भारत दुनिया के उन चुनिंदा विकासशील देशों में से एक है जहां सिनेमा ने काफी उन्नति की है। भारतीयों को अपनी फिल्मों से प्यार है और सिनेमा हमेशा से अपने दर्शकों के लिए कई नए विषयों को पेश करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। आमतौर पर हमारी फिल्में सेक्स और लैंगिकता पर अपेक्षाकृत कम ही केंद्रित होती हैं। दशकों से दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री के लोकप्रिय सितारों ने शायद ही कभी स्क्रीन पर किस किया हो। सालों तक फिल्मों में किस सीन को दिखाने के लिए दो फूलों को करीब लाकर दिखाया जाता रहा।
अब पिछले दो दशकों से बॉलीवुड इस ढांचे को तोड़ने की कोशिश में लगा है। सितारे अब स्क्रीन पर किस करने लगे हैं और यह बात सुर्ख़ियों में भी रहने लगी हैI अब कुछ फिल्म निर्देशक सेक्स सीन भी दिखाने की हिम्मत करने लगे हैं। हाल ही में कपूर एंड संस और लिपस्टिक अंडर माई बुरका जैसी फिल्मों में समलैंगिकता जैसे बेहद निषिद्ध विषयों को फिल्माया गया। यहां तक कि फिल्म के सेंसर बोर्ड सर्टिफिकेशन से जुड़े विवाद के कारण महिला सेक्सुअल्टी जैसे विषयों पर लोगों ने अपनी चुप्पी तोड़ दी।
हालांकि बॉलीवुड की फिल्मों में आज सेक्स पर खुलकर बातचीत होने लगी है लेकिन साथ ही साथ ये फ़िल्में महिलाओं की कामुकता को तोड़ मरोड़कर पेश करने के लिए भी जिम्मेदार है। अफ़गान जलेबी और तंदूर मुर्गी जैसे तथाकथित आइटम गानों में द्विअर्थी डायलागों के माध्यम से महिलाओं को महज़ एक वस्तु के रूप में पेश किया जा रहा है, जो सेक्स पर होने वाली सकारात्मक बातचीत को और कमजोर बना रहा है।
भारतीय लोग पोर्न देखने में सबसे आगे हैं और सनी लियोन के भारतीय टेलीविजन पर आने से पहले यह भारत से जुड़ा सबसे खराब गुप्त रहस्य थाI इंडियन साइबर आर्मी द्वारा हाल ही में हुए रिसर्च में यह पता चला है कि भारतीयों द्वारा रोजाना इंटरनेट से डाउनलोड की गई 35 से 40 प्रतिशत सामग्री पोर्न होती है। हालांकि बैचलर लड़कों को छोड़कर शायद ही कोई इस बात को स्वीकार करने के लिए राज़ी हो।
सनी लियोन की बात करें तो उन्ही की वजह से अब राष्ट्रीय ख़बरों में भी पोर्न शब्द का इस्तेमाल होने लगा है जबकि कई लोग इसे नापसंद करते हैं। चाहे आप इसे नापसंद करें, प्यार करें या घृणा करें लेकिन सनी लियोन भारत में लगातार पांच वर्षों से गूगल पर सबसे ज्यादा सर्च की जाने वाली हस्ती है जिसने हमारे समाज की यौन ज़रूरतों और इच्छाओं की पोल खोल कर रख दी है।
भारतीय विज्ञापन उद्योग भी सेक्सुएल्टी पर बात करने के लिए अपने दायरे से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। जबकि अभी भी पुरुषों के सौंदर्य उत्पादों को इस तरह बेचा जा रहा है जैसे वो महिलाओं को आकर्षित करने के लिए पुरुषों की जरूरत हो। कुछ हालिया अभियानों ने इन रूढ़िवादी परम्पराओं को तोड़ने का प्रयास किया है और ‘हम भारतीय हैं और हम सेक्स के बारे में बात नहीं करते’ जैसी धारणाओं के विपरीत विज्ञापन बनाएं हैं। उदाहरण के लिए वर्ष 2015 में कपड़ों के ब्रांड के लिए एक टीवी कैंपेन में भारत के पहले लेस्बियन जोड़े को विज्ञापन करते हुए दिखाया गया।
हाल ही में भारत के एक लोकप्रिय कंडोम ब्रांड ने गुजरात जैसे परंपरागत राज्य में नवरात्रि त्योहार के दौरान कंडोम के प्रचार के लिए जगह-जगह अपना एक बैनर लगाया जिसकी टैग लाइन थी ‘करो लेकिन प्यार से’। इसमें युवाओं से नवरात्रि के नौ रातों में सेक्स के दौरान कंडोम इस्तेमाल करने की अपील की गई। विभिन्न सर्वेक्षणों से पता चला है कि गुजरात में नवरात्र के दौरान कंडोम की बिक्री 25 से 50 प्रतिशत बढ़ गई और गर्भनिरोधक गोलियों की भी खूब बिक्री हुई। इस अभियान से ब्रांड के खिलाफ शिकायतों की बाढ़ आ गई और ज्यादातर लोगों ने सीधे सनी लियोन को निशाना बनाया। आखिरकार अभियान को वापस ले लिया गया लेकिन इससे लोगों के बीच जागरूकता बढ़ी और भारतीय युवाओं में सुरक्षित सेक्स के बारे में बात होने लगी।
हाल के कुछ सालों को छोड़ दें तो अब तक कामुक साहित्य को चोरी छिपे ही बेचा जाता था। सड़क किनारे लगे किताब की दुकानों पर आप इशारों में वे किताबें मांगते थे और वो आपको किसी दूसरी किताब के बीच में इन्हें छिपाकर देते थे। देश में कई किताबों की दुकान पर ई एल जेम्स द्वारा लिखी गई फिफ्टी शेड्स ऑफ ग्रे या पाओलो कोएलो की ‘11 मिनट्स’ बेस्ट सेलर किताबें हैं और ये किताबें सभी उम्र के लोगों के बीच लोकप्रिय हैं। खासतौर पर यह किताब 30 की उम्र की महिलाओं के बीच भी बहुत लोकप्रिय है।
1.32 बिलियन भारत की आबादी प्रजनन में हमारी विशेषताओं का प्रमाण है लेकिन अब हम सेक्सुअल मनोरंजन से दूर नहीं है। भारतीय अब अधिक जानकारी पाने, रिश्ते बनाने और सेक्स से जुड़े खिलौनों का आनंद उठाने के लिए टेक्नोलाजी का सहारा ले रहे हैं।
भला हो डिजिटल क्रांति का, क्योंकि अब गूगल से ही यौवनावस्था, सेक्स, जन्म दर नियंत्रण और इस तरह के कई कठिन और अंतरंग सवाल हल हो जा रहे हैं। यहां जानकारियों की प्रचुरता है बस इसके लिए इंटरनेट से जुड़ा एक स्मार्टफोन होना चाहिए।
टिंडर, ट्रुली मैडली जैसे डेटिंग एप लोगों को अपनी पसंद का पार्टनर खोजने में मदद कर रहे हैं जबकि पहले यह हमारे उस समाज में एक कठिन काम होता था जहां आपको अपने आंटी द्वारा बताये गए व्यक्ति से शादी करनी पड़ती थी।
इन एप्स के कारण लोग अपनी यौन इच्छाओं के बारे में भी बात कर लेते हैं और उसके अनुसार अपना पार्टनर ख़ोज लेते हैं। भारतीय लोग अब यौन सुरक्षा और सेक्स टॉयज के लिए भी टेक्नोलाजी का इस्तेमाल करने लगे हैं जैसे फ्रुटी कंडोम और डिल्डो। पहले कुछ लोग बड़ी हिम्मत करके ये सेक्स टॉयज दिल्ली के पालिका बाजार से खरीद पाते थे लेकिन अब स्मार्टफोन के एक क्लिक से यह सब आसानी से उपलब्ध है।
लेकिन बॉलीवुड की तरह ही, भारत में सेक्स पर खुलकर बातचीत करना दो कदम आगे और एक कदम पीछे जाने जैसा ही है। हालांकि विज्ञापन, सेलेब्रिटीज और फ़िल्में इन सीमाओं से बाहर निकलने की कोशिश में है लेकिन अभी इससे पूरी तरह बाहर निकलने में समय लगेगा। इसके लिए सोशल मीडिया का धन्यवाद। देखते हैं ,जीत किसकी होती है। यह सिर्फ़ भविष्य ही बता सकता है। इस बीच लव मैटर्स यहां महज़ इस कोशिश में लगा हैं कि सेक्स पर सकारात्मक, बिना किसी शर्म के और दायरे से बाहर निकलकर बातें हो।
यह लेख पहले 6 अक्टूबर, 2017 को प्रकाशित हो चुका है।
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लेखक के बारे में: मुंबई के हरीश पेडाप्रोलू एक लेखक और अकादमिक है। वह पिछले 6 वर्षों से इस क्षेत्र में कार्यरत हैं। वह शोध करने के साथ साथ, विगत 5 वर्षों से विश्वविद्यालय स्तर पर दर्शनशास्त्र भी पढ़ा रहे हैं। उनसे लिंक्डइन, फेसबुक और इंस्टाग्राम पर संपर्क किया जा सकता है।