How to maintain privacy when living with parents
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कैसे माँ-पापा के साथ रहें और अपनी निजता बरक़रार रखें

अगर अब तक आप अकेले रह रहे थे, चाहे किसी और शहर में वो पढ़ाई के सिलसिले में रहना हो या फिर काम के चक्कर में, ये परिवार के साथ जबरन जो समय बिताना पड़ रहा है, बहुत मुश्किल साबित हो रहा है. आइये तो इसी ख़ास वक़्त के लिए हम लेकर आये हैं, आपके लिए कुछ मम्मी -पापा के साथ रहने के कुछ टिप्स, जिससे इस कोरोना वायरस के लॉक डाउन पीरियड में भी आप अपनी निजता को खोये बिना खुश मन से रह सकते हैं.

इस कोरोना की महामारी ने लगभग पूरी दुनिया को परेशान कर दिया है. इसका प्रसार रोकने के लिए अभी पूरे भारत को लॉकडाउन कर दिया गया है.

इस तरह के मुश्किल वक़्त में बहुत अधिक भावनाओं में बहुत हद तक अस्थिरता आ जाती है. उस वक्त जब इस लॉकडाउन को सही से बिता लेने के बारे में दुनिया भर की बातें हो रही हैं, शायद कोई जीने के लिए अति-आवश्यक बात ‘घर के अन्दर बंद रहते हुए परिवार के लोगों के साथ रिश्ते निभाने’ की उपयोगिता पर बात कर रहा है.

 एक नियम बाँध लें 

रात भर  नेटफ्लिक्स देखना और फिर देर रात सोना शुरूआती कुछ दिनों में मजेदार लग सकता है, लेकिन कोई भी रूटीन न होना आपके शारीरिक घड़ी को बिगाड़ सकता है. यहाँ यह दर्ज कहना ज़रूरी नहीं है फिर भी, आपके मम्मी-पापा आपकी ये लाइफ स्टाइल देखकर बिगड़ सकते हैं.

इसलिए बेहतर है कि अपना एक रूटीन बाँध लें. अगर आप घर से काम कर रहे हैं तो ज़ाहिर है  डेडलाइन से बंधे हुए होंगे. पढ़ने-लिखने वाले लोग इस वक़्त का उपयोग पढने, सीखने और अभ्यास करने के लिए कर सकते हैं. बेहतर होगा कि इस वक़्त आप होम वर्क आउट रूटीन भी मेंटेन करें. इससे न सिर्फ़ दिमाग खुला रहेगा, बल्कि आपके दिमाग को शांत रखने में भी सहायता मिलेगी, साथ ही साथ फिटनेस तो बढ़ेगी ही.

अपना कोना ढूंढ लें

वैसे परिवारों में जिसमें हर सदस्य की आदत रूटीन से हटकर काम करने की हो, उनके लिए एक समय के बाद एक साथ रहना मुश्किल हो सकता है. अगर आपको लगता है कि रोज़-रोज़ की ये चख-चख साथ रहने को थोड़ा मुश्किल बना रही है तो मानिये कि आप एक-दूसरे के निजी परिक्षेत्र (पर्सनल स्पेस) में दखल दे रहे हैं.

कुछ समय अपने लिए निकालिए जिसमें आप अपने कमरे में रहें और अपने भाई-बहनों, माँ-पिता को उनका अपना काम करने का वक़्त दें. इससे रिश्ते में ताज़गी बनी रहेगी.

परिवार की परम्पराओं को ज़िन्दा करने की कोशिश कीजिये

साथ खाना खाने की कोशिश कीजिये. रविवार की खाली दोपहरों को साथ-साथ कैरम, लूडो खेल कर देखिये. कभी साथ खाना बना कर भी देखिये.  हर परिवार की कुछ न कुछ परंपरा होती है, जिसे आप घर छोड़ने से पहले तक निभाते रहेंगे. अब जब आपके पास समय की कोई किल्लत नहीं है, इन परम्पराओं को ज़िन्दा करते हुए, नोस्टाल्जिया की मिठास को वापस जीने की कोशिश कीजिये न.

प्यार-मोहब्बत जैसे प्राइवेट अफेयर्स के लिए भी जगह बनाइये  

बहुत सारा खाली वक़्त हो तो रोमांस का मूड बन ही जाती है. हो सकता है अचानक से कुछ-कुछ होने लग जाये, दिल करे कि बस प्यार कर लिया जाये. यहाँ यह जानना भी ज़रूरी है कि ये ज़रूरतें आपके मम्मी-पापा की भी हो सकती हैं. इसलिए इतनी जगह बनाइये जिसमें हर कोई बिना एक-दूसरे पर ज़ाहिर किये अपनी सेक्शुअल इच्छाओं को पूरा कर सके.

अगर आप अकेले हैं तो मास्टरबेशन और सेक्सटिंग कर सकते हैं और पार्टनर के साथ लॉक्डडाउन हैं तो बल्ले-बल्ले. अपने आप को रोकिये मत क्योंकि इससे तनाव फ़िज़ूल में बढ़ेगा, हाँ जितना हो सके सावधान रहने की ज़रूरत है.  

पुरानी आदतों की ओर लौटना

काया बचपन में आप ख़ूब पढ़ते थे, या फिर बगीचे में काम करने में मज़ा आता था? हो सकता है पेंटिंग या फिर विडियो गेम में ख़ूब वक़्त लगाते होंगे. अब वही वक़्त है जब आप अपनी इन आदतों की और फिर से लौट सकते हैं. इन सारे कामों में जुड़ना हो सकता है रोज़मर्रा की बोरियत से छुटकारा दे और आप फिर से खिल जाएँ.

आभासी (वर्चुअल) कनेक्शन बनाइये

आपके पार्टनर, दोस्त, सहकर्मी, शिक्षक इस उथल-पुथल और अनिश्चितता भरे समय में आपके बहुत बड़े सहायक हो सकते हैं. टेक्नोलॉजी इसमें आपकी बहुत मदद कर सकता है. इस समय में जिंदगी की ले को बनाये रखने के लिए बहुत ज़रूरी है कि लोगों से बातचीत होती रहे, तो अपने लोगों को मेसेज कीजिये, वे भी अगर उपलब्ध हों तो विडियो कॉल कर सकते हैं.     

और जब सबकुछ बहुत अजीब हो जाए, ख़ुद को याद दिलाइये कि ये भी बीत जायेगा. ये तो मौका कि परिवार के साथ वापस जुड़ा जाए, संबंधों को बेहतर बनाया जाए. किसी दिन जब आप इस लॉकडॉउन की ओर पलट कर देखेंगे तो शायद इस वक़्त ने ज़िंदगी की रफ़्तार धीमी करने की जो सीख दी उसके प्रति शुक्रगुज़ार होंगे.

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।

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आरुषि चौधरी एक फ्रीलैंस पत्रकार और लेखिका हैं, जिन्हें पुणे मिरर और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे प्रिंट प्रकाशनों में 5 साल का अनुभव है, और उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म और प्रिंट प्रकाशनों के लिए लगभग एक दशक का लेखन किया है - द ट्रिब्यून, बीआर इंटरनेशनल पत्रिका, मेक माय ट्रिप , किलर फीचर्स, द मनी टाइम्स, और होम रिव्यू, कुछ नाम हैं। इतने सालों में उन्होंने जिन चीजों के बारे में लिखा है, उनमें से मनोविज्ञान के प्रिज्म के माध्यम से प्यार और रिश्तों की खोज करना उन्हें सबसे ज्यादा उत्साहित करता है। लेखन उनका पहला है। आप आरुषि को यहां ट्विटर पर पा सकते हैं।

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