Corona lockdown quarantine
© Love Matters | Rita Lino

मैंने उन्हें छुआ तक नहीं

द्वारा Niharika अप्रैल 13, 01:34 बजे
पिछले 14 दिनों से समीर की तरफ़ के बिस्तर का खाली था जबकि वह मुश्किल से मुझसे 20 फीट की दूरी पर था, यह सोचते हुए अक्षरा का दिल टूट सा गया। वह क्या था जो उसे अपने पति को प्यार से बाँहों में भर लेने से रोक लेता था। उसने अपनी कहानी लव मैटर्स इंडिया से साझा की है।

35 साल की अक्षरा कंटेन्ट राइटर है और दिल्ली में रहती है। 

उम्मीद और प्रार्थनाएं  

मेरे पति समीर मर्चेन्ट नेवी में हैं। सिर्फ़ दो हफ़्तों का साथ उनका साथ मेरी ज़िंदगी का तरीका सा हो गया है। जो भी थोड़ा समय हमें एक दूसरे के साथ मिलता है, हमने उसको पूरी तरह साथ जी पाने के लिए अपने तरीके निकाले हैं- जैसे दो खास अवसरों को एक साथ मनाना। इस साल वे दो खास अवसर मेरा और बच्चे का जन्मदिन होने वाला था जोकि क्रमश: मार्च और जुलाई में पड़ता था। 

समीर सितंबर के अंत में जहाज पर गया था कि फरवरी में लौट आएगा। यह सारा प्लान चीन से आने वाले कोरोना वायरस के संक्रमण के खबरों के सामने बिखरता नज़र आ रहा था। मैं उम्मीद कर रही थी, प्रार्थनारत थी, अपनी आशा का एक एक बूंद समेट कर कि यह इतना कठिन, और कभी खत्म से नहीं लगने वाले तीन महीने जल्दी बीत जाएँ। 

यह जानकर कि जल्दी ही सारी अंतर्राष्ट्रीय फ़्लाइट सेवा बंद हो जाएंगी, मेरे पति ने जनवरी अंत में ही छुट्टी की अर्जी दे दी, हमारे देश में पहला केस रिपोर्ट होने के ठीक पहले। बहुत देरी से 1 मार्च पर को अंततः उन्हें छुट्टी मिली। घर लौटते 5 मार्च हो गए। 

होम क्वारंटाइन 

मैं बहुत उत्साहित थी और सुकून में भी। उन्हें एयरपोर्ट से लाने की योजना बनाई और वहीं से रोमांटिक डिनर पर ले जाने की। टेबल बुक करा लिया, ड्रेस तैयार की, बाल और नाखून भी संवार लिए। 

मेरा सारा प्लान एकदम से ध्वस्त हो गया जब मेरे पास एक मेसेज आया कि उनसे घर जाने से पहले 14 दिनों के होम क्वारंटाइन की शर्त पर हस्ताक्षर कराए गए हैं और इसी शर्त पर एम्पलॉयर से छुट्टी भी मिली है। मुझे कहा गया कि मैं एक अलग कमरा जिसका दरवाजा अपार्टमेंट से अलग हो, सैनिटाइज़ कर तैयार कर दूँ। अपनी ड्रेस उतार कर मैंने एक घिसा हुआ पुराना पाजामा पहना, ब्लो ड्राई किए अपने बालों का जूड़ा बनाया और कमरा साफ़ और सैनिटाइज़ करने में जुट गई। कमरा साफ़ करके मैंने मुख्य दरवाजा खुला छोड़ दिया और चुपचाप अपने कमरे में आ गई। 

टूटा हुआ दिल 

उसके मेरे से बीस फीट की दूरी पर होने के बाद भी उसकी तरफ़ के बिस्तर का खाली हिस्सा देखकर मेरे दिल में कसक उठती थी। मेरे कंठ में कुछ भारी सा अटक गया था और लगता था कि किसी भी पल मेरी हिचकियां फूट पड़ेंगी। लेकिन बच्चे का आंसुओं में भीगा चेहरा देखकर मैंने खुद को संभाले रखा। 

दरवाज़े से कई बार झाँकने और मेसेज के बाद अंततः मुझे पता चला कि वह लिफ्ट में हैं। दरवाज़े पर भाग कर जाने और उससे लिपट जाने का बहुत दिल था लेकिन इस इच्छा को मन में दबाने का दर्द बहुत गहरा था। दरवाज़े के उस पार से तेज आवाज़ में बोलकर उसने अपने आने की सूचना दी और मैंने इधर से ही लकड़ी के उस मोटे दरवाज़े को चूम लिया, मानो उसे चूम रही होऊं । अगले दो हफ़्ते खाना, कॉफी, पानी सभी दरवाज़े के बाहर डिनर वैगन से पहुंचाया जाता रहा, जो हमारे उस जगह से हट जाने के बाद वह अंदर लेता था। 

हम एक दूसरे से उसी तरह वीडियो कॉल पर बातें करते रहे जैसे 1000 मील दूर होने पर भी किया करते थे। बच्चे को सुलाने के बाद हम अपनी डेट पर जाते, मैं दरवाज़े के एक तरफ़ और दूसरी तरफ़ वह, अपनी ड्रिंक के साथ, एक दूसरे से बात करते, आभासी आँखों से एक दूसरे को देखते। 

सेक्सटिंग और शावर 

इसके बाद अक्सर हमारे बीच सेक्सटिंग होती और ढलती हुई रात के साथ उत्तेजना से भरकर, एकदूसरे से लिपटने के बजाए तकिये से लिपट कर सोते। एक सुबह हम साथ शावर में भी गए, वह अपने और मैं अपने शावर में और वीडियो कॉल के जरिए एक दूसरे को महसूस किया, एक दूसरे की छुअन महसूस की।

दो हफ़्ते बीतने को थे और ईश्वर की दया से उसमें कोई खतरे का लक्षण नहीं दिख रहा था। अंततः वह अपने पिंजड़े से आजाद हो बाहर हमारी ज़िंदगी में दाखिल हुआ। संयोग से वह 18 मार्च का दिन था, मेरे जन्मदिन से एक दिन पहले। 

शाम का समय बच्चे के साथ बिता कर, हमने उसे सुलाया। और फिर हम उन सभी कल्पनाओं को साकार करने की ओर बढ़े जिसके बारे में हमने पिछले 14 दिनों से कितनी बातें की थी। मेरा पैंतीसवाँ जन्मदिन को मनाने का इससे अच्छा तरीका क्या हो सकता था।  

पहचान की रक्षा के लिए, तस्वीर में व्यक्ति एक मॉडल है और नाम बदल दिए गए हैं।

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