आंटी जी- ‘बेटा मैं ये बहुत पहले से कहती आ रही हूँ कि जब बीमारी ही नहीं है तो उसका इलाज़ क्या होगा?
कौन तय करेगा ?
अनमोल - आप अपने नाम की ही तरह बिल्कुल अनमोल हो, बेशकीमती! तुम्हारे साथ कुछ भी ग़लत नहीं है और अब तो मैं ये भी नहीं कह सकती कि तुम थोड़ा ‘अलग’ हो। तुम एकदम वैसे ही हो जैसे दूसरा कोई और लड़का।
बीमारी उन लोगों के दिमाग में है जो दूसरों की लैंगिक पहचान के आधार पर उनके साथ बुरा बर्ताव करते हैं। आज इस वजह से भेदभाव है, कल हो सकता है जाति, धर्म या पेशे की वजह से भेदभाव होने लगे...यह लिस्ट बहुत लम्बी है। अगर कोई बिल्कुल तुम्हारे जैसा नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसमें कुछ खराबियां हैं? फिर तो कोई भी दावा कर सकता है ..इस हिसाब से तो नार्मल या सामान्य लोग ढूंढने मुश्किल हो जायेंगेI
मदद की ज़रुरत किसे है ?
तुम इन नीम हकीम, झोलाछाप डॉक्टरों और बाबाओं के चक्कर में मत पड़ना। तुम इस शरीर के साथ पैदा हुए हो, तुम्हारा झुकाव पूरी तरह सामान्य है और इसे बदलने की कोई ज़रुरत नहीं है। अगर कुछ बदलना भी है तो वो ये कि तुम खुद को इस रुप में स्वीकार करो और फिर पूरी दुनिया भी धीरे धीरे इसे स्वीकार कर लेगी। मैं समझ सकती हूँ, यह इतना आसान नहीं है। लेकिन विश्वास मानो इसका इलाज़ कराना पूरी तरह से अप्राकृतिक और बेतुका है।
यह आपकी ज़िन्दगी है और आपका शरीर है। अगर आप किसी अन्य पुरुष या महिला के साथ संबंध बनाना चाहते हैं तो इसमें किसी ‘सुधार’ या ‘इलाज़’ की ज़रुरत नहीं है। समलैंगिकता, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण की तरह ही बिल्कुल सामान्य है बाकि अगर कोई कुछ कह रहा है तो वो फालतू बात है।
तुम भी सही - मैं भी सही
अनमोल - ख़ुद को प्यार करो। आप कौन हो - क्या हो : यह समाज को मत तय करने दो। तुम एक अच्छे इंसान हो? एक अच्छा बेटा, भाई, प्रेमी, खिलाड़ी, गायक, पड़ोसी ...और भी ऐसे कई गुण होंगे तुममे? हैं ना ? तो क्या ये सारे गुण तुम्हारे समलैंगिक होने से बदल जाते हैं - नहीं बदलते।
हिंसा
पता है बेटा - एक ज़माने में समलैंगिक लोगों को इलेक्ट्रिक शॉक देकर उनका इलाज़ किया जाता था। कल्पना करो कि वे लोगों को सामान्य बनाने के लिए इलेक्ट्रिक शॉक देते थे - कितना गलत था ये सब? इसे पहले एक मानसिक बीमारी समझा जाता था लेकिन आगे चलकर यह धारणा गलत साबित हुईI और आज भी हम इस डर में जीते हैं कि क्या सही है और क्या अप्राकृतिक है.
क्या तुम्हे नहीं लगता कि यह सब कोरी बकवास है? इसलिए परेशान मत हो। अपने आस पास के समलैंगिक लोगों से मिलो और उनके बारे में पढ़ो। मैं वादा करती हूँ कि तुम्हे अपने आस पास में ही ऐसे कई लोग मिल जाएंगे तो बिल्कुल तुम्हारे जैसे हैं और तुम्हारे जैसा ही महसूस करते हैं।
अपना ख्याल रखो और कुछ लोगों द्वारा बनाए इन फ़ालतू के नियमों से खुद को दूर रखो ...अच्छी समझ के लिए कोई गोली तो है नहीं? मैं व्यक्तिगत रुप से कुछ ऐसे समलैंगिक लोगों को जानती हूँ जो सच में बहुत समझदार हैं.
गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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