कोरोना और शिक्षा- आपके सवालों के जवाब
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कोरोना और शिक्षा- आपके सवालों के जवाब

लव मैटर्स इंडिया ने कोरोनावायरस महामारी से जुड़े सवालों के विषय में देश भर में पांच युवा परामर्श आयोजित किए। इन परामर्शों में, कॉलेज के छात्रों के साथ महामारी के कारण होने वाली चिंताओं और चुनौतियों पर चर्चा की गई। लॉकडाउन, स्कूल-कॉलेज की बंदी, परिवार में बीमारी, आर्थिक तंगी और वैक्सीन पर हिचकिचाहट पर बात हुई। लव मैटर्स ने उन सवालों की एक सूची भी तैयार की, जो युवा लोगों के मन में महामारी के संबंध में थे। इस पेज पर हम उन चर्चाओं में COVID-19 वैक्सीन के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब प्रकाशित कर रहे हैं।

स्कूल और कॉलेज कब खुलेंगे?

जैसे-जैसे भारत में अधिक से अधिक लोग वैक्सीन ले रहे हैं, कई राज्यों ने विभिन्न कक्षाओं के लिए आंशिक रूप से स्कूल और कॉलेज खोल दिए हैं। आप कहां रहते हैं और आपके राज्य में कोरोनावायरस के मामलों की संख्या क्या है उसके आधार पर, सरकार आंशिक रूप से शैक्षणिक संस्थानों को खोलने की अनुमति देना शुरू कर सकती है।

क्या शिक्षा क्षेत्र को कोविड-19 से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है?

शिक्षा संस्थानों पर निश्चित रूप से महामारी का असर पड़ा है, लेकिन बहुत सारे छात्रों के लिए ऑनलाइन स्कूली शिक्षा और ऑनलाइन कक्षाओं का विकल्प हमेशा रहा है। कई छात्रों ने न केवल अपनी कक्षाएं ऑनलाइन लीं बल्कि यह भी सीखा कि परीक्षा कैसे दी जाती है।

हालांकि, यह विकल्प कई व्यवसायों जैसे यात्रा और पर्यटन, बैंकिंग, खुदरा दुकानों आदि के लिए उपलब्ध नहीं है, जिन्हें महामारी के कारण भारी नुकसान हुआ है।

जब इलेक्शन होता है तो सरकार कोई लॉकडाउन नहीं करती, वहां जैसे कोरोना का कोई खतरा ही नहीं, लेकिन स्कूल, कॉलेज खोलने की बात पर कोरोना आ जाता है. क्या बच्चों का फ्यूचर नहीं है? स्कूल और कॉलेज कब खुलेंगे?

इलेक्शन या लॉकडाउन के फैसलों पर कमेंट करना मुश्किल है क्योंकि ये राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तय किए जाते हैं। 

स्कूल-कॉलेजों को खोलने के संबंध में, सरकार ने आंशिक रूप से ऐसा करने की कोशिश की जब कोरोना की पहली लहर खत्म हो गई थी, लेकिन दूसरी लहर की चपेट में आने के बाद, स्कूलों को फिर से बंद करना पड़ा। स्कूलों और कॉलेजों के बंद रहने का कारण यह है कि वहां बड़ी संख्या में छात्र इकट्ठे होते हैं, जिससे इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही स्कूलों में, सभी बच्चों द्वारा कोविड के उचित व्यवहार का पालन करना कठिन है। इसका एक ही समाधान है कि सभी लोग वैक्सीन लगवाएं ताकि गंभीर बीमारी का खतरा खत्म हो जाए।

चीजें धीरे-धीरे ठीक हो रही हैं लेकिन स्कूल और कॉलेज हाल फिलहाल में तो पूरी तरह से नहीं खुल सकते हैं। जब तक अधिक से अधिक लोग वैक्सीन लगवा कर सुरक्षित नहीं हो जाते हैं तब तक ऑनलाइन एजुकेशन अभी जारी रहेगी।

जो स्टूडेंट्स बिना एग्जाम दिए प्रमोट कर दिया गए, क्या वो आगे के लिए खुद को तैयार कर पाएंगे?

इसके बारे में इस तरह से सोचें - अगर कोई व्यक्ति जिंदा है, तो ही उसका भविष्य हो सकता है। अभी स्वास्थ्य, सरकार के लिए पहली प्राथमिकता है और जीवन और स्वास्थ्य की कीमत पर परीक्षा आयोजित नहीं की जा सकती है।

एक बार स्थिति सामान्य हो जाने पर स्कूल और कॉलेज फिर से खुल जाएंगे और तब शिक्षा अधिकारी यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि शिक्षा में किसी भी तरह की कमी को पूरा किया जाए।

इसके अलावा एक्जाम केवल हमारे ज्ञान की परीक्षा है। ज्ञान प्राप्त करना अधिक जरूरी है। क्योंकि ज्ञान ही भविष्य में काम आता है, एक्जाम का स्कोर नहीं।

कोरोना की वजह से अकादमिक सेशन लेट हो रहा है - इसके बारें में क्या किया जायेगा?

स्कूल और कॉलेज में बड़ी संख्या में छात्र इकट्ठे होते हैं जिससे इंफेक्शन फैलने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए स्कूल और कॉलेज को बंद रखा गया है। साथ ही स्कूलों में, सभी बच्चों से कोविड के उचित व्यवहार का पालन करवाना कठिन है। इसका एक ही उपाय है कि सभी लोग वैक्सीन लगवाएं ताकि गंभीर बीमारी का खतरा समाप्त हो जाए। जैसे-जैसे चीजें आगे बढ़ रही हैं, स्कूल और कॉलेज फिलहाल तो पूरी तरह से नहीं खुल सकते हैं। जब तक अधिकांश प्रदेश के लोग टीकाकरण कराकर सुरक्षित नहीं हो जाते हैं, तब तक ऑनलाइन शिक्षा जारी रहेगी।

हां, एकेडमिक सेशन में थोड़ी देर हो सकती है। लेकिन ऐसा सिर्फ आपके साथ ही नहीं हो रहा है। भारत और दुनिया भर में सभी छात्र एक ही नाव में सवार हैं। इसलिए ऐसा सभी के साथ हो रहा है। सरकार, संगठन और गैर सरकारी संगठन भी यह सुनिश्चित करने के लिए एक साथ काम कर रहे हैं कि एक बार स्कूल/कॉलेज फिर से खोले जाने के बाद शिक्षा में किसी भी कमी को दूर किया जा सके। इसलिए जहाँ हैं अभी वहीं मजबूत और पॉजिटिव बने रहें, यह समय भी बीत जाएगा। जल्द से जल्द वैक्सीन लगवाने और टीकाकरण के प्रति जागरूकता फैलाने पर ध्यान दें। जितनी जल्दी हम सभी टीकाकरण करवाएंगे, स्कूल और कॉलेज के फिर से खुलने की संभावना उतनी ही अधिक होगी।

ऑनलाइन शिक्षा में दिक्कत आ रही है तो क्या शिक्षा पर फर्क पड़ेगा?

अभी, छात्रों के लिए सेहत पहली प्राथमिकता है, इसलिए ऑनलाइन क्लासेज चल रही हैं। हां, हम समझते हैं कि यह स्कूल/कॉलेज जाने के जितना अच्छा नहीं है, लेकिन वर्तमान हालात को देखते हुए, यही हमारा सबसे अच्छा विकल्प है। हां, शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है, लेकिन कम से कम आप सुरक्षित और घर पर हैं। स्वस्थ मन के लिए स्वस्थ शरीर की जरूरत होती है। 

अगर आप एकेडमिक रूप से असंतुष्ट महसूस करते हैं, तो भी घबराएं नहीं। आप अकेले नहीं हैं। भारत और दुनिया भर में सभी छात्र एक ही नाव में सवारी कर रहे हैं। इसलिए हम सब इसमें एक साथ हैं। इसलिए मजबूत और पॉजिटिव रहे क्योंकि यह समय भी बीत जाएगा। आप निश्चित रूप से आने वाले सालों में इसे कवर कर सकते हैं।

अभी जो तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा सावधानी बरतनी है तो स्कूल कैसे खुलेगा?

सबसे पहले, यह बताने देने के लिए कोई डेटा नहीं है कि तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित ही करेगी। यह बस एक अनुमान है, साथ ही कोई इस बात की पुष्टि नहीं कर सकता कि तीसरी लहर आएगी या नहीं और अगर आएगी तो कब आएगी। स्कूलों को खोलने का निर्णय इंफेक्शन फैलने की दर के आधार पर सरकार द्वारा लिया जाएगा। यदि इंफेक्शन फैलने की दर वास्तव में घट जाती है, तो सरकार स्कूल खोलने के बारे में सोचेगी। 

साथ ही, जैसे-जैसे अधिक से अधिक लोगों का टीकाकरण होगा, गंभीर बीमारी (अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु) का जोखिम भी कम होगा, जिससे सरकार को स्कूल खोलने पर निर्णय लेने में मदद मिलेगी। सरकार अब तक लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देती रही है और इसलिए भविष्य में लिए जाने वाले किसी भी निर्णय में लोगों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए आवश्यकता को संतुलित करने के लिए शिक्षा की कमियों पर भी ध्यान दिया जाएगा। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि सभी का टीकाकरण हो और हम कोविड के उचित व्यवहार का पालन करना जारी रखें।

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