*समीर और *अंकिता 30 साल के होने वाले हैं। दोनों गुड़गांव में आईटी प्रोफेशनल हैं।
हनीमून का दुःख
शादी के बाद मैं और अंकिता हनीमून पर नहीं गए क्योंकि हमने सोचा था कि हम कुछ महीने बाद काम से ब्रेक लेकर हनीमून पर जाएंगे। हालांकि हम इससे ज्यादा गलत समय नहीं चुन सकते थे। वैसे तो मार्च के महीने में मलेशिया एक परफेक्ट डेस्टिनेशन हैं ... लेकिन इस साल सब कुछ एकदम अलग था।
मलेशिया में हमने जहाँ जहाँ घूमने का प्लान बनाया था वो सब बंद हो गया था। जब हम भारत वापस आए तो हमें तुरंत 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर दिया गया। मैंने सोचा कि चलो अच्छा हुआ, अंकिता के साथ मैंने अभी एक हफ्ता ही बिताया है और अब मुझे उसके साथ दो हफ्ते रहने का मौका मिल रहा है।
सच कहूं तो परेशान होने की बजाय मैं बहुत उत्साहित था। शादी के बाद हम दोनों को एक दूसरे से शिकायत रहती थी कि हमें साथ में समय बिताने का मौका ही नहीं मिल पा रहा है। क्वारंटाइन के ये दो हफ्ते साथ रहने के लिए बेस्ट थे।
ज़िंदगी के ये पल?
खैर, शुरू-शुरू में सब कुछ अच्छा चल रहा था ….हमने आपस में कुछ जिम्मेदारियां बांट लीं और साथ ही परिवार के लोगों, दोस्तों और घर में काम करने वालों को दूर रहने के लिए कहा। हमें इन पलों को भरपूर जीना था!
उन दिनों सेक्स में बहुत मज़ा आ रहा था। सेक्स के बाद हमें कपड़े पहनने की भी ज़रूरत नहीं पड़ती थी बस एक दूसरे की बाहों में लेटे रहते थे। हम दोनों के बीच बस इसी बात को लेकर तकरार होती थी कि नेटफ्लिक्स पर क्या देखना है। लेकिन फिर धीरे-धीरे, मुझे यह एहसास होने लगा कि हम वही चीज़ें ज़्यादा देख रहे हैं जो उसे पसंद थीं, मेरी पसंद का कुछ भी नहीं हो रहा था।
हम वही खाते जो उसे पसंद था, उसी के पसंद के गाने भी सुनते थे। शुरू में लगा कि चलो ये छोटी-मोटी बातें हैं लेकिन फिर भी चिढ़ तो होती थी।
एक छोटे से अपार्टमेंट में फंसकर रह जाना
कुछ दिन बाद फिर दूसरी समस्याएं शुरु हो गईं। हमारा ऑफिस वालों ने भी हमसे कहा कि अच्छा होगा कि आप बाकी कर्मचारियों से दूरी बनाकर रखें लेकिन आप जूम ऐप पर टीम मीटिंग के लिए ज़रूर आएं।
हम दोनों के बीच एक समस्या ये भी थी कि हमारे पास सिर्फ़ एक ही हेडफोन था और कभी-कभी हम दोनों की मीटिंग लगभग एक ही समय पर शुरू हो जाती थी। इस बात को लेकर भी हम झगड़ने लगते।
मुझे यह एहसास हुआ कि ऐसी छोटी-छोटी चीजें तो पहले भी होती थीं, लेकिन हम दोनों में से कोई एक बात बदल देता था। जैसे कि सिगरेट पीने लगते या फिर उस रेस्टोरेंट की बातें करने लगते जहाँ हमें जाना था और इस तरह वो हल्की नोंकझोंक हम भूल जाते थे।
लेकिन अब हम कहीं जा भी नहीं सकते थे और एक छोटे से अपार्टमेंट में बंद होकर रह गए थे। कभी-कभी जब हम चाहकर भी दूसरों के नज़रों के सामने से हट नहीं सकते तो ऐसे में अंदर से चिड़चिड़ाहट होने लगती है और फिर बात-बात पर गुस्सा बाहर निकल जाता है।
धीरे-धीरे, जिन पलों को हम भगवान का तोहफा और अपनी खुशनसीबी समझ रहे थे कि चलो 14 दिन अपने प्यार के साथ समय बिताने को मिलेगा अब वही 14 दिन बुरे सपने जैसा लगने लगा था। हम पहले की तुलना में अब अधिक लड़ने-झगड़ने लगे, किसी भी समय एक दूसरे पर झपट पड़ते।
मेरी शादी का अंत?
मुझे अब यह कहते हुए शर्म महसूस हो रही है, लेकिन मैं उस मुकाम पर पहुंच गया था जहां मैं मन ही मन दिन गिनने लगा कि कब ये क्वारंटाइन खत्म होगा और मैं यहां से बाहर निकलकर चैन की सांस ले पाऊंगा।
और तभी प्रधानमंत्री ने देशभर में अगले 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा कर दी।
इस खबर से तो मानो मुझ पर पहाड़ ही टूट पड़ा हो। मुश्किल से अभी एक हफ्ते से थोड़ा ज़्यादा ही समय बीता होगा जब हम एक दूसरे से इतना लड़ झगड़ रहे थे। मेरे एकदम समझ में नहीं आ रहा था कि अब ये तीन हफ्ते कैसे कटेंगे। मुझे लगने लगा था कि अब ये शादी का रिश्ता खत्म ही हो जाएगा।
घंटों बातें की
मैं अंकिता को हमेशा इस बात का क्रेडिट दूंगा कि उसने मुद्दे पर बात करके चीजों को संभाल लिया। रोज़ की तरह लड़ने के बजाय एक दिन वह शांति से मेरे पास आयी और पूछा कि मुझे क्या दिक्कत है। मैं इतना निराश क्यों हूं।
मेरे मन में जो कुछ था, मैंने उससे सब कह दिया। तब उसने अपनी बात रखी कि मैं घर के कामों में उसकी मदद नहीं करता और मेरी बार-बार चाय मांगने की आदत उसे ऑर्डर की तरह लगती है।
हमनें बहुत बातें की, घंटों तक ...और कम से कम अभी के लिए, हमने अपने बीच के सभी गिले शिकवे दूर कर लिए।
मैं अभी भी मानता हूं कि लॉकडाउन खत्म होने पर मुझे बेहद खुशी होगी और मेरी पत्नी को भी। लेकिन अब हम एक दूसरे से लड़ नहीं रहे हैं ...हम अब भी एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं। हम फिर से उसी दुनिया में लौट आएंगे जैसे हम कुछ महीने पहले थे, जब हमने शादी करने का फैसला किया था।
तस्वीर में मौजूद व्यक्ति मॉडल हैं, गोपनीयता बनाए रखने के लिए नाम बदल दिए गए हैं।
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