तन्वी एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं जो मूल रूप से बिहार से हैं, लेकिन अब दिल्ली में रहती हैं।
सालगिरह पर टूटा रिश्ता
उस दिन हमारी चौथी सालगिरह थी और उसे मनाने के लिए कपिल और मैंने हमारे पसंदीदा रेस्तरां में एक विशेष समारोह का आयोजन किया था। मैंने अपने पसंदीदा रंग की पोशाक पहनी थीI मैं इस इंतज़ार में थी कि कपिल कब मेरी और पोशाक की तारीफ़ करेगा लेकिन शायद उस दिन कुछ गड़बड़ थीI कपिल मेरे साथ तो था लेकिन ऐसा लग रहा था कि उसका मन किसी और उधेड़बुन में लगा हुआ हैI
मैंने उन विचारों को नज़रअंदाज़ कर सोचा कि आज की शाम को मैं खुद ही खुशगवार बनाने की कोशिश करती हूँI कपिल की बांह को हलके से दबाते हुए मैंने उसके कान में फुसफुसाते हुए कहा, "आपको याद है जब हम उस पार्टी में पहली बार मिले थे तो मैंने आपको कितना नापसंद किया था?'
आम तौर पर, कपिल हमेशा यह बात सुनकर मुझसे लड़ता था और कहता था कि पहली मुलाक़ात के बाद मुझे नहीं बल्कि उसको मुझसे नफरत हुई थीI लेकिन आज तो उसने कोई कोशिश ही नहीं कीI मुझे लगा कि मुझे विषय बदलना चाहिएI मैंने पिछले चार सालों की खूबसूरत यादों के बारे में बात छेड़ी तो भी कपिल ने कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं दिखाईI
यादों के झरोखों में जाकर कपिल का मूड कुछ तो सुधरा था लेकिन कोई तो बात थी जो उसे बार-बार परेशान कर रही थीI मैंने उससे कई बार पूछा लेकिन उसने कोई जवाब नहीं दियाI जब रात को वो मुझे घर छोड़ने आया तो मेरे कार से नीचे उतरते हुए उसने कहा, "'मुझे लगता है कि हमें दोबारा कभी नहीं मिलना चाहिए। मैं यह रिश्ता तोड़ रहा हूं।' उसने यह कहा और मेरी कोई भी प्रतिक्रिया का इंतज़ार किये बिना वहां से चला गयाI कोई स्पष्टीकरण नहीं। कोई कारण नहीं। और बस ऐसे ही चुटकियों में मेरा हँसता खेलता संसार मिटटी में मिल गयाI
वो बिहारी लड़की?
मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह सब सच में हो रहा थाI मैंने कपिल को पागलों की तरह प्यार किया था और मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या गड़बड़ हुई है? पिछले चार साल की यादें जिन्हे मैंने बार-बार याद कर आज की शाम गुज़ारी थी, एक बार फ़िर मेरे ज़ेहन से हो कर गुज़रीI साथ में गुज़रे कपिल के आख़री शब्द - मैं यह रिश्ता तोड़ रहा हूंI
अगली सुबह, जब मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी तो मुझे एक बात याद आयीI एक बार मैं और कपिल वीडियो कॉल पर बात कर रहे थे कि उसकी माँ कमरे में आयी, 'ओह! तो क्या फ़िर से उस बिहारी लड़की से बात कर रहा है?" यह कहकर वो कमरे से निकल गयीI मुझे लगा कि कहीं मेरा बिहारी होना तो फसाद की जड़ नहीं?
मैं अंदर से पूरी तरह टूट चुकी थीI मैं बिहार से थी और वो हरियाणा से। इसमें मेरी तो कोई गलती नहीं थीI ना ही मुझे इस बात से कोई भी फ़र्क़ पड़ता थाI हमने इस बारे में कभी बात भी नहीं की थी और शायद रिश्ते में कई महीने गुज़र जाने के बाद हम दोनों को एक दूसरे की जातियों के बारे में पता चला थाI उसकी दोस्त ज़रूर लालू प्रसाद यादव और राबड़ी को लेकर मेरा मज़ाक उड़ाते थेI ऐसा तो शायद दिल्ली में रहने वाले हर बिहारी के साथ होता होगाI लेकिन कपिल हमेशा उनकी ओर से मुझसे माफ़ी मांग लेता थाI मैंने कभी नहीं सोचा था कि हमारे बीच का यह फ़र्क़ इतना महत्वपूर्ण हो जाएगा, कम से कम कल तक तो नहींI
उसने हिम्मत छोड़ दी
मेरे आंसू नहीं रुक रहे थे और मेरे दोस्तों को लगा कि मुझे एक बार कपिल से बात करनी चाहिएI आखिरकार मैंने हिम्मत जुटाकर उसे फ़ोन कर ही दियाI जिसका मुझे डर था वही हुआI कपिल का कहना था कि वो अभी भी मुझे प्यार करता है लेकिन वो मुझसे शादी नहीं कर सकताI उसके माता पिता उसकी शादी उसके समुदाय की लड़की के साथ करना चाहते थे और उसे उनके आगे झुकना पड़ रहा थाI 'लेकिन मैं हमेशा तुम्हे खुश देखना चाहता हूँ"! यह उसके फ़ोन काटने से पहले के अंतिम शब्द थेI
मैं हमेशा तुम्हारी मदद करूंगा
मुझे लगा जैसे सब कुछ खत्म हो चुका हैI हम दोनों ने इस रिश्ते में इतना निवेश किया था कि हम जैसे एक दूसरे की ज़िंदगियाँ जी रहे थेI मैं उसके इंजीनियरिंग सम्बंधित समर्पण-पत्रों में उसकी मदद करती थी और वो भी रात-रात भर जागकर मेरी थीसिस पूरी करने में मेरा पूरा सहयोग करता थाI हम अक्सर हमारे भविष्य के बारे में बातें करते थे - हम कब शादी करेंगे, हम कहाँ रहेंगे, हमारे सपने क्या हैं, हमारे बच्चो के नाम क्या होंगे, वगैरह वगैरह!
और बस, हो गया सब खत्म! मुझे उस झटके से उबरने में छह महीने लग गए थे। अजीब बात यह है कि वो कपिल ही था जिसने मुझे उसे भूलने में मदद की थीI हम दोनों एक दूसरे के साथ के इस कदर तक आदि हो चुके थे कि मनोचिकित्सक के पास भी मुझे कपिल ही लेकर जाता थाI
जो हुआ अच्छा हुआ
पीछे मुड़कर देखती हूँ तो कपिल का मेरे लिए खड़ा ना होना अब इतना बुरा नहीं लगताI मुझे उसकी स्थिति अब ज़्यादा समझ आती हैI उसका परिवार कभी भी एक बिहारी बहू को स्वीकार नहीं करता और संभावना यही है कि शायद उसके घर में मुझे घुटन ही होतीI वो अपने माता-पिता से बहुत करीब था, तो शायद हम दोनों का अलग होना ही हमारे लिए बेहतर थाI
एक बार किसी ने मुझसे कहा था, 'जब आप अपनी दुःख भरी प्रेमकहानी बिना आँख से आंसू टपके बता दें तो समझ लीजिये कि आप उबार चुके हैंI' हां अब मैं पहले से बहुत बेहतर महसूस करती हूँ लेकिन वो अभी भी मेरी ज़िंदगी का एक अभिन्न अंग है, हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाता हुआI शायद किसी को सच्चा प्यार करने का मतलब यही हैI
हम दोनों को ही दोबारा प्यार का एहसास हो चुका हैI लेकिन ख़ास बात और है - कि हम दोनों का ही पहला प्यार अब जीवन भर की दोस्ती में बदल चुका हैI
*नाम बदल दिए गए हैं
तस्वीर के लिए मॉडल का इस्तेमाल किया गया है
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