आंटी जी कहती हैं, 'बेटा यह बात तो बहुत गलत हैI तुझे क्या लगता अहइ वो ऐसा क्यों करता है?
वही घिसी पिटी बातें
ना जाने कितने वर्षों से यह प्रथा चली आ रही हैI मर्दों द्वारा की गयी मारपीट को अक्सर यह कहकर दबा दिया जाता है कि उस बेचारे की कोई गलती नहीं हैI "वैसे तो लड़का हीरा है बस थोड़ा गुस्से वाला हैI बस कभी कभी ऑफिस में खटपट या ट्रैफिक की वजह से उसका मूड खराब होता हो तो हाथ उठ जाता होगा नहीं तो तुझसे प्यार तो करता ही हैI" ऐसा लगता है कि पूरी कायनात उसे नाराज़ करने के लिए उसके खिलाफ साज़िश रच रही हो। सुनने में अजीब लग रहा है ना? उतना ही अजीब जितना कि यह कि वो तुझ पर इसलिए हाथ उठता है क्यूंकि उसका मूड ख़राब होता हैI
तुझे क्या लगता है?
निशा बेटा, जब वो तुझे मारता है तो कैसा महसूस होता है? क्या तुझे लगता है कि वो जल्दी ही तुझसे माफी मांग लेगा , दोबारा से प्यार व्यार शुरु हो जाएगा और हो सकता है सेक्स भी हो और फिर सब कुछ फिर से ठीक हो जाएगा- इसलिए एक थप्पड़ और सही। अगर ऐसा होता है तो अच्छा है, लेकिन ऐसा होने पर क्या तू एक थप्पड़ और खाने के लिए तैयार हो जाओगी, नही ना बेटा? या हां? इस तरह की हरकतों से चोट पहुंचती है बेटा, तेरे शरीर को, तेरे आत्मसम्मान को और यहां तक कि तेरे आत्मविश्वास को भी इससे नुकसान पहुंचेगा। यह किसी भी तरह से सही नहीं है और ना ही यह प्यार है। यह गलत है निशा, अपने आप से मज़ाक मत करो।
पैदायशी दिक्कत
पुरुषों को मारने का सिर्फ़ एक बहाना चाहिए और जल्द ही यह उनकी आदत में शामिल हो जाता है। इसके बाद किसी ना किसी बात पर अक्सर उसका दिमाग खराब होता रहता है और फिर वे मारना शुरू कर देते हैं। मार खाने के बाद तुम दुःखी हो जाओगी या रोना शुरू कर दोगी, उसे बुरा लगेगा और फिर वह तुम्हें मनाने की कोशिश करेगा। तुम थोड़े नखरे दिखाओगी और उसे तुम पर प्यार आने लगेगा और अंत में तुम मान जाओगी। इसका अर्थ यह है कि तुम हार मान गई, जिस चीज़ से कुछ देर पहले तुम्हें चोट पहुंची थी, तुम वो भूल गई, तुम उसके सामने अपना गुस्सा और अपना सामर्थ्य सब भूल गई और यही उसकी जीत बन गई। हो सकता है एक बार उसे यह सोचकर बुरा लगे कि बेचारी को ऐसे ही पीट दिया लेकिन क्या करता मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था। वह अपने आप को सही साबित करने की कोशिश करेगा तुम भी वही करोगी . अब अगले झगड़े तक बात खत्म ...फिर एक दिन वही मारपीट शुरु. ऐसा ही है ना?
अपनी क्षमता का सही इस्तेमाल करो
निशा,सत्ता की ताकत एक ऐसी चीज है जिसके दम पर लोग दुनिया बदल देते हैं। अगर बात तेरे आत्मसम्मान को खत्म करने, तुझे नुकसान और चोट पहुंचाने और तुझे कमजोर बनाने की है तो तुझे अपनी ताकत का इस्तेमाल सही तरीके से करना चाहिए। जो व्यक्ति कमजोर होता है और हर चीज़ को सह लेता है, लोग ज़ुल्म भी उसी के साथ करते हैं। इसलिए इस दलदल से बाहर निकलो डियर। मारने, पीटने, चीखने, चिल्लाने सहित जिन भी चीजों से तुम्हारी गरिमा को चोट पहुंचती है वह हिंसा है, प्यार नहीं है। यह तुझे अंदर से तोड़ कर रख देगाI कोई शक नहीं, यह इश्क नहीं।
आख़िर तुम क्यों नहीं
बेटा निशा, गुस्सा तो तुझे भी आता होगा ना? ऑफिस में बॉस से किचकिच, देर तक ट्रैफिक में फंसे रहना, घर के कामों में किसी की मदद ना मिलना जैसी समस्या तेरे साथ भी होगीं, जिस पर तेरे पार्टनर को गुस्सा आता है। तो क्या इन बातों को मुद्दा बनाकर एक बार भी तूने अपने पार्टनर की पिटाई की है? नहीं ना? तो फिर वह अपना गुस्सा निकालने के लिए यह रास्ता कैसे अख्तियार कर सकता है?
वैसे भी हिंसा का जबाव हिंसा नहीं है और तू ऐसा चाहकर भी नहीं कर सकती हैI यदि तू उसका विरोध करने या उसे मारने की इच्छा को मन में ही दबा लेती है तो तुझे सही तरीके से अपने दिमाग का इस्तेमाल करना चाहिए। आखिर उसी को मारने का अधिकार क्यों है? उसे बताओ कि जब वो तुझे मारता है तो तुझे उससे नफ़रत होती है। इसे किसी भी कीमत पर रोकना होगा।
उसे तेरी इस बात पर भी गुस्सा आ सकता है और इसका परिणाम भी तुझे मालूम होगा। क्या सोचती हो निशा, आखिर तुझे क्या करना चाहिए? उसे सीधे मना करो या किसी हेल्पलाइन नंबर पर फोन करो, पुलिस या किसी दोस्त की मदद लो लेकिन उसके तथाकथित प्यार जताने के इस तरीके को बंद करो।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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