपको लगता है कि चूंकि यह शारीरिक उत्पीड़न नहीं है, तो आप यह सुनिश्चित नहीं कर पाते कि वो लड़का कुछ गलत कर रहा है या नहींI
यौन उत्पीड़न सिर्फ़ शारीरिक ही नहीं होता और वो लड़का जो कर रहा है वो निश्चित रूप से गलत हैI किसी को अलग-अलग उपनाम देना, उनके ऊपर अवांछित यौन टिप्पणियां और चुटकुले कसना गैर-शारीरिक उत्पीड़न का एक रूप हैI इसी प्रकार वो सब चीज़ें भी, जिनमें यूँ तो शब्द शामिल नहीं हैं, जैसे कि अश्लील संकेत और सोशल मीडिया पर यौन अफवाहें या नग्न चित्रों को फैलाना, लेकिन यह भी यौन उत्पीड़न ही कहलायेगाI
गैर-शारीरिक यौन उत्पीड़न के प्रकार*
- टकटकी लगाकर घूरना
- टिप्पणियां जैसे, चिकनी, पटाखा, माल, आईटम
- भद्दी बातें और किसी के शरीर के बारे में फब्तियां कसना
- कामुक चित्र या सामान दिखाना
- यौनिक अफवाहें फैलाना
- सोशल मीडिया पर नग्न तसवीरें भेजना
- मोबाइल फ़ोन या अन्य मीडिया पर सेक्सी तसवीरें प्राप्त करना
- यौन सेवाओं के लिए पूछा जाना
यौन उत्पीड़न और किशोर
किशोरों पर यौन उत्पीड़न के इन रूपों का किस तरह का प्रभाव पड़ता है? नॉर्वेजियन शोधकर्ताओं ने हाल ही में 3,000 से अधिक हाई स्कूल के छात्रों पर अध्ययन कर यह जानने की कोशिश की, कि उत्पीड़न उन्हें शारीरिक और मानसिक रूप से कैसे प्रभावित करता है?
छात्रों ने गैर-शारीरिक यौन उत्पीड़न और यौन उत्पीड़न से सम्बंधित अपने अनुभवों पर एक प्रश्नावली भरी। उदाहरण के लिए, क्या किसी ने कभी उनके शरीर के निजी हिस्सों को छूने की कोशिश की? जबरन संभोग या बलात्कार भी इसी का एक हिस्सा है। उन्होंने चिंता, अवसाद, आत्मसम्मान और शरीर की छवि से जुड़े सवालों के भी जवाब दिए।
असली नुकसान
गैर-शारीरिक यौन उत्पीड़न काफ़ी खतरनाक हो सकता हैI रिसर्च ने दर्शाया है कि कई बार यह ज़ोर-ज़बरदस्ती से भी ज़्यादा खतरनाक हो सकता हैI जिन छात्रों को विभिन्न नाम दिए गए थे या जिनके बारे में यौन अफवाहें फैलाई गयी थी, उनके चिंतित और उदास होने की संभावना अधिक थी। उनके पास आत्मसम्मान का भी अभाव पाया गया और वे अपने खुद के शरीर के बारे में भी नकारात्मक सोच रखते थेI
गैर विषमलैंगिक
महिलाओं में अवसाद या निराशा की भावना इसका एक महत्वपूर्ण परिणाम थाI पुरुषों की तुलना में गैर-शारीरिक उत्पीड़न ने स्वास्थ्य के इस पहलु के सम्बन्ध में महिलाओं को ज़्यादा परेशान किया थाI आत्मसम्मान और शारीरिक छवि पर भी इसका असर महिलाओं और उन छात्रों के ऊपर ज़्यादा सशक्त नज़र आया जो विषमलैंगिक श्रेणी में नहीं आते थेI
अध्ययन में यौन बलात्कार की तुलना में गैर-शारीरिक उत्पीड़न की चर्चा ज़्यादा पायी गयीI हालांकि उपनाम देना या अफवाहें फ़ैलाने को ज़बरदस्ती पकड़ना या चुम्बन करने की तुलना में कम गंभीर समझा जाता है लेकिन परिणामों ने दिखाया उत्पीड़न के इन रूपों का वास्तव में किशोरों के स्वास्थ्य-कल्याण पर अधिक दुष्प्रभाव पड़ सकता है।
सन्दर्भ: द इफेक्ट्स ऑफ़ नॉन-फिजिकल पियर सेक्शुअल हरैसमेंट ऑन हाई स्कूल स्टूडेंट्स’ साइकोलॉजिकल वेल-बीइंग इन नॉर्वे, पब्लिश्ड ऑनलाइन अक्टूबर 27, 2017.
*तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल हुआ है.
यह लेख पहली बार 2 मार्च, 2018 को प्रकाशित हुआ था.
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