* 24 साल की विनीता स्नातकोत्तर की छात्रा है और सामाजिक मुद्दों पर लिखती हैं।
दुल्हन को बारीकी से देखना
मैं उस समय बहुत छोटी थी, शायद 6 या 7 साल की रही हूंगी। मेरी बुआ शादी करने योग्य हो गई थीं। वह 20 साल की होने वाली थीं और हमारे साथ रहती थीं। लगभग हर दूसरे दिन, बहुत सारे मेहमान उन्हें देखने के लिए हमारे आया करते थे। मैं बच्ची थी इसलिए सभी मुझे अच्छे लगते थे।
आये दिन बुआ हाथ में नमकीन और चाय की ट्रे लेकर धीरे-धीरे 'मेहमानों वाले' कमरे में आती थीI वे उनसे पूछते कि तुम्हें घर के काम काज और सिलाई या पेंटिंग करना आता है। कौन सा काम जानती हो और कौन सा नहीं जानती हो। वे बुआ को चलाकर सिर से पैर तक देखते। उस समय यह सब देखने में मुझे बड़ा मज़ा आता था।
मैं हमेशा सोचती कि बुआ रोज़ रोज़ यह क्यूँ करती हैI लेकिन अब मुझे समझ में आया कि वो लोग अपने लड़कों के लिए एकदम सही जोड़ी तलाश रहे थे।
सही जोड़ी
काफी दिनों तक यह सिलसिला चलता रहाI इसी बीच कुछ ऐसा हुआ जिसे मैं कभी नहीं भूल सकती। अपने बेटे का रिश्ता लेकर हमारे घर एक बहुत अच्छा परिवार आया। मुझे अभी भी याद है कि मेरा परिवार उन लोगों से मिलकर बहुत ख़ुश हुआ था।
उस दिन जो लड़का आया था वो सबके मन को भा गया थाI पढ़ा लिखा और काफी सुंदर होने के साथ साथ उसके पास अच्छी नौकरी भी थी। मेरी बुआ ने शर्माते हुए उस रिश्ते के लिए हामी भी भर दी थी। सभी ने एक दूसरे को मिठाइयां खिलाई और शादी लगभग पक्की ही हो गयी थी।
मैं भी सोचने लगी थी कि बुआ के भावी पति को क्या बोलना चाहिए- फुफाजी, फुफू या अंकल।
एक मामूली दिक्कत रोड़ा बन गयी
जब उनके परिवार के लोग जाने लगे तब मेरे पिता ने देखा कि लड़का लंगड़ा कर चलता है। उसके पैर में मामूली सी दिक्कत थी और बहुत ध्यान से देखने पर ही समझ में आती थी। लेकिन इसे देखकर मेरे पिताजी के हावभाव बदल गये। उनकी मुस्कान गायब हो गई और वे गंभीर हो गये।
इसके बाद सभी बड़ों के बीच एक गंभीर चर्चा हुई। अंत में उन्होंने शादी नहीं करने का फ़ैसला किया। मुझे वाकई बहुत बुरा लगा। बुआ ने इसके ज़वाब में क्या कहा ये तो मुझे अब याद नहीं लेकिन वह बहुत दुखी लग रही थीं।
समय ने करवट ली
विडंबना यह है कि मुझे बचपन से ही सेरेब्रल पाल्सी है। मुझे अपनी देखभाल और कई अन्य कामों में अपनी माँ की मदद की ज़रूरत पड़ती है। मुझे पक्का यकीन है कि भविष्य में मुझे भी इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
किसी के माता-पिता या मेरा भावी जीवनसाथी, मुझे भी ठुकरा सकता है क्यूंकि उसे लग सकता है कि सामाजिक नियमों के अनुसार मैं उसके योग्य नहीं हूं। मेरे परिवार ने एक मामूली से लंगड़ेपन की वज़ह से उस लड़के को ठुकरा दिया। मुझे नहीं पता कि अगर वे उसके बारे में थोड़ा सोचते तो क्या होता लेकिन मैं यह ज़रूर कह सकती हूं कि अब मैं भी उसी ज़गह खड़ी हूं।
*गोपनीयता बनाये रखने के लिए नाम बदल दिए गये हैं और तस्वीर में मॉडल का इस्तेमाल किया गया है।
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लेखिका के बारे में: विनयना खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.फिल कर रही हैं। उनको सेरेब्रल पाल्सी लेकिन यह उनकी पहचान नहीं है। वह एक लेखिका, कवि और हास्य कलाकार हैं। वह फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर भी हैं।